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राजस्थान में है भगवान का गांव, यहां के लोग नहीं खरीदते ये 4 चीजें, बिना शादी किए लाते हैं दुल्हन – devmali Rajasthan best unique village where people never buy these 4 things not making concrete house following weird custom know reason

Last Updated:April 16, 2025, 15:41 IST

Devmali Unique Village Rajasthan : भारत के कई गांवों में आज भी सालों पुरानी मान्यताएं प्रचलित हैं. राजस्थान के ब्यावरा जिले के मसूदा उपखंड का देवमाली गांव पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. यह गांव अपने आ…और पढ़ेंराजस्थान में है भगवान का गांव, यहां के लोग नहीं खरीदते ये 4 चीजें

Devmali Village Rajasthan : राजस्थान के ब्यावरा जिले के मसूदा उपखंड का देवमाली गांव कलयुग में सतयुग का अहसास कराता है…

अजमेर. राजस्थान के ब्यावरा जिले के के मसूदा उपखंड का देवमाली गांव अजमेर से महज 50 किलोमीटर दूर बसा है. गांव के घरों में दरवाजे हैं लेकिन ताले नहीं लगाए जाते. घरों में छत हैं लेकिन वो भी कच्ची हैं. देवमाली के लोग पूर्वजों के वचन की रखवाली करते हैं जो उन्होंने देवनारायण भगवान को दिया था. यह गांव कलयुग में सतयुग का अहसास कराता है. सभ्यता और संस्कृति से यहां के लोगों को लगाव है. आधुनिकता से दूर है. गांव ने देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाई है. गांव का मुख्य आकर्षण देवनारायण भगवान का मंदिर है. गांव में फिल्मों की शूटिंग होने लगी है. जन-जन की आस्था की केंद्र है. देवनारायण भगवान को विष्णु भगवान का अवतार माना जाता है. देवमाली गांव को वेस्ट टूरिज्म गांव का खिताब मिल चुका है. गांव में डेयरी है, कंप्यूटर-टीवी सबकुछ मौजूद है लेकिन मकान कच्चा है. देवमाली गांव के लोग देवनारायण भगवान को अपना आराध्य मानते हैं.

गांव के पूर्व सरपंच माधव सिंह ने बताया, ‘यह गांव भगवान देवनारायण भगवान की जमीन पर बसा हुआ है. गांव में करोड़पति हो या लखपति सभी कच्चे मकान में रहते हैं. पक्का मकान बनाने की मनाही भगवान की ओर से है. कई लोगों ने अक्का मकान बनाने की कोशिश भी की लेकिन कुछ ऐसा हुआ वो उनका मकान गिर गया. गांव में सीमेंट, चूना, दारू, मीट-मांस और केरोसिन पर भी प्रतिबंध है. घर के अंदर हौद बनाने पर भी मनाही है.’ गांव के पास पहाड़ी में देवनारायण भगवान का मंदिर है. मंदिर की एकमात्र पक्का है, बाकी पूरा गांव कच्चा गांव है. गांव में 300 के करीब घर हैं.’

गुर्जरों का गांव है. लावड़ा गोत्र के लोग यहां रहते हैं. गांव के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन पशुपालन है. गांव-मकान और खेती की जमीन सबकुछ भगवान के नाम पर है. गांव के किसी भी किसी परिवार के पास मकान का पट्टा नहीं है. गांव की पूरी जमीन करीब 3600 बीघा है. यह जमीन केवल आराध्य देवनारायण भगवान के नाम पर है. इसके कागज भी भगवान देवनारायण के नाम पर बने हुए हैं. परिवार के हिसाब से लोगों ने गांव की जमीन का बंटवारा कर रखा है. बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां जमीन और खेत खरीद नहीं सकता. कोई भी सरकारी योजना का लाभ गांव के लोगों नहीं मिल पाता. गांव तक पहुंचने का मुख्य साधन डुगडुगी है. गांव में चोरियां नहीं होती. गांव के झगड़े मिल बैठकर लोग सुलझा लेते है.

गांव के पास एक तालाब है. मान्यता के अनुसार इस तालाब में स्नान करने पर चर्म रोग ठीक हो जाता है. पीरू चौधरी ने बताया, ‘गांव में आने वाली दुल्हन यहां आकर खुश हो जाती है. उसकी वजह यहां की मान्यताएं हैं.’ गांव के आसपास कई चट्टाने हैं. सभी चट्टाने एक ही दिशा में झुकी हुई हैं. मान्यता है कि जब भगवान देवनारायण पर्वत पर वास करने आए तो चट्टानों ने उन्हें झुककर नमन किया. सभी चट्टाने मंदिर की ओर से झुकी हुई हैं.

कहते हैं विक्रम संवत 999 में देवनारायण मंदिर का निर्माण किया गया था. गांव के लोग नंगे पैर सुबह-सुबह मंदिर की परिक्रमा करते हैं. आसपास के गांव के लोग जब भी देवनारायण मंदिर का निर्माण करते हैं, तो पांच ईटें मंदिर से लेकर जाते हैं. पीएम आवास योजना में यहां के घर पक्के नहीं बनाए जाते. केंद्र सरकार ने अपने नियमों में ढील दी. कहा जाता है कि देवनारायण भगवान जब यहां आए तो गांववालों की सेवा से प्रसन्न हुए. उन्होंने गांव के लोगों को शांति से रहने का आशीर्वाद दिया. देवनारायण मंदिर का डाक टिकट केंद्र सरकार जारी कर चुकी है.

पूरे गांव के रास्ते कच्चे हैं. 9 गांव की पंचायत है. देवमाली इसका मुख्य गांव है. गांव के कई परिवारों के अजमेर या अन्य शहरों में पक्के मकान में हैं. गांव के लोग चूल्हे पर भोजन बनाते हैं. गैस कनेक्शन नहीं लेते हैं. देवजी की मान्यता का निर्वहन करते हैं. गांव में दसवीं तक स्कूल है.

गांव में गुर्जर समाज के लोग रहते हैं. गांव में एक प्रथा अभी भी बदस्तूर जारी है. गांव के लड़के बिना शादी के दुल्हन लेकर आ जाते हैं. गांव में आधे से ज्यादा शादी-ब्याह इसी तरह हुए हैं. गांव के लोग अपनी मर्जी से 1950 के दशक की जिंदगी जीते हैं.

शादीशुदा मर्द पहनते हैं छल्ला गांव के शादीशुदा मर्द अंगुली में एक तांबे का छल्ला पहनते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ‘यह भगवान देवनारायण की बेल है. तांबे के तार से साढ़े तीन घुमाव देकर बना छल्ला पहनते हैं. शादी पर बारात निकलने से पहले दूल्हे देवनारायण भगवान के मंदिर में जाकर 4 वचन भगवान को देता है. इन वचनों का जीवनभर पालनन करता है. ये नियम हैं कि वह शराब-अंडा-मांस का सेवन नहीं करेगा. कभी चोरी नहीं करेगा. पक्का मकान नहीं बनाएगा और सभी नियमों का पालन जिंदगी भर करेगा. इतना ही नहीं अपनी अगली पीढ़ी को इन नियमों के बारे में बताएगा.’

Location :

Ajmer,Rajasthan

First Published :

April 16, 2025, 15:41 IST

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राजस्थान में है भगवान का गांव, यहां के लोग नहीं खरीदते ये 4 चीजें

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