Rajasthan

Rajasthan Assembly Budget Session Governer Kalraj Mishra Jaipur News – राजस्थान के इतिहास में पहली बार बजट सत्र को खत्म किए बिना शुरू होगी सत्र की कार्यवाही

आपको यह जानकर हैरानी होगी…राजस्थान में पहली बार विधानसभा के बजट सत्र को खत्म किए बिना साढ़े पांच माह बाद फिर से विधानसभा की कार्यवाही शुरू होगी। सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद विधानसभा सत्र बुलाने पर राज्यपाल और सरकार के बीच हुए टकराव की वजह से ऐसा किया गया था। सरकार के इस कृत्य को लेकर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने नाराजगी जताते हुए विधानसभा सचिव को पत्र लिखा है।

जयपुर।

आपको यह जानकर हैरानी होगी…राजस्थान में पहली बार विधानसभा के बजट सत्र को खत्म किए बिना साढ़े पांच माह बाद फिर से विधानसभा की कार्यवाही शुरू होगी। सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद विधानसभा सत्र बुलाने पर राज्यपाल और सरकार के बीच हुए टकराव की वजह से ऐसा किया गया था। सरकार के इस कृत्य को लेकर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने नाराजगी जताते हुए विधानसभा सचिव को पत्र लिखा है।

राठौड़ ने कहा कि बजट सत्र का सत्रावसान करने के लिए सरकार ने फाइल राजभवन को नहीं भेजी। सरकार के इस कृत्य से सीधे तौर पर राज्यपाल के अधिकारों का अतिक्रमण हो रहा है। यह लोकतंत्र का अपमान है। राठौड़ ने पत्र में संविधान के आर्टिकल 174 के साथ कई अन्य सवाल भी खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि सत्रावसान किए बिना सत्र आहुत करने से विधायक प्रश्न पूछने से भी वंचित रह जाएंगे। उन्होंने मांग की है कि विधानसभा का सत्रावसान कर राज्यपाल से विधानसभा आहुत करवाई जाए। आपको बता दें कि राज्यपाल से हुए टकराव के बाद सरकार ने दिल्ली की तर्ज पर सत्रावसान के लिए राज्यपाल को फाइल ही नहीं भेजने का नया रास्ता निकाला है।

18 सितम्बर से पहले सत्र बुलाना था जरूरी

बजट सत्र की कार्यवाही 19 मार्च को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई थी। छह महीने के भीतर एक बार विधानसभा की बैठक बुलाना अनिवार्य होता है। इस हिसाब से 18 सितंबर तक विधानसभा की बैठक बुलाना जरूरी था। इसी को देखते हुए बिना सत्रावसान के विधानसभा की अगली बैठक 9 सितंबर को बुलाई गई है।

यूं हुआ था टकराव

सचिन पायलट खेमे की बगावत के वक्त सरकार 31 जुलाई 2020 से पहले विधानसभा सत्र बुलाना चाहती थी। इसके लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कर फाइल राज्यपाल को भेजी थी। मगर राज्यपाल ने 21 दिन पहले नोटिस देकर अचानक सत्र बुलाने का कारण पूछते हुए फाइल को लौटा दिया था। इसके बाद सरकार ने तीन बार राजभवन फाइल भेजी, तीनों बार फाइल लौटा दी। मुख्यमंत्री सहित उनके समर्थक कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों ने राजभवन में धरना दिया और नारेबाजी की। इसके बाद राज्यपाल ने 14 अगस्त 2020 से विधानसभा सत्र बुलाने की फाइल को मंजूरी दी थी।

संविधान के आर्टिकल 174 में राज्यपाल के अधिकार

—राज्यपाल, समय-समय पर, राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा, किंतु उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह मास का अंतर नहीं होगा।
—राज्यपाल, समय-समय पर,—
(क) सदन का या किसी सदन का सत्रावसान कर सकेगा
(ख) विधानसभा का विघटन कर सकेगा।

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj