परंपरा से व्यापार तक! भरतपुर की तुलसी माला पहुंची काशी, बाजार के साथ ऑनलाइन भी खरीद रहे लोग, जानें खासियत

Last Updated:May 10, 2025, 19:07 IST
भरतपुर के सैनी परिवार तुलसी की मालाओं के लिए प्रसिद्ध हैं, जो पीढ़ियों से धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व की मालाएं बनाते आ रहे हैं. अब ये परिवार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से देशभर में मालाएं बेच रहे हैं.
राजस्थान के भरतपुर जिले के कई सैनी परिवार आज देशभर में अपनी तुलसी की मालाओं के लिए विशेष पहचान बना रहे हैं. तुलसी की पवित्र माला बनाने की जिसे ये परिवार पीढ़ियों से पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ तैयार करते आ रहे हैं.

एक समय था जब यह केवल एक धार्मिक परंपरा थी, लेकिन आज यह इन परिवारों के लिए एक सफल और सशक्त व्यवसाय बन चुका है तुलसी का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है.

हिन्दू संस्कृति में तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और इसकी माला पूजा-पाठ, जप और धार्मिक अनुष्ठानों में अत्यंत आवश्यक मानी जाती है. भरतपुर के सैनी परिवार इसी परंपरा को जीवित रखे है.

माला को शुद्धता और संकल्प के साथ तैयार करते हैं. उनके बनाए मालाओं की ख़ास बात यह है कि वे पूरी तरह से हाथ से बनी होती हैं और हर दाना तुलसी की वास्तविक पत्तियों से तैयार किया जाता है.

स्थानीय स्तर पर ही नहीं इन मालाओं की मांग देशभर में तेजी से बढ़ रही है. खासतौर पर वृंदावन, मथुरा, हरिद्वार और काशी जैसे धार्मिक स्थलों पर इन मालाओं की काफी खपत है.

समय के साथ सैनी परिवारों ने अपने व्यवसाय को आधुनिक तकनीक से जोड़ा और अब ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से देशभर में मालाएं बेच रहे हैं. ऑनलाइन माध्यम से जुड़ने के बाद उनकी पहुंच देश के कोने-कोने तक हो गई है.

जिससे उनकी बिक्री और आय दोनों में अच्छी वृद्धि हुई है. इन परिवारों की मेहनत तुलसी की शुद्धता और ग्राहकों का विश्वास ही उनकी सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है. यह व्यवसाय आज न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहा है. बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा को भी सहेजने का काम कर रहा है.

भरतपुर के सैनी परिवारों की यह कहानी इस बात का उदाहरण है कि यदि परंपरा को सही दिशा दी जाए तो वह रोजगार पहचान और गौरव का माध्यम बन सकती है.
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परंपरा से व्यापार तक! भरतपुर की तुलसी माला पहुंची काशी, बाजार में बढ़ी मांग



