जलसंकट से जूझते राजस्थान में News 18 की मुहिम: ‘पानी के लिए परंपरा बचाओ’

जयपुर. राजस्थान (rajasthan) देश का सबसे अधिक क्षेत्रफल वाला प्रदेश है. छवि रेगिस्तानी इलाके की है, लेकिन प्रदेश में हरियाली की भी कमी नहीं है. हां पीने का पानी जरूर एक समस्या है. अक्सर हम राजस्थान के जो प्रतीक चित्र देखते हैं उनमें ऊंट या सिर पर कई घड़े ले जाती महिलाएं ही दिखाई देती हैं. यानि ऊंट रेगिस्तान और पेयजल की समस्या राजस्थान की पहचान है. वास्तविकता भी यही है कि जैसलमेर और बाड़मेर जैसे रेगिस्तानी जिले ही नहीं प्रदेश के बाकी जिलों में भी शुद्ध पेयजल एक समस्या है.
शुद्ध पेयजल पुरानी समस्या
यह समस्या पुरानी है लेकिन पुराने समय में इससे निपटने के इंतजाम भी बखूबी किए गए थे. बावड़ियां, बेरियां, कुईं या फिर नाड़ियां कुछ ऐसे इंतजाम थे, जिनसे मरुधरा के लोगों को थोड़ा पसीना तो बहाना पड़ता था, लेकिन पीने का साफ पानी उन्हें और उनके पशुओं के लिए मिल जाता था. समय के साथ साथ ये पारंपरिक साधन नष्ट होते गए और शुद्ध पेयजल एक बड़ी समस्या बन गया.
सरकार की ओर से इस समस्या के निदान के लिए काफी प्रयास किए गये, लेकिन विषम भौगोलिक स्थितियां और विशाल भूभाग के चलते समस्या समाप्त नहीं हो सकी.
न्यूज 18 राजस्थान की मुहिम ‘पानी के लिए परंपरा बचाओ’
न्यूज 18 राजस्थान ने एक विशेष मुहिम शुरू की है. यह मुहिम है पेयजल के पारंपरिक साधनों को पुनर्जीवित करने की. 16 अगस्त 2021 के दिन से इस मुहिम ‘पानी के लिए परंपरा बचाओ’ की बाकायदा शुरुआत की गई. इस मौके पर जलदाय मंत्री बीडी कल्ला, प्रख्यात पर्यावरणविद सुश्री सुनीता नारायण, जल संरक्षण की दिशा में अथक प्रयास करने वाली सुश्री अमला रुइया और जल संरक्षण के लिए ही वर्षों से काम करती आ रही सांसद राजकुमारी दीयाकुमारी ने भी न सिर्फ न्यूज़ 18 राजस्थान की मुहिम का समर्थन किया, बल्कि अपनी ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन भी दिया.
न्यूज़ 18 राजस्थान अगले 4 सप्ताह तक अपनी इस मुहिम को जारी रखेगा और पूरा प्रयास रहेगा कि मुहिम का समापन एक सार्थक परिणाम के साथ हो. आप सभी के सक्रिय सहभाग से इस मुहिम को सफलता निश्चित ही प्राप्त होगी.
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