Mother found alive after 24 years story from Bengal to Bharatpur

Last Updated:May 16, 2025, 19:20 IST
भरतपुर के अपनाघर आश्रम में 24 साल बाद रूपाली हेंब्रम का अपने बेटे से पुनर्मिलन हुआ. रूपाली मानसिक अवसाद के कारण लापता हो गई थीं. विधायक अभिजीत सिन्हा ने पुनर्मिलन में मदद की.X
अपना घर आश्रम में 24 साल बाद माँ से मिला बेटा
हाइलाइट्स
भरतपुर आश्रम में 24 साल बाद मां-बेटे का पुनर्मिलन हुआ.रूपाली हेंब्रम मानसिक अवसाद के कारण लापता हो गई थीं.विधायक अभिजीत सिन्हा ने पुनर्मिलन में मदद की.
भरतपुर:- भरतपुर के अपनाघर आश्रम में एक अविस्मरणीय पल देखने को मिला, जब 24 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ी आदिवासी महिला श्रीमती रूपाली हेंब्रम का अपनी संतान से पुनर्मिलन हुआ. पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के लाबपुर गांव की रहने वाली रूपाली हेंब्रम मानसिक अवसाद के चलते अपने घर से लापता हो गई थी. परिवार ने सालों तक उनकी तलाश की, लेकिन सफलता न मिलने पर यह मान लिया कि वे अब इस दुनिया में नहीं रहीं.
4 साल पहले किया गया था रेस्क्यूलगभग चार साल पहले रूपाली हेंब्रम को जयपुर से मानसिक रूप से अस्वस्थ अवस्था में रेस्क्यू किया गया और अपनाघर भरतपुर में उपचार हेतु लाया गया. वे केवल बंगाली भाषा जानती थीं, हिंदी नहीं बोल पाती थीं. इसलिए उन्हें अन्य भाषा वालों के वार्ड में रखा गया. आश्रम में एक अन्य प्रभुजी जो हिंदी और बंगाली दोनों जानते थे, उन्होंने बातचीत के दौरान उनकी पृष्ठभूमि को समझने की कोशिश की. जब कुछ जानकारी मिली, तो उस आधार पर एक होटल का नाम इंटरनेट पर खोजा गया और वहां संपर्क किया गया.
बेटे को नहीं हुआ विश्वासहोटल प्रबंधन ने पुष्टि की कि यह वही महिला हैं, जो सालों पहले वहां से गुम हो गई थीं और जिन्हें मृत मान लिया गया था. परिवार से संपर्क किया गया, तो उनके बेटे सृष्टि हेंब्रम को पहले विश्वास नहीं हुआ. जब वीडियो कॉल पर बातचीत कराई गई, तो भी वह ठीक से पहचान नहीं पाए, क्योंकि जब मां गुम हुई थी, तब वह केवल पांच साल का था. बेटे ने गांव के मुखिया नानू मुर्मू को बताया कि उसकी मां राजस्थान के भरतपुर में रह रही हैं.
मुखिया को लेकर आश्रम पहुंचे विधायकमुखिया ने यह जानकारी क्षेत्रीय विधायक श्री अभिजीत सिन्हा को दी. जब उन्हें यह बात पता चली, तो उन्होंने तुरंत मदद का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि अगर मैं ऐसे समय पर मदद नहीं करूंगा, तो फिर कौन करेगा. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से स्वीकृति लेकर विधायक स्वयं बेटे और मुखिया को साथ लेकर फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे और वहां से वाहन द्वारा अपनाघर आश्रम आए.
विधायक ने आश्रम की करी सराहनाआश्रम में मां-बेटे का मिलन एक अत्यंत भावनात्मक क्षण था. विधायक ने आश्रम का अवलोकन करते हुए वहां के सेवाकार्यों की सराहना की और कहा कि यह कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है. 25 सालों तक एक मां अपने ही देश में अपने बेटे से दूर रही और अब पुनर्मिलन हुआ. उन्होंने अपनाघर को 10,000 रुपये की सहयोग राशि भी प्रदान की और कहा कि वह मुख्यमंत्री से अपनाघर जैसे सेवाभावी संगठनों के विस्तार पर भी चर्चा करेंगे.
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