Ravindra Manch#theatre#playTheatre- ‘ ‘ – Theatre- मंच पर ‘रुस्तम ओ सोहराब’

Theatre-रवींद्र मंच पर शुक्रवार को नाटक ‘रुस्तम ओ सोहराब’ का मंचन किया गया है। नाटक एक पिता पुत्र के रिश्ते पर आधारित था।

जयपुर।
रवींद्र मंच पर शुक्रवार को नाटक ‘रुस्तम ओ सोहराब’ का मंचन किया गया है। नाटक एक पिता पुत्र के रिश्ते पर आधारित था। जिसमें ईरान और तूरान की दुश्मनी जंग जारी है। ईरान का मशहूर लड़ाका और सरदार रुस्तम तूरान की सीमा तक शिकार खेलता हुआ पंहुच जाता है। समनगान के सिपाही सोए हुए रुस्तम का घोड़ा चुरा ले जाते हैं। शाहे समनगान की लड़की तहमीना, रुस्तम पर आशिक हो जाती है। बादशाह चुपके से दोनों का ब्याह करा देता है। रुस्तम विदा होते समय तहमीना को एक तोहफा देता है कि अगर लड़का पैदा हो तो उसके बाजू पर बांध कर मेरे पास ईरान भेज देना। सोहराब पैदा होता है, मगर तहमीना रुस्तम को कोई खबर नहीं देती। तूरान के बादशाह अफ्रासियाब को यह पता लग जाता है कि सोहराब रूस्तम का बेटा है। वह रुस्तम और ईरान से बदला लेने के लिए सोहराब को तैयार करता है। सोहराब को यह पता नहीं था कि रुस्तम उसका पिता है। इधर तहमीना सोहराब को बताती है कि वह रुस्तमका बेटा है और रुस्तम का दिया हुआ मोहरा देकर कहती है कि किसी को इसकी खबर ना हो। अब सोहराब ईरान पर इसलिए हमला करना चाहता है कि वह उसे जीत कर रुस्तम को उसका बादशाह बनाएगा। रुस्तम सोहराब में जंग होती है। रुस्तम जंग हार जाता है और अगले दिन युद्ध करने का समय लेता है। दूसरे दिन रुस्तम विजयी होता है और सोहराब को पछाड़ कर उसके सीने में खंजर भोंक देता है तब सोहराब अपने पिता का नाम रुस्तम बताता है। रुस्तम के सबूत मांगने पर बाजू पर बँधा मोहरा दिखाता है जिसे देखकर रुस्तमसोहराब से कहता है कि मैं ही तेरा बदनसीब बाप हूं। सोहराब अपने पिता की गोद में दम जोड़ देता है। नाटक में प्रकाश सज्जा गगन मिश्रा की रही जबकि निर्देशक ऋषिकेश शर्मा थे। रंगमंच के जाने माने कलाकारों ने इसमें अभिनय किया।