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राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023: दलितों वोटों की जोर आजमाइश, बीजेपी कांग्रेस और बसपा में मचा घमासान

हाइलाइट्स

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 अपडेट
दलितों को लेकर बीजेपी, कांग्रेस और बसपा का दावा
राजस्थान में एससी के लिए 34 विधानसभा सीटें रिजर्व हैं

जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले दलितों को लुभाने की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. बीजेपी और कांग्रेस से लेकर दूसरी पार्टियां दलितों पर डोरे डालकर खुद को उनका हमदर्द साबित करने की कोशिश कर रही हैं. वे खुद को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Baba Saheb Bhimrao Ambedkar) का असली वारिस बताने तक से नहीं चूक रही हैं. राजस्थान में 34 सीट एससी के लिए रिजर्व हैं. पिछले दिनों बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर जयकारे लगाते उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया बीजेपी को दलितों की सच्ची हमदर्द पार्टी करार दे रहे थे.

पूनिया इसके साथ ही दावा भी कर रहे थे कि मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में भारत में अनुसूचित जाति का न केवल विकास तेजी से हुआ है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें पूरा सम्मान देने में भी केंद्र की सरकार ने अहम भूमिका निभाई है. पूनिया का दावा है कि पीएम आवास से लेकर प्रधानमंत्री अन्न योजना तक का सीधा फायदा दलितों को मिला है.

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पूनिया ने किया है ये बड़ा दावा
बकौल पूनिया इसलिए चुनाव में बीजेपी को भी उम्मीद है कि दलित उसका ही साथ देंगे. यही नहीं मोदी सरकार बाबा साहेब के जीवन से जुड़े पांच महत्वपूर्ण स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित कर रही हैं. इनमें मध्यप्रदेश का महू जहां बाबा साहेब के जन्म हुआ उसे उनके जन्म स्थली के रूप में विकसित किया जा रहा है. दूसरी दीक्षा भूमि नागपुर जहां बाबा साहब ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली.

मुंबई में बाबा साहब का राष्ट्रीय स्मारक रहा है
तीसरा मुंबई का इंदु मिल जहां बाबा साहब का राष्ट्रीय स्मारक बन रहा है. चौथा लंदन का वह घर जहां बाबा साहब ने रहकर वकालत की शिक्षा ली. उसे भारत सरकार खरीद कर विकसित कर रही है. पांचवां दिल्ली के हलीपुर में वो घर जहां बाबा साहेब ने अंतिम सांस ली. उस स्थान को भारत सरकार संविधान निर्माता के स्मृति के रूप में विकसित कर रही है.

कांग्रेस पार्टी का यह है तर्क
दूसरी तरफ कांग्रेस ने बीजेपी को दलित विरोधी पार्टी करार दिया है. पीडब्ल्यूडी मंत्री भजनलाल जाटव ने कहा कि बीजेपी का दलित प्रेम दिखावा है. असल में बीजेपी सिर्फ दलितों के वोट लेती है और फिर उनकी तरफ झांकती तक नहीं है. उन्होंने दावा किया कि सीएम गहलोत ने दलितों को समर्पित एक से बढ़कर एक योजनाओं की सौगात दी है. महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर दलितों के स्वाभिमान और आत्मसम्मान को बढ़ाया है. इसलिए इस बार अनुसूचित जाति एकतरफा कांग्रेस को ही वोट करेगी.

रावण की पार्टी बसपा की राह में रोड़े बिछा रही है
बसपा दलितों के भरोसे ही चुनाव मैदान में उतरती है. वर्ष 2018 में पार्टी ने छह सीटों पर जीत का परचम लहराया था लेकिन बाद में सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गये. यही हाल पार्टी का 2008 में हुआ था. उस समय उसकी टिकट पर जीते सभी विधायक कांग्रेस में चले गये थे. इस बार पार्टी पूरी ताकत से काडर खड़ा कर समर्पित कार्यकर्ताओं को टिकट देने का दावा कर रही है. लेकिन उसकी राह में चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी है. वह दलित युवाओं की पसंद बनकर उभर रही है.

दलित कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है
दलित कांग्रेस का परंपरागत वोट है. वो इसे हर हाल में अपने साथ बनाए रखना चाहती है. कांग्रेस बीजेपी को आरक्षण और संविधान विरोध बताकर इस वर्ग को अपने साथ रखने का प्रयास करती नजर आ रही है. वहीं बीजेपी कांग्रेस के इस वोट को हासिल करने के लिए पंचतीर्थ से लेकर गरीब कल्याण की योजनाएं गिनाती है. इसलिए दलितों के वोट के लिए कश्मकश जारी है.

Tags: BJP Congress, BSP, Jaipur news, Rajasthan news, Rajasthan Politics

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