राजस्थान: जैसलमेर में 4 चिंकारा हिरणों का शिकार, मांस के टुकड़े देखकर भड़के लोग, पुलिस पहुंची

हाइलाइट्स
राजकीय पशु के जीवन पर गहराया संकट
शिकारियों ने किया चार चिंकारा हिरणों का शिकार
वन विभाग ने मामला दर्ज कर शुरू की शिकारियों की तलाश
सांवलदान रतनू.
जैसलमेर. धोरों की धरती जैसलमेर में राजकीय पशु चिंकारा के जीवन पर संकट गहराता जा रहा है. यहां अज्ञात शिकारियों की ओर से चार चिंकारा हिरणों के शिकार की घटना सामने आने के बाद इलाके में आक्रोश है. यहां वन्यजीव प्रेमियों को चिंकारा हिरणों के अवशेष मिले हैं. वन्यजीव प्रेमियों की सूचना के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची. यह घटना जिले के भाखरी थाना क्षेत्र के भणियाणा गांव की बताई जा रही है.
भणियाणा थानाप्रभारी अशोक बिश्नोई ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर शिकारियों की तलाश तेज कर दी है. घटनास्थल पर तीन चिंकारा हिरणों के शव के अवशेष मिले हैं. वहीं एक चिंकारा हिरण का भ्रूण भी मिला है. मौके पर पहुंची पुलिस को हिरण के 12 पैर, दो सिर और साथ में खून के निशान मिले हैं. इसकी वजह से यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि शिकारी चिंकारा हिरणों के शरीर को काटकर ले गए हैं. विभाग टीम ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
आए दिन बढ़ रहीं शिकार की घटनाएं
गौरतलब है कि जैसलमेर जिले में आए दिन चिंकारा हिरणों के शिकार की वारदातें सामने आ रही हैं. इसको लेकर वन विभाग की ओर से कोई गंभीर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. शिकारियों के अलावा आवारा कुत्तों द्वारा भी बड़ी मात्रा में चिंकारा हिरण के शिकार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. इसके अलावा पिछले साल 100 से ज्यादा चिंकारा हिरणों की अकाल मृत्यु हो गई थी. वन्य प्रेमियों के मुताबिक चिंकारा हिरणों की अकाल मौत का सबसे बड़ा कारण रेगिस्तान क्षेत्र में फैल रहे सोलर पार्क और उनकी चारदीवारी है. वन्य जीवों के विचरण के लिए जो प्राकृतिक मार्ग थे उन्हें लगातार अवरुद्ध करने की कोशिश की जा रही है.
प्रदेश में लगातार घट रहे हैं चिंकारा
राजस्थान का वन विभाग हर साल वन्यजीवों की गणना कराता है. इस गणना के मुताबिक चिंकारा हिरणों की संख्या में साल दर साल गिरावट देखने को मिल रही है. वाटरहोल पद्धति के माध्यम से होने वाली इस गणना के मुताबिक 2018 में राजस्थान के भीतर चिंकारा हिरणों की संख्या 47640 हुआ करती थी. 2019 में घटकर यह संख्या 42590 रह गई. 2020 में महज 41 हजार के आसपास हो गई और 2021 में कोरोना के चलते गणना नहीं हो पाई थी.
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FIRST PUBLISHED : July 23, 2023, 18:36 IST