जरा बच कर : बारिश में नदी नालों से निकलने लगे खतरनाक जीव, 2 दिन में बस्ती में मिले 5 मगरमच्छ

कोटा. बारिश शुरू हुई नहीं कि जहरीले और पानी में रहने वाले जीव जन्तुओं का निकलना शुरू हो गया. कोटा में तो मगरमच्छ बाहर निकल आए हैं. अब वो कहीं गाड़ी के नीचे आराम फरमाते दिख रहे हैं तो कहीं घर के अहाते में बैठे हैं. 2 दिन में 5 मगरमच्छ वन विभाग की टीम पकड़ चुकी है.
कोटा में बारिश के बाद मगरमच्छ निकलने की घटनाएं एकदम से बढ़ गयी हैं. फारेस्ट विभाग की टीम 2 दिन में 5 मगरमच्छ पकड़ चुकी है. सभी को पकड़कर डैम में सुरक्षित छोड़ दिया गया. ये मगरमच्छ आवासीय इलाकों में आ गए थे. इनकी लम्बी 3 से 5 फीट के आसपास है.
2 दिन में 5 मगरवनकर्मी वीरेंद्र सिंह ने बताया आज सुबह रायपुरा स्थित रॉयलपार्क इलाके में मगरमच्छ आने की सूचना मिली. लाडपुरा रेंजर संजय नागर के निर्देश पर सुबह साढ़े 10 बजे करीब टीम मौके पर गई. वहां देखा तो आवासीय कॉलोनी में मकान के बाहर सड़क पर खड़ी कार के पास साढ़े तीन फीट लंबा मगरमच्छ बैठा था. कॉलोनी में लोगों की भीड़ लगी थी. गाड़ी को मौके से हटाकर सावधानीपूर्वक मगरमच्छ को पकड़ा. उसके बाद मालारोड स्थित आर्मी एरिया में हाड़ौती गेट के पास मगरमच्छ के घुसने की जानकारी मिली. फारेस्ट की टीम मौके पर गई. वहां नाले के ऊपर 4 फीट लंबा मगरमच्छ मिला. जिसे सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू किया.
नींव में मगरमच्छरविवार को तुलसी रिसोर्ट के पास निर्माणाधीन बिल्डिंग की नींव में 4 फीट लंबा मगरमच्छ बैठा था. मजदूर नींव का काम करने लगे तब उनकी नजर. मौके पर जाकर मगरमच्छ को रेस्क्यू किया. अर्जुनपुरा रोड पर भी 4 फीट लंबा मगरमच्छ दिखा जिसे रेस्क्यू किया. एक मगरमच्छ तुलसी रिसोर्ट के पास निर्माणाधीन बिल्डिंग के टैंक में चला गया. उसे बड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला जा सका. ये मगरमच्छ भी तीन फीट लंबा था.
नाले-नहर से आए मगरमच्छवीरेंद्र ने बताया मानपुरा से अर्जुनपुरा तक नहर है. इसके पास ही नाला गुजर रहा है. जो आगे जाकर चन्द्रेशल नदी में गिरता है. सम्भवतया बारिश के बाद इसी नहर और नाले से मगरमच्छ बाहर निकलकर आए होंगे.
दलदल में फंसी नीलगायमुकंदरा टाइगर रिजर्व के पास एक नीलगाय दलदल में फंस गयी थी. फॉरेस्ट नाका प्रभारी ने उसकी जान बचाई. दलदल में फंसने से उसके पैर अकड़ गए थे इसलिए बाहर नहीं निकल पा रही थी. फॉरेस्टकर्मी ने दलदल में उतरकर जैसे तैसे नील गाय को बाहर निकाला. बाहर निकालने के बाद भी काफी देर तक नील गाय अपने पैर सीधे नहीं कर सकी. फारेस्ट कर्मी ने आसपास से पेड़ के हरे पत्ते इकठ्ठे कर चारे की व्यवस्था कर उसे खिलाया. फिर पेड़ की छांव में छोड़कर गश्त पर निकल गए.
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FIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 19:07 IST