Rajasthan

खराब की फसल का बचा अवशेष अब रबी की फसल का बढ़ाएगा उत्पादन, ये तकनीक नेचुरल उर्वरता बढ़ाएगी 

Last Updated:November 26, 2025, 20:02 IST

Agriculture News खरीफ की फसल कटने के बाद खेत में बचे अवशेष को कई किसान जला देते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता घटती और प्रदूषण बढ़ता है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इन्हें मिट्टी में मिलाने से नेचुरल खाद बनती है, सूक्ष्म जीव सक्रिय होते हैं और पानी की बचत भी होती है. इससे रबी की फसल मजबूत और पैदावार ज्यादा मिलती है.agriculture News

सीकर : खरीफ की फसल का सीजन खत्म होने के बाद अब रबी की फसल बुवाई का समय चल रहा है. इसे में किसान खरीफ के फसलों के बचे हुए अवशेष से खेत के लिए नेचुरल खाद तैयार कर सकते हैं. कुछ किसान फसल काटने के बाद बचे हुए अवशेष को जला देते हैं इनको जलाने की बजाय जमीन में मिलाना ज्यादा अच्छा ऑप्शन है, इससे मिट्टी को मजबूती मिलती हैं और मिट्टी की नेचुरल उर्वरता धीरे धीरे बढ़ती हैं. इससे किसानों को फसल का उत्पादन भी अधिक मिलता है.

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एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि खरीफ फसलों के अवशेष में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और कार्बनिक पदार्थ होते हैं, जिनसे मिट्टी को पोषण मिलता हैं और इससे मिट्टी को उर्वरता बढ़ती हैं. इसके अलावा सूक्ष्म जीव एक्टिव हो जाते हैं. इस प्रोसेस से प्राकृतिक रूप से खाद मिलती हैं जिससे अगली रबी फसल को मजबूत आधार मिलता हैं. इससे किसानों को कीटनाशकों का छिड़काव भी नहीं करना पड़ता और पैदावार भी बढ़ती है.

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इस प्रकिया की खास बात ये है कि इसमें फसल के अवशेष को मिट्टी में मिलाने से जो पानी भाप बनकर उड़ जाता हैं और खेत में उपयोग नहीं हो पाता उसे भी बचाया जा सकता हैं. यह मिट्टी में मल्चिंग इफेक्ट भी पैदा होता हैं, जिससे पानी कम वाष्पित होता हैं. जिन क्षेत्रों में बारिश कम होती है या नहरी पानी सीमित है, वहां यह तरीका विशेष रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है. इससे किसानों की सिंचाई लागत भी घटती है.

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एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि जब अवशेष मिट्टी में सड़ते हैं, तो जैविक खाद का निर्माण होता है. यह खाद मिट्टी की पकड़ बढ़ाती है और उसकी बनावट सुधारती है. लंबे समय में यह प्रक्रिया मिट्टी के कटाव को कम करती है और बार-बार रासायनिक खाद डालने की जरूरत भी घटाती है. इससे खेती अधिक टिकाऊ बनती है. उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाने के बाद उनकी उपज में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

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वर्तमान में बढ़ रहे प्रदूषण जिसमे मिट्टी भी प्रदूषित होती हैं में इस प्रक्रिया से फिर से मिट्टी की पोषणता बढ़ाई जा सकती है. इसलिए ये पर्यावरण की दृष्टि से भी यह तरीका बेहद फायदेमंद है. कुछ किसान फसलों को जलाते है फसल जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जबकि जमीन में मिलाने से कार्बन मिट्टी में ही सुरक्षित रहता है. इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है और खेत की गुणवत्ता लंबे तक बनी रहती है. यह तरीका किसान और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद होता है.

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एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि फसल के बचे बेकार अवशेष स्मार्ट खेती खेती के काम आ सकते हैं. ये तरीका पारंपरिक और जैविक खेती करने वाले किसानों के सबसे अधिक फायदेमंद है. लगातार बढ़ते जा रहे कीटनाशकों के छिड़काव में यह तरीका मिट्टी के उपजाऊपन को बरकर रखता है और खेती में होने वाले आवश्यक खर्चे को भी रोकता है. इस प्रकिया को अपनाकर किसान लंबे समय तक एक ही खेत में लगातार फसल उपजा सकते हैं और मुनाफा कमा सकते है.

First Published :

November 26, 2025, 20:02 IST

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खरीफ अवशेष अब रबी की पैदावार बढ़ाएगा, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने की नेचुरल तकनीक

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