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वो शेरनी, जो एक्टिंग छोड़ बनी कहानीकार, जिनकी 1-1 फिल्म है क्रांति, अपने नाम कर चुकी हर बड़ा अवॉर्ड

Last Updated:October 15, 2025, 03:54 IST

Happy Birthday Mira Nair: मीरा नायर ने ‘सलाम बॉम्बे’, ‘मिसिसिपी मसाला’ और ‘मानसून वेडिंग’ जैसी फिल्मों से सामाजिक मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई और कई पुरस्कार जीते. चलिए आज उनके जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी से रूबरू करवाते हैं.

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वो शेरनी, जो एक्टिंग छोड़ बनी कहानीकार, जिनकी 1-1 फिल्म है क्रांति

मीरा नायर का नाम केवल एक फिल्म निर्माता के रूप में ही नहीं, बल्कि एक ऐसी कलाकार के रूप में भी पहचाना जाता है जिन्होंने समाज की विविध और जटिल समस्याओं को अपनी फिल्मों के माध्यम से खूबसूरती से प्रस्तुत किया है. उनकी फिल्मों में मनोरंजन के साथ-साथ विचार करने की प्रेरणा भी मिलती है.

अपने करियर में मीरा नायर ने कई ऐसी फिल्में बनाई हैं, जो न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं. यही कारण है कि उनकी फिल्में भारत सहित दुनिया भर में सराही जाती हैं.

मीरा नायर की फैमिलीमीरा नायर का जन्म 15 अक्टूबर 1957 को ओडिशा के राउरकेला में हुआ था. उनका परिवार उच्च शिक्षित और सामाजिक रूप से जागरूक था. उनके पिता अमृत लाल नायर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे और उनकी मां परवीन नायर एक समाजसेवी थीं. इस वजह से मीरा ने बचपन से ही सामाजिक मुद्दों के प्रति एक अलग दृष्टिकोण विकसित किया. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भुवनेश्वर और शिमला में पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से समाजशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्कॉलरशिप मिली, लेकिन उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. यह उनके व्यक्तित्व की विशेषता थी कि वे हमेशा अपने मन की सुनती थीं और नए अनुभवों के लिए तैयार रहती थीं.

एक्टिंग छोड़ कहानीकार बनींमीरा नायर ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत एक्टिंग से की थी, लेकिन जल्दी ही उन्होंने समझ लिया कि उन्हें कहानीकार बनना चाहिए. उन्होंने ‘जामा मस्जिद स्ट्रीट जर्नल’ नामक एक शॉर्ट फिल्म बनाई, जो दिल्ली की पुरानी गलियों पर आधारित थी. इसके बाद उन्होंने अपने दोस्त सूनी तारापोरवाला के साथ मिलकर ‘सलाम बॉम्बे’ की स्क्रिप्ट लिखी. यह फिल्म मुंबई की झुग्गियों में रहने वाले बच्चों की जिंदगी को दर्शाती है. ‘सलाम बॉम्बे’ ने न केवल भारतीय दर्शकों का दिल जीता, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी खूब प्रशंसा प्राप्त की. इसे ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए नामांकित किया गया, जो किसी भारतीय फिल्म के लिए बड़ी उपलब्धि थी. इस फिल्म में मीरा ने गरीबी, बच्चों की सुरक्षा और शहर की कठिनाइयों को संवेदनशीलता से दिखाया.

फिल्म के जरिए नई सोचमीरा की फिल्मों में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे गहराई से झलकते हैं. उनकी ‘मिसिसिपी मसाला’ फिल्म ने भारतीय प्रवासियों की जिंदगी और नस्लभेद के मुद्दे को उठाया, जबकि ‘कामसूत्र: प्रेम की एक कहानी’ में प्रेम, विवाह और भारतीय समाज की रूढ़ियों पर सवाल उठाए गए. ‘मानसून वेडिंग’ में पारंपरिक भारतीय शादी की रस्मों के बीच नई सोच और परिवार के बदलाव की कहानी को दर्शाया गया. उनकी फिल्मों का हमेशा एक खास मकसद रहा है कि वे मनोरंजन के साथ-साथ समाज में फैली पुरानी सोच में बदलाव लाएं.

जीत चुकीं नेशनल से इंटरनेशनल अवॉर्डमीरा नायर को उनके काम के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं. ‘सलाम बॉम्बे’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, तो ‘मानसून वेडिंग’ ने कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में नाम कमाया. मीरा की फिल्मों को दुनियाभर में सम्मान मिला और वे विश्व की एक प्रभावशाली फिल्मकार के रूप में उभरीं. उनके काम ने न केवल भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दी, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर बातचीत को भी बढ़ावा दिया.

Varsha

न्यूज 18 हिंदी में सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम कर रहीं वर्षा का डिजिटल मीडिया में 8 सालों का अनुभव है। एंटरटेनमेंट रिपोर्टिंग, लेखन, फिल्म रिव्यू, इंटरव्यू और विश्लेषण इनकी विशेषज्ञता है। वर्षा ने जामिया मिल्…और पढ़ें

न्यूज 18 हिंदी में सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम कर रहीं वर्षा का डिजिटल मीडिया में 8 सालों का अनुभव है। एंटरटेनमेंट रिपोर्टिंग, लेखन, फिल्म रिव्यू, इंटरव्यू और विश्लेषण इनकी विशेषज्ञता है। वर्षा ने जामिया मिल्… और पढ़ें

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First Published :

October 15, 2025, 03:54 IST

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