विश्व स्वास्थ्य दिवस- खुद फिट तो काम भी 'सुपरहिट'

मानसिक स्वास्थ्य को न करें नजरअंदाज
बढ़ती उम्र के साथ महिलाएं अवसादग्रस्त होने लगती हैं। अल्जाइमर्स और हार्टअटैक होने की संभावना रहती है। ऐसे में जरूरी है कि वह भरपूर नींद लें। कुछ समय अपने लिए निकालें। मेडिटेशन करना जरूरी है। अपनी विश लिस्ट बनाएं, जिसमें हर वह काम जिसमें उन्हें खुशी मिलती है जरूर करें। जैसे पेंटिंग करना, म्यूजिक सुनना, नेचर के पास रहना, किताब पढऩा, खाना बनाना, लिखना, टीवी देखना या कोई मनपसंद शौक पूरा करना। कितनी भी व्यस्त क्यों न हों इन्हें पूरा करने का प्रयास जरूर करें। इससे मन की उदासी दूर होगी और कुछ नया करने का उत्साह बना रहेगा।
मैंस्ट्रुअल हाइजीन का रखें ध्यान
एक लडक़ी जब किशोरावस्था में प्रवेश करती है, तब उसमें कई शारीरिक बदलाव आते हैं। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है मासिक धर्म का प्रारंभ, जिसे लेकर आज भी कई मिथक जुड़े हैं। ऐसे में समस्या पैदा होती है हाइजीन की। पैड या कपड़ा नहीं बदल पाने के कारण वह संक्रमण की शिकार हो जाती हैं। इसके बारे में एक मां अपनी बेटी को बेहतर तरीके से बता सकती है। साथ ही, पीसीओएस किशोरियों को प्रभावित करने वाली आम समस्या है। इसका उपचार नहीं करने से बांझपन, अत्यधिक बाल उगना, मुहांसे, मोटापा, डायबिटीज, हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, गर्भाशय से असामान्य रक्तस्राव और कभी-कभी कैंसर तक हो सकता है। स्कूलों में सेक्स एजुकेशन पर भले ही बात नहीं की जाती हो, लेकिन एक मां अपनी बेटी को इस संबंध में जागरूक कर सकती है। कैंसर से बचाव के लिए सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं शादी से पहले हर लडक़ी और लडक़े को मेडिकल टेस्ट करवाना चाहिए।
रिप्रोडक्टिव हेल्थ
पर रहे पूरी नजर
एक महिला का रिप्रोडक्टिव सिस्टम शरीर में सबसे ज्यादा नाजुक सिस्टम है। इसे संक्रमण से बचाना जरूरी है। हमारी लाइफस्टाइल फर्टिलिटी पर बुरा असर डालती है। जरूरी है कि बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने से पहले डॉक्टर से बात करें। अपने डॉक्टर की सलाह से ही विकल्प का चयन करें। अनसेफ अबॉर्शन से बचें। पीरियड्स के दौरान हाइजीन का खयाल रखें। योग और मेडिटेशन करें। शराब और स्मोकिंग आपके रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर बुरा असर डालते हैं। आर्टरीज बंद हो सकती हैं।
समझें मेनोपॉज प्रबंधन
मेनोपॉज के साथ ही महिला के प्रेग्नेंट होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। महिलाओं को डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर फूड खाना चाहिए। फल और सब्जियां खाएं। ये विटामिन, फाइबर से भरपूर होते हैं। साबुत अनाज में फाइबर, विटामिन-बी, थायमिन, जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आती है, जिससे हड्डियों से जुड़ी समस्या हो सकती है। ऐसे में कैल्शियम से भरपूर दूध, पनीर, दही डाइट में शामिल करें। मेमोग्राम, थायराइड, ब्लड, सोनोग्राफी टेस्ट जरूर करवाएं। हार्मोनल थैरेपी लेना न भूलें।