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पीएम मोदी की जिस गाय ने देश का दिल जीता, वह है दुनिया की सबसे छोटी cow, इस संकटापन्न गाय के बारे में जानें 5 रोचक बातें

PM Narendra Modi Cow: मकर संक्रांति के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को पहली बार प्रधानमंत्री आवास में पल रहे कुछ खास किस्म की खूबसूरत गायों से लोगों को दीदार कराया. जैसे ही पीएम मोदी ने इन गायों की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर किया पलक झपकते ही टॉप पोस्ट बनने गया. केंद्र सरकार कई मंत्रियों ने इस पोस्ट को अपने हैंडल से सोशल मीडिया पर डाला. सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि इतनी सुंदर और इतनी छोटी गायों को अधिकांश लोगों ने पहली बार देखा. प्रधानमंत्री आवास में पीएम से दुलार पा रही ये गायें पीएम के हाथों से घास खा रही थी. इस दृश्य को देखकर लाखों लोगों का मन झूम गया. यह गायें इतनी खूबसूरत हैं कि जो भी इसे देखता है उसका मन मोह लेती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह गाय दुनिया की सबसे छोटी गाय है. इससे छोटी हाइट की कोई गाय नहीं होती लेकिन यह संकटापन्न स्थिति में हैं. दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले की यह देसी गाय है.

विलुप्त होने की कगार पर पुंगनूर गाय

इसका नाम पुंगनूर है. यह बौना मवेशी दुनिया की सबसे छोटी कूबड़ वाली मवेशियों की नस्ल है. लाइवस्टॉक जर्नल के मुताबिक किसानों द्वारा क्रॉस ब्रीडिंग के कारण पुंगनूर गाय विलुप्त होने की कगार पर है. यानी अन्य नस्लों के साथ मिलन कराए जाने की वजह से पुंगनूर की मूल नस्ल विलुप्त होने की कगार पर है. शायद इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन गाय को अपने आवास में लाए हैं ताकि लोगों में इस गाय के प्रति जागरूकता पैदा हो. फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन और एनिमल जेनेटिक्स रिसॉर्स ने इसे संकटापन्न नस्लों में शामिल किया है. द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक गनावरम में एनटीआर यूनिवर्सिटी ऑफ वेटेरीनरी साइंस के वैज्ञानिक इस गाय विलुप्त होने से बचाने के लिए कई तरह की रिसर्च कर रहे हैं और इसे संरक्षित करने का बीड़ा भी उठाया है.

इतने लिटर देती है दूध

पुंगनूर गायें सामान्य गायों की तुलना में बहुत छोटी होती हैं. इन मिनिएचर पुंगनूर गायों का कद 70 से 90 सेंटीमीटर तक होता है और वजन 115 किलो से 200 किलोग्राम तक होता है. यह गाय रोजाना 3 लिटर तक दूध देती है. इसकी तुलना में मशहूर ओंगोल सांड की लंबाई 1.70 मीटर और वजन 500 किलोग्राम तक पहुंच जाता है. दोनों नस्ल की मवेशियों का मूल निवास स्थान आंध्र प्रदेश ही है. चित्तूर जिले के पालमनेर में लाइवस्टॉक रिसर्च स्टेशन के मुताबिक चित्तूर जिला ही इन मवेशियों का अंतिम आश्रय स्थल है जहां लाइवस्टॉक रिसर्च स्टेशन इसका संरक्षण कर रहा है.

दक्षिण में लोकप्रिय हो रही हैं ये गाय

पिछले कुछ सालों में पुंगनूर गाय की लोकप्रियता बढ़ी है. दक्षिण भारत के कई किसानों में इस गाय को पालना अब स्टेट्स सिंबल बनता जा रहा है. इस गाय को अच्छे भाग्य का प्रतीक भी माना जाता है. आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन किरनकुमार रेड्डी, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के चेयरमैन एन हरिकृष्ण समेत कई बड़ी हस्तियों ने इस गाय को अपने निवास स्थान में लाया है. वहीं तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के पास भी कई पुंगनूर गायें हैं. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि पुंगनूर नस्ल की कई नकली गायें भी हैं जिन्हें असली गाय कहकर बेचा जा रहा है. जैसा कि यह अब दक्षिण भारत में स्टेट्स सिंबल बनता जा रहा है उसी तरह इसकी कीमत बढ़ती जा रही है. हालांकि यह बहुत बेशकीमती गाय हैं जिनका असली होना भी जरूरी है. इसलिए बिना मवेशी वैज्ञानिकों के इसकी असलियत की पहचान करना मुश्किल है.

कितनी हैं पुंगानूर गायें

मवेशियों की जनसंख्या रिपोर्ट 2013 के मुताबिक आंध्र प्रदेश में पुंगानूर गायों की संख्या महज 2772 थीं लेकिन कई रिसर्च सेंटर द्वारा इसका संरक्षण किए जाने के कारण अब इसकी संख्या बढ़ी है. हालांकि पुंगानूर गायों की वास्तविक संख्या कितनी है, इसका कोई सटीक डाटा नहीं है.

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Tags: Cow, Narendra modi

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