हेलीकॉप्टर से गिराए गए थे बीज, अब बड़े होकर राजस्थान में बने किसानों के दुश्मन

जयपुर: विलायती बबूल को किसानों का दुश्मन कहा जाता है. इस पौधे को अरावली क्षेत्र को हरा भरा करने की मुहिम के तहत लगाया गया था. जयपुर ग्रामीण के उन्नत किसान लाल सिंह चौधरी ने बताया कि वर्षों पहले राजस्थान को हरा-भरा करने के लिए हेलीकॉप्टर से विलायती बबूल के बीजों की वर्षा की गई थी, इसके बाद देखते ही देखते हर जगह विलायती बबूल नजर आने लगे. विलायती बबूल के कारण अन्य वनस्पति बहुत तेजी से खत्म होने लगी और चारागाह की समस्या भी सामने आ गई. यह पेड़ पक्षियों के लिए भी घातक होता है.
कैसा होता है विलायती बबूल यह पेड़ 2 से 6 मीटर तक लंबा होता है. इसमें छोटी-छोटी हरे रंग की पत्तियां होती हैं. इसकी जड़ें लंबी और मोटी होती हैं. इनकी शाखाओं पर कांटे होते हैं और 6 से 10 सेंटीमीटर लंबी फलियां होती हैं. यह पौधा बंजर क्षेत्र में आसानी से उग जाता है. विलायती बबूल की लकड़ी केवल ईंधन के रूप में इस्तेमाल की जाती है.
किसानों का दुश्मन है विलायती बबूलउन्नत किसान लाल सिंह चौधरी ने बताया कि विलायती बबूल का पेड़ सबसे ज्यादा किसानों के लिए नुकसानदायक है. इस पेड़ के कारण खेती की मिट्टी अनुपजाऊ बन जाती है. इस पेड़ के कारण अन्य वनस्पति नहीं उग पाती है. विलायती बबूल ने चारागाह क्षेत्र को भी नष्ट कर दिया है. मजबूरन किसानों को इस पेड़ को काटना पड़ता है. इस पेड़ के कारण किसानों को पशु चरण की बड़ी समस्या से गुजरना है पड़ता है. इसके अलावा अगर एक पौधा विलायती बबूल का उग जाता है तो उसके आसपास बहुत सारे पौधे उगते हैं जो अन्य वनस्पति को विकसित नहीं होने देते हैं.कैसे हटाएं बाबूल का पेड़वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस समय बड़ी संख्या में विलायती बबूल को हटाया जा रहा है. इन पेड़ों को जड़ से हटाने में लगभग तीन साल तक का समय लग जाता है. इस पेड़ को जड़ से हटाना जरूरी है क्योंकि जड़ से नहीं हटने पर यह दोबारा अंकुरित हो जाता है. इस पेड़ के कारण अन्य वनस्पति ग्रोथ नहीं कर पाती हैं. इस पेड़ के बीज को भी नष्ट करना जरूरी है होता है. इसे हटाने के बाद इसकी जगह पर किसी अन्य पेड़ को जरूर लगाएं.
FIRST PUBLISHED : October 16, 2024, 21:00 IST