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बिहार चुनाव 2023: हिंदुत्व के तीन बड़े चेहरे और सियासी सरगर्मी.

Last Updated:March 08, 2025, 09:49 IST

Bihar Politics News: बिहार चुनाव से पहले बागेश्वर बाबा, मोहन भागवत और श्री श्री रविशंकर के दौरे से सियासी पारा गर्म है. विपक्ष इसे राजनीति से प्रेरित मान रहा है, बीजेपी समाज हित में. आइये जानते हैं कि चुनावी सा…और पढ़ेंहिंदुत्व की 'त्रिमूर्ति' का बिहार में जुटान, आखिर महागठबंधन क्यों हुआ परेशान?

बाबा बागेश्वर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, श्री श्री पंडित रविशंकर एक साथ बिहार में.

हाइलाइट्स

बिहार चुनाव से पहले हिंदुत्व के तीन बड़े चेहरे प्रदेश में सक्रिय हुए.बागेश्वर बाबा, मोहन भागवत और श्री श्री रविशंकर के दौरे से सियासत गर्म.विपक्ष ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया, बीजेपी ने समाज हित में कहा.

पटना. कहते हैं राजनीति में संयोग कुछ भी नहीं होता, बल्कि प्रयोग होता है और लक्ष्य सत्ता में आना या फिर बने रहना होता है. बिहार की राजनीति तो इसका बहुत बड़ा उदाहरण है. यहां समय-समय पर नये राजनीतिक समीकरण बनने बिगड़ने के अनेकों उदाहरण हैं. वर्तमान में अब जब बिहार विधानसभा चुनाव के करीब 6 महीने शेष रह गए हैं तो अभी से राजनीतिक सरगर्मी के साथ बिहार में अनेको तरह की गहगहमी दिखने लगी है. एक ओर विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है, तो इसी बीच बिहार में हिंदू धर्मगुरुओं के एक के बाद एक दौरों ने सियासी पारा को गर्म कर दिया है. हिंदुत्व के प्रतीक धार्मिक गुरुओं के बिहार दौरे को लेकर सियासत भी गर्म है. दरअसल, बिहार में चुनावी साल में हिंदुत्व के तीन बड़े चेहरे, बागेश्वर बाबा आचार्य धीरेंद्र शास्त्री, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और श्री श्री पंडित रविशंकर एक साथ बिहार में हैं. जाहिर तौर पर विपक्षी महागठबंधन के नेताओं ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है, जबकि बीजेपी इसमें राजनीति नहीं देख रही है. वहीं, जेडीयू के रुख में भी बदलाव दिख रहा है. इस पूरे घटनाक्रम को राजनीति के जानकार भी अपनी दृष्टि से देख रहे हैं. मगर आइये जानते हैं कि पहले हो क्या रहा है.

यह गौर करने वाली बात है कि बाबा बागेश्वर गोपालगंज के दौरे पर हैं जो परंपरागत रूप से लालू प्रसाद यादव का गढ़ कहा जाता रहा है. हालांकि, बीते चुनावों में इन क्षेत्रों में बीजेपी और जदयू का दबदबा रहा है, लेकिन अभी भी गढ़ इसको राजद का ही कहा जाता है. वह वहां हिंदुत्व का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. हनुमंत कथा और दिव्य दरबार का आयोजन कर रहे हैं. उनको सुनने के लिए लाखों की संख्या में भीड़ जुट रही है और वह ‘बिहार में बहार’ आने तक की बात भी अपनी सभा में कह रहे हैं. निश्चित तौर पर ‘बिहार में बहार’ आने की उनकी बात कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस नारे से जोड़कर देखा जा रहा है जब 2015 में बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है… से एक बार फिर जुड़ता है.

बिहार क्यों बना बाबा का पड़ाव?गोपालगंज में हिंदू राष्ट्र की हुंकार भरते हुए बाबा बागेश्वर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के कुछ बयानों पर गौर करें तो आप पाएंगे कि उनका क्या ध्येय है और उनकी बातों के क्या अर्थ हैं. उन्होंने कहा- देश रघुवर का है बाबर का नहीं… भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे… हिंदुओं को एक करेंगे… हिंदुओं को घटने नहीं देंगे.. संकट पर हिंदू कहां जाएंगे… हिंदू राष्ट्र की आवाज बिहार से.बाबा बागेश्वर के बयानों को राजनीति के जानकार अपने नजरिये से पढ़ते हैं. वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि महाकुंभ आयोजन में सनातन एकता की बात को खूब उद्धृत किया गया. इसी को आगे बढ़ाते हुए आचार्य धीरेद्र शास्त्री का पड़ाव बहार बना है. जाहिर तौर पर जातियों में बुरी तरह विभक्त बिहार के समाज को एकजुट करने में अगर थोड़ी भी सफलता बाबा बागेश्वर को मिलेगी तो यह बीजेपी की राजनीति को ही फायदा पहुंचाएगी.

गजनवी का नाम और पॉलिटिकल पॉलराइजेशनवहीं, श्री श्री रविशंकर भी बिहार के दौरे पर हैं और वह सत्संग और अध्यात्म की अलख जगा रहे हैं. पटना के गांधी मैदान में शुक्रवार (7 मार्च) से आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का भव्य सत्संग शुरू हुआ है. इस दो दिवसीय सत्संग में ध्यान, योग और जीवन जीने की कला पर विशेष प्रवचन मुख्य आयोजन है. इसके साथ ही गुरु रविशंकर 1000 साल पुराने पवित्र शिवलिंग के साथ बिहार पहुंचे हैं. जिसे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए स्थापित किया जा रहा है. खास बत यह है कि यह शिवलिंग वही है जिसे महमूद गजनवी ने 1026 ईस्वी में खंडित किया था. इसके आगे बड़ी बात यह कि पटना पहुंचने के बाद गुरुवार देर शाम श्री श्री रविशंकर ने बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी से मुलाकात की. जाहिर है इसे सियासत से भी जोड़ा जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि महमूद गजनवी का नाम आगे आना प्रदेश की राजनीति के ध्रुवीकरण की कवायद हो सकती है और इसका फायदा भी भाजपा और एनडीए की राजनीति को ही होगा.

बीजेपी की सियासी जमीन मजबूत कर रहे आरएसएस चीफ?वहीं, संघ प्रमुख मोहन भागवत मुजफ्फरपुर को बेस बनाकर पांच दिनों के बिहार दौरे पर हैं और विभिन्न जिलों में संघ के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं. सरसंघ चालक मोहन भागवत मुजफ्फरपुर प्रवास के दौरान 7 मार्च की सुबह-सुबह आरडीएस (RDS) कॉलेज मैदान में शाखा लगाया.शाखा में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में व्यायाम और प्रैक्टिस लोग कर रहे हैं. वह आरएसएस कार्यालय में तमाम आरएसएस के सदस्यों के साथ बैठक करेंगे. फिर 8 मार्च को भी मोहन भागवत शाखा में शामिल होने के बाद बैठक करेंगे और फिर 9 मार्च को नागपुर के लिए रवाना हो जाएंगे. राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि सर संघ चालक मोहन भागवत बीजेपी के वोट बेस को मजबूत बनाने की कवयद में लगे हुए हैं. इससे पहले हिंदुत्व की हुंकार बीजेपी और के लिए सियासी जमीन सांगठनिक दृष्टि से मजबूत की जा रही है.

धर्मगुरुओं का हुआ जुटान तो विपक्ष क्यों हुआ परेशान?हिंदुत्व के प्रतीक दिग्गज धर्मगुरुओं के एक साथ बिहार में जुटान से विपक्ष परेशान हैं. हालांकि, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बड़ी होशियारी से खुद इस मुद्दे को तूल नहीं देना चाहते हैं और बड़े ही फूंक-फंककर कदम उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह देश बाबा साहब के अंबेडकर के संविधान से चल रहा है और यहां किसी को भी कहीं आने-जाने की आजादी है. इससे हमें कोई मतलब नहीं.लेकिन, दूसरी ओर राजद के विधायक मुकेश रौशन ने बाबा बागेश्वर की गिरफ्तारी की मांग कर दी. वहीं भाई वीरेंद्र ने भी इसे भाजपा की साजिश बताया. जबकि राजद के कई अन्य विधायक और नेता हिंदुत्व के इन प्रतीकों के दौरों को टारगेट पर ले रहे हैं. जबकि, दूसरी ओर बिहार में हिंदुत्व के प्रतीकों के जुटान से बीजेपी और एनडीए खेमा गदगद है.

बीजेपी जैसा ही हो रहा जेडीयू का रुख!बीजेपी के नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तारकेश्वर प्रसाद ने कहा, भारतीय जनता पार्टी और एनडीए की ताकत के बारे में उन्हें (विपक्ष) गलतफहमी है. भाजपा आज आम लोगों के कारण बिहार ही नहीं पूरे देश में अपनी राजनीतिक ताकत रखती है. बाबा बागेश्वर जिन मूल्यों को रखकर समाज में आ रहे हैं, सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं और जिस प्रकार की चीजों को आम लोगों तक पहुंचा रहे हैं वह देश हित और समाज हित में है. वहीं, बीजेप के विधायक हरिभूषण सिंह ठाकुर बचौल ने तो खुलकर बाबा बागेश्वर समेत धर्मगुरुओं के बिहार दौरे का समर्थन किया है. जाहिर है बिहार की राजनीति में हिंदुत्व का मुद्दा गरमा गया है और जेडीयू के रुख में भी बदलाव दिख रहा है. दरअसल, नीतीश कुमार पर 2023 में हिंदू त्योहारों की छुट्टियां कम करने का आरोप लगा था, लेकिन अब जेडीयू नेता ने कहा है कि हिंदू एकजुट हैं.

सनातन की त्रिमूर्ति से बिहार की सियासत को नई दिशा!दरअसल, सियासत में टाइमिंग का बड़ा महत्व होता है और इस बार भी टाइमिंग को लेकर ही जो सवाल उठाए जा रहे हैं. यह बेहद महत्वपूर्ण है कि बिहार में इसी साल विधानसभा का चुनाव होना है और इसको लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है. इसी बीच सनातन धर्म के प्रतीक कहे जाने वाले त्रिमूर्ति (बाबा बगेश्वर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री, श्री श्री पंडित रविशंकर और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ) का आगमन बिहार में हुआ है. इसके बाद से सनातन की चर्चा पूरे राज्य में जोरों पर होने लगी है. इन त्रिमूर्ति की जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं इससे विपक्ष तो परेशान दिखेगा ही.खास बात हिंदुओं को एकजुट करने की बातें करते हैं और यही त्रिमूर्ति हर जगह यही संदेश भी दे रहे हैं. बिहार में जाति की राजनीति होती रही है है ऐसे में विपक्ष को लगता है कि हिंदुओं के नाम पर अगर जातियां एकजुट हो जाती हैं तो फिर विपक्ष को नुकसान होगा और एनडीए को उसका फायदा पहुंचेगा.


First Published :

March 08, 2025, 09:49 IST

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हिंदुत्व की ‘त्रिमूर्ति’ का बिहार में जुटान, आखिर महागठबंधन क्यों हुआ परेशान?

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