पाले के प्रकोप से किसान न हो परेशान, अपनाएं यह तरीका, वैज्ञानिक दे रहे टिप्स

मोहित शर्मा/करौली. दिनों दिन बढ़ रही कड़ाके की ठंड से जहां एक और आमजन परेशान तों वही दूसरी ओर रोजाना पड़ने वाले पाले ने किसानों की चिंताएं भी सब्जियों की फसल और कई अन्य फसलों को लेकर बढ़ा दी है. ऐसे में पाले के प्रकोप से किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है, वह आसानी से खेत में कुछ घरेलू उपाय करके पाले से अपनी फसलों का बचाव कर सकते हैं. पाले से बचाव के लिए अभी हाल ही में कृषि विभाग द्वारा किसानों के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की गई.
जिला उद्यान विभाग के उपनिदेशक रामलाल जाट के मुताबिक शीत़ऋतु में जब भी तेज सर्दी हो, दोपहर से पहले ठण्डी हवा चलती रहे एवं दोपहर के बाद हवा का चलना रूक जाये, आसमान साफ रहे और वायुमण्डल में नमी की मात्रा कम हो, ऐसी परिस्थतिया उस रात पाला पडने की संभावना बढ जाती हैं.
जाट ने बताया कि सर्दी के मौसम में शीतलहर एवं पाले के कारण टमाटर, मिर्च, बैंगन, मटर आदि सब्जियों और पपीता, आम आदि फलदार पौधो के साथ ही सरसों, चना, जीरा, धनिया आदि फसलो में सबसे अधिक 80 से 90 प्रतिशत नुकसान होने का खतरा रहता है. हालांकि अभी जिले में कहीं से भी पाले के कारण भारी नुकसान की खबर नही है, फिर भी जिले में लगातार गिरते तापमान को देखते हुये कृषि विभाग द्वारा पहले से ही किसानो को आगाह किया गया हैं.
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जानिए पाले के प्रभाव और बचाव
उपनिदेशक उद्यान रामलाल जाट ने बताया की पाले के प्रभाव से फूल झडने लगते है तथा पत्ती, फूल एवं फल सूख जाते है, साथ ही प्रभावित फसल, फल एवं सब्जियो में कीट एवं बीमारियो का प्रकोप बढ जाता है. पाले से सुरक्षा के लिये उन्होंने बताया कि जिस रात पाला पडने की संभावना हो उस रात 12ः00 से 02ः00 बजे के आस पास खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में सूखी टहनिया, सूखा घास-फूंस अथवा कूडा कचरा जलाकर धुंआ करना चाहिए. खेत में अत्यधिक धुंआ उत्पन्न करने के लिये किसान इंजन के जले हुये तेल का प्रयोग भी कर सकते है, जिससे खेत में गर्मी बनी रहती हैं.
इस घोल का करें छिड़काव
पाले का पूर्वानुमान होने पर खेत में हल्की सिंचाई संभव हो तो फब्बारा द्वारा भी भूमि का तापमान 0.5 डिग्री से 02 डिग्री तक बढा सकती है. पाला पडने की संभावना होने पर फसलों पर गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत (1 लीटर गंधक के तेजाब का 1000 लीटर पानी में घोल) अथवा घुलनशाील गंधक का 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल) अथवा थायोयूरिया 500 पी.पी.एम. (0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में) का घोल बनाकर छिड़काव करें, यदि पाले की संभावना लम्बे समय तक बनी रहती है तो छिड़काव को 15 दिन के अन्तराल में दोहराते रहे.
इसी क्रम में उन्होने बताया की सब्जियों में पाले से सुरक्षा के लिये लो-टनल का उपयोग किया जा सकता है, जिसके लिये उद्यान विभाग द्वारा लघु-सीमान्त श्रेणी कृषको को इकाई लागत का 75 प्रतिशत एवं अन्य कृषको को 50 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाता हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 7, 2024, 15:54 IST