Rajasthan

Now The Health Of Eight Dams Will Improve – अभी आठ बांधों की सुधरेगी सेहत, फिर आएगी 28 की बारी

पहले फेज में 36 बांध चिन्हित, 500 करोड़ होंगे खर्च

जयपुर। राज्य के उम्रदराज बांधों की सेहत सुधारने के लिए भी काम होगा। इसमें शुरुआती 36 बांधों को चिन्हित किया गया है, जिस पर 200 करोड़ से ज्यादा लागत आएगी। इसमें से अभी आठ बांध पर काम शुरू होगा। इन सभी बांध का अब बड़े स्तर पर आधुनिकीकरण किया जाएगा। पानी पहुंचने और भराव की हर सैकण्ड में मॉनिटरिंग होगी। उनमें न केवल पानी भराव की क्षमता बढ़ेगी बल्कि उनके जरिए बिजली उत्पादन को बढ़ाने पर भी काम होगा। वहीं, पर्यटकों के लिहाज से बांध के बाहरी हिस्से को विकसित किया जाएगा। केन्द्रीय जल आयोग की मंजूरी के बाद राजस्थान सरकार ने प्रक्रिया पर काम तेज कर दिया है। अफसरों के मुताबिक आठ और बांध की स्वीकृति का प्रस्ताव केन्द्रीय जल आयोग के पास भेजा हुआ है।

अभी इन बांधों पर फोकस
जोधपुर में जवाई बांध (निर्माण वर्ष 1957) व सुकली सेलवाड़ा (निर्माण 2008), बीसलपुर बांध (वर्ष 1999), उदयपुर में माही बजाज सागर (निर्माण 1985), मकमला अम्बा (निर्माण 2000), मातृकुंडिया (निर्माण 1991) व गंभीरी (निर्माण 1957), कोटा में छापी (निर्माण 1972)

2000 रुपए प्रति हैक्टेयर की जरूरत, दे रहे 50 रुपए
बांधों के सुधार के लिए करीब 2 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर रोकड़ की जरूरत मानी गई है लेकिन सरकार ज्यादातर मामलों में 50 रुपए प्रति हैक्टेयर ही दे पा रही है। जबकि, वित्त आयोग तक 1500 रुपए प्रति हैक्टेयर राशि की जरूरत जता चुका है। वहीं, जल संसाधन विभाग दो हजार रुपए की जरूरत जताता रहा है।

मेंटीनेंस के हालात : आंख खोलने के लिए काफी
-दो-ढाई वर्ष राणा प्रताप सागर बांध का एक गेट अटक गया। गेट नहीं खुलने से हजारों क्यूसेक पानी व्यर्थ बह गया था।
-इसी तरह बीसलपुर बांध लबालब भरने के बाद उसके सभी 18 गेट खोलने शुरू किए। इसी बीच एक गेट नहीं खोला जा सका, क्योंकि इसका रोप (जिसके जरिए गेट उपर होता है) बीच में अटक गया।
यह होगा
-जल आयोग ने बांध से पानी छोडऩे से जुड़े स्ट्रक्चर की डिजाइन और क्षमता में बदलाव किया गया है, इसी के अनुरूप यहां भी डिजाइन में सुधार होगा।
-वाटर लेवल रिकॉर्डर फ्लो मैनेजमेंट सिस्टम लगेगा। यह बांध की सहयोगी नदियों के पुल के नीचे लगाए जाएंगे। इस सिस्टम से बारिश के पानी के आवक की पहले से जानकारी मिल जाएगी।
-बांध से निकलने वाले पानी और बंद होने की पूरी जानकारी लगातार ऑनलाइन रहेगी।





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