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गर्मी–बरसात में मछली पालन: ये टिप्स अपनाएंगे तो मछलियां रहेंगी तंदरुस्त, ग्रोथ होगी डबल

Last Updated:August 23, 2025, 01:40 IST

हमारे देश में मछली पालन का व्यवसाय तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. किसानों का रुझान भी इसकी ओर लगातार बढ़ रहा है. खास बात यह है कि मौसम के हिसाब से सही तकनीक अपनाकर और मछलियों को एक साथ पालकर किसान न सिर्फ बीमारियों से बचाव कर सकते हैं, बल्कि उत्पादन और मुनाफे में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं. आइए जानते है इसके बारे में…मछली

वैसे मछली पालन भारत में एक प्रमुख व्यवसाय है. गर्मी और बरसात के मौसम में तालाब की विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है. इन मौसमों में तालाब का पानी जल्दी गर्म होता है और खराब हो सकता है. तालाब के पानी की गुणवत्ता बिगड़ने से मछलियां बीमार पड़ सकती हैं. इससे मछली पालकों को दवाइयों पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है. पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए जा सकते हैं. इनसे मछलियों को स्वस्थ रखा जा सकता है. साथ ही दवाइयों पर होने वाले खर्च को भी कम किया जा सकता है. 

मछली

बाराबंकी जिले के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गनेश प्रसाद ने बताया कि अक्सर तालाब में पाली जाने वाली मछलियां बीमार हो जाती हैं. इसलिए जरूरी है कि जैसे-जैसे मौसम का तापमान बदले, वैसे ही पानी का तापमान भी जांचते रहें, क्योंकि इसका असर तालाब के पानी में बनने वाली ऑक्सीजन पर पड़ता है. इस दौरान मछलियों को बीमारी से बचाने के लिए कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें अपनाकर गर्मी व बरसात के मौसम में मछलियों को बीमारियों से दूर रखकर उनकी अच्छी ग्रोथ बढ़ाई जा सकती है. 

मछली

बारिश हो या गर्मी, इन मौसमों में तालाब का पानी जल्दी गंदा हो जाता है, जिससे मछलियों की सेहत पर सीधा असर पड़ता है. ऐसे में मछली पालने वाले किसानों को चाहिए कि वे नियमित रूप से पानी की जांच करें और समय-समय पर उसे बदलते रहें. खास ध्यान रखें कि तालाब में पानी का स्तर 5 से 5.5 फीट के बीच बना रहे. अगर पानी कम होगा तो तापमान जल्दी बढ़ जाएगा और मछलियों को तनाव, बीमारी या मौत का खतरा हो सकता है. इस सावधानी से बड़े नुकसान से बचा जा सकता है. 

मछली

खासकर गर्मी के मौसम में तालाब का पानी गर्म हो जाता है, जिससे उसमें ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है. इसका सीधा असर मछलियों की सेहत पर पड़ता है, वे सुस्त हो जाती हैं और बीमार पड़ने लगती हैं. ऐसे में किसान भाइयों को चाहिए कि पानी में समय-समय पर उचित मात्रा में चूना डालें. चूना पानी का पीएच संतुलित करता है और ऑक्सीजन स्तर बनाए रखने में मदद करता है. इससे मछलियों की सेहत बनी रहती है और उनके मरने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है. 

मछली

बारिश और गर्मी के मौसम में तालाब में गंदगी बढ़ जाती है, जिससे मछलियों को स्किन इंफेक्शन और दूसरी बीमारियों का खतरा होता है. इस स्थिति से बचने के लिए किसान तालाब के पानी में हल्की मात्रा में पोटेशियम परमैग्नेट का छिड़काव कर सकते हैं. यह एक प्रभावी कीटाणुनाशक है, जो पानी को साफ करता है और मछलियों को संक्रमण से बचाने में मदद करता है. इससे मछलियों की सेहत सुरक्षित रहती है और उत्पादन पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता. 

मछली

अगर किसी तालाब में मछलियों की संख्या ज्यादा हो जाती है तो ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में बेहतर होगा कि कुछ मछलियों को दूसरे तालाब में शिफ्ट कर दिया जाए. इससे उन्हें पर्याप्त जगह और ऑक्सीजन मिलती है, तनाव कम होता है और उनकी ग्रोथ सही ढंग से होती है. साथ ही बीमारी का फैलाव भी प्रभावी रूप से रोका जा सकता है. 

मछली

गर्मी के मौसम में मछलियों को सूखा चारा देने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उनके पाचन में दिक्कत हो सकती है. इसकी जगह किसान ताजे पानी में थोड़ा मीठा (गुड़ या ग्लूकोज) घोलकर उसमें विटामिन C मिलाएं और उसे मछलियों को आहार के रूप में दें. यह न सिर्फ मछलियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, बल्कि उन्हें स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखने में भी मदद करता है. 

First Published :

August 23, 2025, 01:40 IST

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मछली पालन से बढ़ाना है मुनाफा? अपनाएं ये आसान टिप्स, ग्रोथ होगी डबल, जानें सब

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