
निराला समाज जयपुर।

देशभर में 1 जुलाई से लागू होने वाले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कानून को लेकर राजस्थान प्रदेश में संगोष्ठियां आयोजित की जा रही है। लागू होने वाले नए कानून को लेकर जहां जन जागरण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं,वहीं पुलिस महकमें में अनुसंधान अधिकारी,एस आई, एएसआई, हैड कांसटेबल,कांसटेबल सहित पब्लिक स्तर पर पुलिस से जुड़े पुलिस मित्र एवं पुलिस सखी को भी एक जुलाई से लागू होने वाले नए कानूनों को लेकर तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है।

जयपुर सर्कल नार्थ के पुलिस थाना माणक चौक में भी दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन 28 एवं 29 जून को आयोजित हुआ। पहले दिन पुलिस मित्र एवं पुलिस सखियों की मौजूदगी में पीपी सुमन राव ने नए कानून की समझाईश बारीकी से करते हुए विस्तार से बतलाया और पुलिस मित्रों की और पुलिस सखियों की क्या भूमिका नए कानून को लागू होने के बाद रहेगी इस पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर पीपी सुमन राव ने हर पूछे गए सवाल का जवाब भी दिया।
दूसरे दिन पुलिस अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के मध्य संगोष्ठी में नए कानून के तहत अनुसंधान के दौरान होने वाले तौर तरीकों में बदलाव को लेकर सोशल मिडिया-ई-मेल एवं अन्य साधनों की महत्वता को लेकर प्रकाश डाला और अनुसंधान के दौरान क्या भूमिका पुलिस महकमें की सुनिश्चित होगी। इसकी समझाईश की।
दोनों ही दिन पुलिस थाना माणक चौक में आयोजित संगोष्ठी कार्यक्रम में dysp हैमंत जाखर,asp रामगंज हरिशंकर शर्मा, एसएचओं माणक चौक गुरू भूपेन्द्र सिंह सहित रामगंज,सुभाष चौक पुलिस थाना इंचार्ज सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
नए कानूनों को लेकर अनुसंधान अधिकारियों को और पुलिस अधिकारियों की ट्रेनिंग विगत कई दिनों से चल रही है। पुलिस महकमें ने नए कानून को लेकर सरकार को भी नई भर्तियों को लेकर पत्र लिखा है लेकिन सरकार का मानना है कि नई भर्तियां करने में पांच साल का समय लग सकता है ऐसे में नए कानून को लेकर पुलिस महकमें में कार्य का दबाव और बन सकता है जिसे लेकर कैसे वर्तमान हालात में बेहतर कार्य पुलिस प्रशासन कर सकें । इस पर पुलिस के आला अधिकारियों में भी मंथन चल रहा है।
नए कानून को लेकर एसएफएल की भूमिका अहम कर दी गई लेकिन पुरानी फाईलों के अम्बार के बीच नए कानून के तहत एसएफएल की अहम भूमिका तय किए जाने पर एसएफएल की ओर से भी सरकार को नई भर्तियों के लिए लिखा है लेकिन राज्य सरकार ने फिलहाल नई भर्तियों से सीधे तौर पर इंकार कर दिया है । ऐसे में एसएफएल के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि हर अनुसंधान में वह अपनी उपिस्थती कैसे दर्ज कराएंगा।