दूधवाले की बेटी ने जीता गोल्ड मेडल, एशियन कुश्ती प्रतियोगिता में बनी चैंपियन-milkmans-daughter-won-gold-medal-in-asian-wrestling-competition

भीलवाड़ा : भीलवाड़ा को पहलवानों की मिनी नर्सरी भी कहे तो इसमें कोई एतराज नहीं होगा. क्योंकि भीलवाड़ा के खिलाड़ियों ने प्रदेश ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर जिले को कई मेडल हासिल करवाए हैं. भीलवाड़ा शहर की रहने वाली बेटी कशिश गुर्जर ने जॉर्डन की अमान सिटी में आयोजित हुई अंतर्राष्ट्रीय एशियन कुश्ती प्रतियोगिता में अपना परचम लहराते हुए 43 किलोभार वर्ग में गोल्ड मेडल हासिल किया है.
गोल्ड मेडलिस्ट कशिश गुर्जर का भीलवाड़ा पहुंचने पर भीलवाड़ा के रेलवे स्टेशन पर परिजनों और खेल प्रेमियों ने ढोल नगाड़े और आतिशबाजी के साथ स्वागत किया. इस दौरान कशिश गुर्जर को जीत की बधाई भी दी.
भीलवाड़ा की इस बेटी कशिश गुर्जर ने भीलवाड़ा और पूरे भारत देश का नाम दुनिया में रोशन किया है. भीलवाड़ा की बेटी कशिश अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और कोच को देना चाहती है और आगामी दिनों में वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक के लिए तैयारी कर रही है. इसमे सबसे खास बात यह हैं कि पहलवान कशिश गुर्जर को यह कामियाबी हासिल करवाने में उसके पिता नारायण लाल का बड़ा हाथ हैं जो शहर में दूध बेचने का काम करते हैं.
पहलवान कशिश गुर्जर के कोच बबलू गुर्जर ने कहा कि जॉर्डन में आयोजित हुई एशियन कुश्ती प्रतियोगिता में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता हैं. कशिश गुर्जर का अपने खेल के प्रति जुनून काफी अनोखा है. और कशिश के माता-पिता का भी कुश्ती को लेकर पूरा सपोर्ट रहा है. कशिश गुर्जर रोजाना सुबह शाम 3 से 4 घंटे कुश्ती की प्रैक्टिस करती है. और अब आने वाले दिनों में आयोजित होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक में भाग लेने के लिए कशिश तैयारी करेगी.
वहीं गोल्ड मेडलिस्ट कशिश गुर्जर ने कहा कि एशियन कुश्ती प्रतियोगिता मैंने गोल्ड मेडल हासिल किया है मुझे इस बात की बहुत खुशी है और मैं अपनी इस सफलता का श्रेय मेरे माता-पिता और कोच बबलू गुर्जर को देना चाहती हूं. अब मैं वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक के लिए तैयारी कर रही हूं मैं अन्य बेटियों को यह संदेश देना चाहती हूं कि खेल में मेहनत करके देश के लिए नाम रोशन करना चाहिए.
पिता करते हैं दूध बचने का कामवहीं दूसरी तरफ कशिश गुर्जर के पिता नारायण गुर्जर ने कहा कि मैं दूध बेचने का काम करता हूं. मैं अपनी बेटी के सपने को अपना सपना माना और उसके लिए जी जान से संघर्ष करके उसे कुश्ती की और आगे अग्रसर कर रहा हूं. मेरी बेटी के भविष्य और खुशी के लिए मुझसे जो बल हो रहा है में वह भरपूर कर रहा हू. मुझे काफी खुशी है कि आज मेरी बेटी ने देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है. दूध बेचकर कुश्ती में उसे जो भी चाहिए होता है वह उसे दिलाता हूं.
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FIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 20:45 IST