Rajasthan

Investigation of Black Fungus started in Jaipur Medical College, Dedicated ward created

जयपुर. कोरोना से मौत के मुंह से बचकर बाहर आये मरीजों को अब ब्लैक फंगल डरा रहा है, डॉक्टरों में स्टेरॉयड लगाकर इन्हें ठीक तो किया, मगर इसके साईड इफेक्ट्स अब जानलेवा बन रहे हैं. राजस्थान यूनिवर्सिटी फॉर हेल्थ साइंसेज के जयपुरिया अस्पताल में ब्लैक फंगस की जांच शुरू हो गई है. अधीक्षक डॉक्टर सुनीत सिंह राणावत के मुताबिक, अभी तीन मरीज हमारे पास हैं, हमारे ENT सर्जन डॉक्टर देवेंद्र पुरोहित उपचार कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि RUHS एवं SMS मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ न्यूरो एवं ENT सर्जन मिलकर इस बीमारी पर साथ काम करें, इसके लिए सरकारी स्तर पर प्रयास शुरू हुए हैं. डॉक्टर सुनीत सिंह राणावत के अनुसार इसके लिए डेडिकेटेड वार्ड बनाया गया है. विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम बनाई गई है, जो घण्टे भर में जांच कर बीमारी का पता लगाती है. जांच लेप्रोस्कोपी और बायोप्सी की मदद से की जा रही है, जल्द ही अस्पताल में सर्जरी शुरू करने की तैयारियां है, संसाधन जुटाए जा रहे हैं. क्या है ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइसिस) रोग ? जयपुरिया अस्पताल में मेडिसिन विभाग के  डॉक्टर प्रह्लाद धाकड़ बताते हैं, “म्यूकोरमाइसिस फंगस (Black Fungus) इंफेक्शन से जुड़ी बीमारी है. यह एक तरह के फंगस या फफूंद से फैलती है. इस फंगस के स्पोर्स या विषाणु वातावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं. आमतौर पर इनसे कोई ख़तरा नहीं, लेकिन अगर शरीर का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो, तो ये जानलेवा साबित हो जाते हैं. शुगर के मरीज इस बीमारी के ज्यादा ज्यादा शिकार हो रहे हैं. इस रोग में आंख की नसों के पास फंगस इंफेक्शन जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटिनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है. इसकी वजह से आंखों की रोशनी चली जाती है.”कैसे शरीर हो प्रभावित करता है ब्लैक फंगस डॉक्टर प्रह्लाद धाकड़ कहते हैं, आंख, नाक के रास्ते ये फंगस दिमाग तक पहुंचता है और इस दौरान रास्ते में आने वाली हड्डी और त्वचा को नष्ट कर देता है. इसमें मृत्यु दर काफी ज्यादा है. जयपुरिया हॉस्पिटल की ही वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉक्टर मधु गुप्ता न्यूज 18 को बताती हैं, “यह फंगस  घातक तो हैं, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है, जो पेशेंट बहुत ज्यादा दिन तक ऑक्सीजन और वेन्टिलेटर्स के सपोर्ट पर रहते हैं और जिनका शुगर अनकंट्रोल है, उनमें से ही किसी किसी को ही ये फंगस अपना शिकार बना रहा है. ब्लैक फंगस के लक्षण
डॉक्टर प्रह्लाद धाकड़ के मुताबिक,अगर  इस रोग में अभी तक सिर में बहुत ज्यादा दर्द, आंखों में रेडनेस, आंखों से पानी आना, आंखों के मूवमेंट का बंद हो जाना जैसी परेशानियां देखी गई हैं. इस बीमारी के लक्षणों में नाक जाम होना, आंखों और गालों पर सूजन या पूरा चेहरा फूल जाना भी शामिल हैं. कई बार नाक पर काली पपड़ी जमने लग जाती है. आंखों के नीचे दर्द या सिर में दर्द और बुखार भी इसके लक्षण हैं. यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है, जहां से यह ऊपरी जबड़े तक जाता है और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है. जयपुर हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉक्टर राजवेंद्र चौधरी और SMS मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जन डॉक्टर मुकेश भास्कर बीमारी के बढ़ने के तीन प्रमुख कारण मानते हैं, जिसमें कोरोना, डायबिटीज और स्टेरॉइड्स का बेलगाम इस्तेमाल शामिल है. पहले से ही कुछ बीमारियों से पीड़ित कोविड मरीज में दूसरे रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है. मरीजों का शरीर बाहरी इंफेक्शन से मुकाबला नहीं कर पाता और इसी वक्त यह फंगस हमला बोलता है. ब्लैक फंगस का इलाज क्या है? जयपुर हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉक्टर राजवेंद्र चौधरी के मुताबिक, म्यूकोरमाइसिस एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है, जो नाक और आंख से होता हुआ ब्रेन तक पहुंच जाता है और मरीज की मौत हो जाती है. अगर म्यूकोरमाइसिस बीमारी है का समय रहते पता चल जाए तो इलाज संभव है. इसका एक इलाज है कि इसके लक्षणों को जल्द से जल्द पहचानें और डॉक्टर से संपर्क करें. कोविड से लड़कर आए लोगों को खासतौर पर इसके लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए.

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