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सैयद सरवर चिश्ती ने तालिबान से संबंधों का विरोध किया

अजमेर. भारत के प्रसिद्ध सूफी संत हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से जुड़ी संस्था अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने तालिबान के साथ किसी भी तरह के रिश्ते या संवाद का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने तालिबान को एक आतंकवादी, महिला विरोधी और मानवता विरोधी संगठन बताते हुए कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को ऐसे संगठन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. चिश्ती ने कहा कि पाकिस्तान ने तालिबान को हर तरह से समर्थन दिया, उसे पनाह दी, आर्थिक मदद की और सैन्य सहयोग भी किया. इसके बावजूद आज तालिबान पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बन चुका है, जब पाकिस्तान जैसा मुस्लिम देश सुरक्षित नहीं है, तो भारत कैसे ऐसे संगठन पर भरोसा कर सकता है, जो तालिबान पाकिस्तान का नहीं हुआ, वह भारत का कैसे हो सकता है.

सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि तालिबान का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है, यह संगठन इस्लाम की आड़ में न सिर्फ आतंक फैलाता है, बल्कि असल इस्लामी शिक्षाओं को भी बदनाम करता है. उन्होंने कहा इस्लाम शांति, भाईचारे और इंसानियत का धर्म है, जबकि तालिबान केवल खून-खराबा, नफरत और बर्बरता फैलाता है, तालिबान: इस्लाम के नाम पर आतंक है.

बुद्ध की हज़ारों साल पुरानी मूर्तियों को तोड़ने की घटना

चिश्ती ने तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के बामियान में बुद्ध की हज़ारों साल पुरानी मूर्तियों को तोड़ने की घटना को याद किया. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक धार्मिक कट्टरता नहीं थी, बल्कि पूरी मानव सभ्यता और इतिहास पर हमला था. तालिबान को न संस्कृति की कद्र है. सैयद चिश्ती ने बताया कि तालिबान ने सिर्फ चर्चों या अन्य धर्मों को ही नहीं, बल्कि मुसलमानों के धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाया है, उन्होंने कई मस्जिदों और दरगाहों में बम धमाके किए हैं. इसके साथ ही उन्होंने तालिबान के महिला विरोधी रवैये की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा, तालिबान महिलाओं को पढ़ाई, कामकाज और समाज में हिस्सेदारी से रोकता है. यह न सिर्फ इस्लाम के खिलाफ है, बल्कि हर इंसानी मूल्य के खिलाफ है.

भारत सरकार को चेतावनी और सुझाव

चिश्ती ने दो टूक कहा कि तालिबान के साथ किसी भी तरह की बातचीत या संबंध भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब तक तालिबान की सोच नहीं बदलती, उसे एक आतंकी संगठन ही माना जाना चाहिए. तालिबान न कल भरोसेमंद था, न आज है, और न कल होगा.  सैयद सरवर चिश्ती ने भारत सरकार से अपील की कि वह ऐसे आतंकी संगठनों से कोई भी दोस्ताना रुख न अपनाए. उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य तभी सुरक्षित रह सकता है जब देश के अंदर आपसी सौहार्द, धर्मनिरपेक्षता और एकता को प्राथमिकता दी जाए. भारत को तालिबान जैसे संगठनों से नहीं, अपने ही देश में हिंदू-मुस्लिम एकता और सामाजिक भाईचारे को मज़बूत करने पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक महान लोकतंत्र है जहां हर धर्म, जाति और समुदाय को समान अधिकार है.

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