Rajasthan

8 महीने की प्रेग्नेंट योषिता देने गईं थी इंटरव्यू…दिन में हुई बेटी, शाम को आया RAS का रिजल्ट…बनीं अधिकारी

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. कहते है कि बेटी जब ससुराल चली जाती है तो उसका घर वहीं होता है, लेकिन बेटी के मां-बाबा का साथ उसके साथ ताउम्र रहता है. कई बार मां-बाबा का यह साथ बिटिया को कुछ से कोहिनूर बना देता है. ऐसी ही कहानी है बाड़मेर की एक बेटी योषिता कल्ला की.

बाड़मेर शहर के बेरियों का वास निवासी योषिता की शादी बेंगलुरु में हुई लेकिन कुछ करने का जज़्बा उनमें था. बेंगलुरु में रहते हुए राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी की. जब किताबों की कमी पड़ी तो शिक्षक पिता राजेश कल्ला, मां गायत्री कल्ला ने कई बार किताबें कुरियर की. कई बार तो यह कुरियर 10 किलो वजन के थे. योषिता के पति हर्षवर्धन ने उनको हर दिन कुछ करने का हौसला दिया.

योषिता की प्रारंभिक पढ़ाई बाड़मेर से हुई. उसके बाद वनस्थली जयपुर से बीएससी मैथमेटिक्स एव कम्प्यूटर साइंस से करने के बाद बेंगलुरू से आरएएस की तैयारी की और दूसरे ही प्रयास में 393वीं रैंक के साथ सफलता हासिल की है. माता गायत्री कल्ला व पिता राजेश कल्ला, भाई तन्मय कल्ला और पति हर्षवर्धन ने खूब सहयोग किया.

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योषिता बताती है कि जब वह अजमेर में आरएएस का इंटरव्यू देने गई तब वह 8 महीने की प्रेग्नेंट थी. बहुत तकलीफ से उन्होंने उस इंटरव्यू को फाइट किया. योषिता के बेटी हुई और जिस दिन उन्होंने अपनी बेटी का नाम प्रहर्षिता दिया, उसी शाम को उनके आरएएस का परिणाम आया. वह बताती हैं कि 393 रैंक से उन्होंने यह सफलता हासिल की है जिसके पीछे उनके मायके के वे कुरियर है जो बाड़मेर से बेंगलुरु आते थे.

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योषिता कल्ला बताती है कि शुरुआत से ही सिविल सर्विसेज में जाने की इच्छा थी. शादी से पहले माता-पिता और भाई का साथ मिला और शादी के बाद पति,सास-ससुर ने भी खूब सहयोग किया, जिसकी बदौलत ससुराल में सेल्फ स्टडी कर आरएएस बनाने का सपना पूरा किया है. इंटरव्यू के दौरान वह 8 माह की गर्भवती थी. वह बताती है कि इंटरव्यू के दौरान मेरी बेटी मेरा मोटिवेशन थी जिसकी बदौलत ही आरएएस का सपना दूसरे प्रयास में पूरा किया है.

Tags: Barmer news, Local18, RPSC Results, Sarkari Naukri, Success Story

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