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It is not possible to control inflation due to increase in interest ra | Iinflation : ब्याज दरों में वृद्धि से महंगाई पर काबू पाना संभव नहीं

मार्च 2020 में पहली बार लॉकडाउन ( inflation ) की घोषणा के बाद से वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों ( oil prices ) में तेजी और आपूर्ति श्रृंखला ( supply chain ) में बाधा अधिकांश भारतीयों के लिए चिंता का विषय रही है। अधिकांश भारतीयों को लगता है कि आय कम हो गई है या स्थिर हो गई है, जबकि खर्च बढ़ गया है।

जयपुर

Published: June 11, 2022 10:00:53 am

मार्च 2020 में पहली बार लॉकडाउन की घोषणा के बाद से वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में तेजी और आपूर्ति श्रृंखला में बाधा अधिकांश भारतीयों के लिए चिंता का विषय रही है। अधिकांश भारतीयों को लगता है कि आय कम हो गई है या स्थिर हो गई है, जबकि खर्च बढ़ गया है। शायद इस उपभोक्ता धारणा को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई ने बढ़ती महंगाई के बावजूद लगभग दो वर्षों तक ब्याज दरें बढ़ाने से परहेज किया। हालांकि, जब खुदरा महंगाई सात प्रतिशत पर पहुंच गई तो, आरबीआई ने मई 2022 में रेपो दर में 40 आधार अंकों की वृद्धि की । इसके बाद अभी कुछ दिनों पहले भी आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की द्विमासिक बैठक में रेपो दर में 50 आधार अंक बढ़ाये जाने का फैसला लिया गया। महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय बैंक रेपो दर को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण से पता चलता है कि अधिकांश भारतीयों यानी 51 प्रतिशत से अधिक की राय में आरबीआई द्वारा रेपो दर में की गई बढ़ोतरी महंगाई को कम करने में विफल होगी। वास्तव में आरबीआई ने खुद भी माना है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में खुदरा महंगाई दर 7 प्रतिशत के करीब रहेगी। आरबीआई की निर्धारित सीमा (टॉलरेंस लेवल) छह प्रतिशत है और मुद्रास्फीति दर के इसके पार जाने के बाद केंद्रीय बैंक उसे कम करने के उपाय करता है। कम शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों की श्रेणी के 45 फीसदी प्रतिभागियों तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले श्रेणी के 59 प्रतिशत प्रतिभागियों को यह मानना है कि आरबीआई महंगाई पर लगाम नहीं लगा पाएगी। अनुसूचित जनजाति के केवल 25 प्रतिशत प्रतिभागियों को भरोसा है कि महंगाई पर काबू पाया जा सकता है।

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