85 वर्षीय रिटायर्ड कैप्टन ने सुनाया 1971 के पाकिस्तान के साथ युद्ध का किस्सा, बताया- कैसे जीती गई लड़ाई

Last Updated:May 07, 2025, 06:54 IST
Operation Sindoor: पहलगाम आतंकी हमले के 16 दिन बाद आखिरकार भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकाने पर एयर स्ट्राइक कर ही दिया. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत के जंगी जहाजों ने 9 जगहों पर एयर स्ट्राइक कर 70 से अधिक आतंक…और पढ़ेंX
रिटायर्ड कैप्टन की जुबानी
हाइलाइट्स
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में 70 से अधिक आतंकियों को मारा.85 वर्षीय बजरंग लाल ने 1971 के युद्ध का किस्सा सुनाया.भारतीय सेना ने इस्लामगढ़ किला पर बिना गोली चलाए कब्जा किया.
चूरू. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर का आगाज कर दिया है. भारत ने एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकाने को जमींदोज कर दिया. 16 दिनों के अंदर 9 जगहों पर स्ट्राइक कर 70 से अधिक आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया. चार बार युद्ध में मात खा चुका पाकिस्तान इस बार कितने दिन टिक पाएगा यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन 1971 के युद्ध में दो टुकड़ो में बंटने वाले पाकिस्तान को लेकर रिटायर्ड कैप्टन 85 वर्षीय बजरंग लाल ने कहा कि इस बार युद्ध में पाकिस्तान को कोई बचा नहीं पाएगा.
1965 और 1971 का पाकिस्तान के खिलाफ लड़ा युद्ध
85 वर्षीय रिटायर्ड कैप्टन बजरंगलाल डूडी ने कहा कि भारत के धैर्य और सैन्य ताकत ने हर बार पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर किया है. चाहे रणनीति हो, सैन्य बल हो या अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, भारत ने हर मोर्चे पर पाकिस्तानी साज़िशों को नाकाम करता आया है और इस बार भी करेगा. इसके लिए भारत पूरी तरह से सक्षम है. 18 वर्ष की उम्र में 1958 में राजपूताना राइफल्स में बतौर हवलदार के पद पर भर्ती होने वाले बजरंगलाल डूडी ने कहा कि 1965 और 1971 का पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ा और 1962 में रिजर्व पार्टी में थे. डूडी 1971 के युद्ध का किस्सा बताते हुए कहते हैं कि इस लड़ाई के वक़्त वह नसीराबाद में मोटर प्लाटून के पद पर थे. तत्कालीन अधिकारियों के आदेश पर गाड़ियां भर कर जोधपुर पहुंचे, जहां से उन्हें जैसलमेर जाने का आदेश मिला. उस वक्त दुनिया को पता ही नहीं था कि भारत की पाकिस्तान से लड़ाई होगी या नहीं.
4 दिसंबर को इस्लामगढ़ जाने का मिला था आदेश
रामगढ़ में 10 से 12 दिन फिर घंटियाली मंदिर 6 दिन और उसके बाद किशनगढ़ गए. डूडी बताते हैं कि 4 दिसंबर की शाम को आदेश मिला कि भारत सरकार जिस काम के लिए आपको पगार देती है, उसकी जरूरत आन पड़ी है. डूडी ने बताया कि उनका प्लाटून किशनगढ़ से पाकिस्तान के इस्लामगढ़ के लिए रवाना हो गयी. तभी बॉर्डर पर साथी कंपनी के कमांडर हवलदार दयानंद उनके साथ थे. डूडी बताते हैं कि बॉर्डर से इस्लामगढ़ 20 किलोमीटर ही दूर था. इस्लामगढ़ की और मार्च के दौरान ज़ब इस्लामगढ़ चंद किलोमीटर दूर था, तभी पाकिस्तान सेना की पेट्रोलिंग यूनिट ने फायरिंग कर दी और उनके साथी कमांडर दयानंद पर करीब 25 राउंड की हुई. फायरिंग ने सर गोलियों से छलनी कर दिया.
बिना गोली चलाए इस्लामगढ़ किला पर जमा लिया था कब्जा
डूडी आगे बताते हैं कि प्लाटून में उस वक़्त अधिकारियों सहित 830 जवान थे, जिन्होंने इस्लामगढ़ किला नजदीक आते ही हुंकार भरी, तो पाकिस्तान सेना के जवान थर-थर कांपने लगे और और बिना गोली चलाए ही हथियार और राशन का अपना सारा सामान मौके पर छोड़ फरार हो गए. भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस और शौर्य के बल पर 5 दिसंबर की सुबह इस्लामगढ़ किला पर कब्जा कर लिया था. दिन भर वहां रुकने के बाद शाम को आदेश मिलते ही एक डेल्टा कंपनी ( जिसमें सभी जवान मुस्लिम थे ) को छोड़कर वापस किशनगढ़ की तरफ आ गए., डूडी बताते हैं कि उस वक़्त पाकिस्तानी सेना ने लोंगेवाला पर हमला कर दिया था.
Location :
Churu,Rajasthan
homerajasthan
रिटायर्ड कैप्टन ने सुनाया 1971 के युद्ध का किस्सा, बताया- कैसे जीती गई लड़ाई