National

चिकन नेक पर लग गया ‘ताला’ और सिलीगुड़ी कॉरिडोर बन गया अभेद्य, भारत-बांग्लादेश सीमा पर तीन नए सैन्य ठिकाने तैयार

किशनगंज/आशीष कुमार सिन्हा. बांग्लादेश और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों के हाल के दिनों में संपर्कों को भारत ने गंभीर रणनीतिक संकेत के रूप में लिया है. इसी को देखते हुए देश की पूर्वोत्तर लाइफलाइन सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए सेना ने बड़े कदम उठाए हैं. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश सीमा से सटे क्षेत्रों में तीन नए सैन्य स्टेशन या गैरिसन स्थापित किए जा चुके हैं. ये नए सैन्य ठिकाने असम के बामुनी, बिहार के किशनगंज, और पश्चिम बंगाल के चोपड़ा में बनाए गए हैं. सिलीगुड़ी कॉरिडोर के अत्यंत संवेदनशील भौगोलिक स्वरूप को देखते हुए इन स्थानों का चयन किया गया है. संकट की स्थिति में ये गैरिसन सेना और बीएसएफ को फास्ट और फ्लेक्सिबल (तेज-लचीला) मजबूत रणनीतिक क्षमता प्रदान करेंगे.

सिलीगुड़ी कॉरिडोर: किशनगंज की नई रणनीतिक भूमिका

बता दें कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर अपनी संकरी चौड़ाई के कारण ‘चिकन नेक’ के नाम से प्रसिद्ध है. कुछ हिस्सों में यह मात्र 22 किलोमीटर चौड़ा है. यही गलियारा पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को भारत के मुख्य भूभाग से जोड़ने वाली एकमात्र कड़ी है. यहां किसी भी प्रकार की बाधा भारत के आठों पूर्वोत्तर राज्यों को देश के मुख्य भूभाग से अलग-थलग कर सकती है. इससे सैन्य आपूर्ति श्रृंखला पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और अरबों रुपये का व्यापार ठप हो सकता है.ऐसे सेना के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि यह भारत की कमजोरी नहीं बल्कि मजबूती है. क्योंकि यहां पर तीन तरफ से हमारी सेना तैनात हैं.

क्यों महत्वपूर्ण है सिलीगुड़ी कॉरिडोर?

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि किसी भी अप्रत्याशित संघर्ष की स्थिति में भारत-विरोधी ताकतें इस महत्वपूर्ण कॉरिडोर को निशाना बना सकती हैं. इसलिए इस क्षेत्र की सुरक्षा संरचना को पहले से कहीं अधिक मजबूत किया जा रहा है. बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद जिस तरह वहां राजनीतिक घटनाक्रम में बदलाव हुआ है, उसे भारत के सैन्य हलकों में काफी गंभीरता से लिया जा रहा है.

भारत ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा सुदृढ़ कर दुश्मनों को चेताया.

बांग्लादेश-पाकिस्तान की नजदीकी से खतरा
भारत की यह तैयारी उस समय तेज हुई है, जब बांग्लादेश के नए अस्थायी चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में ढाका में पाकिस्तान के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के प्रमुख जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा से मुलाकात की. इस मुलाकात में द्विपक्षीय सैन्य सहयोग पर चर्चा हुई थी, जिसे भारत केवल कूटनीतिक शिष्टाचार के रूप में नहीं, बल्कि उभरते क्षेत्रीय समीकरणों के संकेत के रूप में देख रहा है.

सिलीगुड़ी कॉरिडोर- पूर्वोत्तर की लाइफ लाइन
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, नई तैनाती के साथ-साथ निगरानी नेटवर्क, बाड़बंदी और तेजी से प्रतिक्रिया देने वाले इकाइयों को अपग्रेड किया जा रहा है. सिलीगुड़ी क्षेत्र में यह सैन्य सुदृढ़ीकरण स्पष्ट संदेश देता है कि भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता और सामरिक हितों की रक्षा को लेकर शून्य जोखिम नीति पर काम कर रहा है. सुरक्षा से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत की जीवनरेखा है. जिसमें किशनगंज काफी अहम माना जा रहा है जहां 70% मुस्लिम आबादी है.

किशनगंज, सिलीगुड़ी कॉरिडोर और बांग्लादेश सीमा पर सेना ने नए सैन्य स्टेशन स्थापित कर सुरक्षा मजबूत की है, जानें रणनीतिक कदमों की वजह.

निगरानी सिस्टम और सुरक्षा ढांचा अपग्रेड

गृह मंत्री अमित शाह सहित कई केंद्रीय मंत्री किशनगंज का दौरा कर इसकी महत्ता को बता चुके हैं. गृह मंत्री ने अपने दौरे में कहा था इसकी सुरक्षा पर कोई समझौता संभव नहीं. यही वजह है कि किसी अप्रिय हालात से निपटने के लिये सेना ने यह तैनाती की है जिससे दुश्मन कुछ भी करने से सौ बार सोचेगा. किशनगंज शहर से बांग्लादेश सीमा मात्र 23 किलोमीटर दूरी पर है इसलिए महत्वपूर्ण है.

भारत का साफ और स्पष्ट संदेश, जीरो जोखिम नीति

नई तैनाती साफ बता रही है कि भारत अब राष्ट्रीय सुरक्षा और भौगोलिक अखंडता को लेकर भारत किसी भी तरह की ढिलाई करने को तैयार नहीं है. ड्रोन निगरानी, डिजिटल वॉच टावर, तेज प्रतिक्रिया बल और उन्नत सीमा प्रबंधन के साथ अब सिलीगुड़ी कॉरिडोर पहले से कहीं अधिक मजबूत और सुरक्षित हो चुका है. बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच भारत का संदेश स्पष्ट है-नॉर्थ ईस्ट की नब्ज को कोई छू भी नहीं सकता!

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj