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Explained: भारत के ये 4 यार, जिसने पाकिस्तान का हर अटैक किया नाकाम, तुर्की-चीन तक चला गया मैसेज

भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जब पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह किया तो पाकिस्तान पूरी तरह बौखला उठा. भारत ने यह ऑपरेशन पहलगाम आतंकी हमले के गुनहगारों से बदला चुकता करने के लिए चलाया था, लेकिन तीर सीधा पाकिस्तान आर्मी के सीने में चुभा. इसी बौखलाहट ने उसने भारतीय सीमा पर ड्रोन और मिसाइलों से ताबड़तोड़ हमला कर दिया. हालांकि अपनी इस चाल में पाकिस्तान पूरी तरह नाकामयाब रहा. भारतीय रक्षा कवच की चार परतों के सामने तुर्की के सारे ड्रोन और चीनी मिसाइलें भी फुस्स हो गईं.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने हिन्दू पर्यटकों का नरसंहार कर दिया था. यहां बैसरन घाटी ने इन आतंकियों ने पर्यटकों का धर्म पूछकर 26 लोगों को गोली मार दी, जिनमें से अधिकतर हिन्दू धर्म से थे. भारत ने इस नरसंहार का बदला लेने के लिए 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया. इस ऑपरेशन में इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी कैंप पर सटीक हमला किया. महज 26 मिनट के इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया.

पाकिस्तान के सारे हमले नाकाम

अपने पाले आतंकियों की मौत से पाकिस्तान बौखला उठा और उसने भारतीय सीमा पर जवाबी हमलों की बौछार कर दी. हालांकि भारतीय वायुसेना की एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली ने उनके तमाम मंसूबों पर पानी फेर दिया. इंडियन एयरफोर्स की इस इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) में रूस से मिली S-400 ट्रायंफ सिस्टम, स्वदेशी ‘आकाश’ और ‘समर’ मिसाइलें, मीडियम रेंज सतह-से-हवा मिसाइल (बराक-8), एंटी-ड्रोन सिस्टम्स शामिल है, जिसने इस हमले के दौरान भारतीय सरजमीं की बखूबी हिफाजत की.

भारत के रक्षा कवच में ये सारे तीर

भारत की बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली दुश्मन के हवाई खतरों से देश की सुरक्षा के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करती है. यह प्रणाली कई स्तरों में बंटी हुई है, जिसमें हर परत अलग-अलग दूरी से आने वाले खतरों को रोकने में सक्षम है.

इसका सबसे अंदरूनी स्तर बहुत कम दूरी से आने वाले हवाई खतरों के लिए होता है, जैसे कि कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन. इस स्तर पर काउंटर ड्रोन सिस्टम, एल-70 और ZSU-23 शिल्का जैसे एंटी-एयरक्राफ्ट गन और कंधे पर रखकर दागी जाने वाली मिसाइलें यानी MANPADS तैनात की जाती हैं.

इसके बाद दूसरा स्तर आता है, जिसे बिंदु रक्षा प्रणाली कहा जाता है. यह किसी विशेष क्षेत्र या महत्वपूर्ण संपत्ति की सुरक्षा करता है. इसमें स्पाइडर, पेचोरा और ओसा-AK जैसी छोटी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें शामिल होती हैं.

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तीसरे स्तर पर मध्यम दूरी की मिसाइलें होती हैं, जैसे स्वदेशी ‘आकाश’ मिसाइल और भारत-इजराइल की मिलकर बनाया MRSAM सिस्टम. ये प्रणाली अपेक्षाकृत अधिक दूरी से आने वाले खतरों को नष्ट करने में सक्षम होती हैं.

सबसे बाहरी परत लंबी दूरी से देश की रक्षा करने का काम करती है. इस स्तर पर रूस से प्राप्त S-400 ट्रायंफ मिसाइल प्रणाली और भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान तैनात होते हैं, जो दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को सीमा पार से ही रोकने में सक्षम हैं.

चार परतों में बंटी रक्षा प्रणाली

पहली परत : एल-70, इग्ला, ज़ू-23-28 बंदूकें, स्ट्रेला, शिल्का और तुंगुस्का (10 किमी तक रेंज) शामिल हैं

दूसरी परत : इसमें आकाश, स्पाइडर, समर, पेचोरा (50 किमी तक रेंज) शामिल हैं.

तीसरी परत : मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (बराक और रक्षा-100 किमी रेंज)

चौथी परत : S-400 (400 किमी रंज)

आकाश ने तो सीना चौड़ा कर दिया

इस एयर डिफेंस ग्रिड में पुराने लेकिन प्रभावशाली हथियार जैसे पेचोरा, ओसा-AK और AD गनों की अहम भूमिका रही. वायुसेना अधिकारी अवधेश कुमार भारती ने बताया, ‘इस एयर डिफेंस सिस्टम ने दुश्मन के हर हवाई हथियार को बेअसर कर दिया. इस दौरान देसी आकाश सिस्टम का प्रदर्शन खास तौर से काबिले तारीफ रहा.’

भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने चीन की PL-15 मिसाइलों, लंबी दूरी के रॉकेटों, लटरिंग म्यूनिशन और तुर्की में बने ड्रोन का मिट्टी में मिला दिया.

इस दौरान भारतीय नौसेना ने सीमा की हिफाजत में बड़ी भूमिका निभाई. नौसेना के डायरेक्टर जनरल ऑपरेशन्स वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने बताया कि एयरक्राफ्ट कैरियर और MiG-29K लड़ाकू विमानों की तैनाती ने पाकिस्तानी हवाई ताकत को अरब सागर में मकरान तट के पास ही सीमित कर दिया, जिससे समुद्री क्षेत्र में कोई खतरा उत्पन्न नहीं हुआ.

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