नई पीढ़ी को जमीन से जुड़ना होगा, वस्त्र उद्योग को फिर से खड़ा करना होगा: कोठारी

कानपुर/जयपुर। पूर्व का मैनचेस्टर कहे जाने वाले कानपुर में कई दशकों से वस्त्र उद्योग की दशा और दिशा दोनों खराब हैं। उद्योग जगत में निराशा घर कर गई है। बंद हो चुके उद्योगों से नई पीढ़ी का कोई वास्ता नहीं रहा है। वास्ता तो सिर्फ बची हुई सम्पतियों से है। इस निराशा के वातावरण में कानपुर के लिए पत्रिका समूह के सम्पादक गुलाब कोठारी का आना नई ऊर्जा का संचार करेगा। यह कहना है कानपुर उद्योग व्यापार मंडल के संरक्षक, उत्तरप्रदेश खाद्य व्यापार संघ के अध्यक्ष और कानपुर कॉटन वेस्ड एवं कानपुर मर्चेंन्ट संघ के अध्यक्ष अरविंद चतुर्वेदी का।
पत्रिका संवाद सेतु कार्यक्रम के तहत कानपुर आए कोठारी से चतुर्वेदी ने मुलाकात की। संवाद के दौरान उन्होंने कानपुर के भविष्य के लिए सुझाव मांगे। कोठारी ने कहा है कि नई पीढ़ी को जमीन से जुडऩा होगा। बंद हो चुके उद्योगों को सम्पति नहीं मानें। इसे नए बदलाव के साथ शुरू करना होगा। दुनिया के नामी ब्रांड से प्रतियोगिता के लिए वस्त्र उद्योग को नए सिरे से तैयार होना होगा। कम्पनियों को पूर्णत: नई प्रद्योगिकी के हिसाब से तैयार करना होगा। उन्होंने ने कहा कि इसमें पूंजी की कमी नहीं होगी। बस, निश्चय करना होगा कि कानपुर के वस्त्र उद्योग को फिर से खड़ा करना है। कानपुर के लिए ही नहीं, यह देश के लिए भी बेहतर होगा।
सांस्कृतिक जरूरतों के हिसाब से नहीं बन रहा कपड़ा
कोठारी ने कहा कि यहां के उद्योग फिर से उठेंगे तो यहां तैयार माल भारत की संस्कृति का भी संरक्षण करेगा। विदेशी कम्पनी विदेशी फैशन के हिसाब से माल लाती है। जबकि, अपने यहां उत्पादन प्रभावित होने से सांस्कृतिक जरूरतों के हिसाब से कपड़ा बनना बंद हो गया। यहां उद्योग फिर से उठ खड़े होंगे तो यह कई मायनों में महत्वपूर्ण होंगे।
उद्योगों के प्रति नजरिए में बदलाव की जरूरत
चतुर्वेदी ने कहा कि कोठारी की दृष्टि जड़ पर है। यह दृष्टि हमें दिशा दिखाती है। उद्योगों के प्रति अब नजरिए में बदलाव जरूरी हैै। जल्द ही इन सुझावों के आधार पर संबंधित लोगों को बुलाएंगे और भविष्य की योजना पर काम करेंगे। संगठन के माध्यम से इस दिशा में अभियान चलाया जा सकता है। कोठारी ने जो कानपुर की दशा बदलने के लिए जो दिशा बताई, उस पर सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि इस मुलाकात के बाद अनुभव हुआ है कि बहुत कुछ मिल गया है। अब काम करना होगा। सब मिलकर प्रयास करेंगे। यह तय है कि अब कोठारी के सुझावों के आधार पर आगे बढ़ेगे।