Animal Husbandry : सर्द हवाओं से पशु भी परेशान! दूध घटा, रोग बढ़े – संभलिए, वरना होगा बड़ा नुकसान

Last Updated:November 07, 2025, 12:26 IST
Animal Husbandry : सर्दी का मौसम जहां इंसानों को कंपकंपी देता है, वहीं पशुओं के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन पर भी इसका सीधा असर पड़ता है. थोड़ी-सी लापरवाही बीमारियों और उत्पादन में गिरावट का कारण बन सकती है. इसलिए पशु चिकित्सक मनीष कुमावत ने सर्दियों में पशुओं की सही देखभाल, आहार और सुरक्षा के बेहद जरूरी टिप्स साझा किए हैं.
सीकर : सर्दी के मौसम में तापमान में असमानता, नमी और ठंडी हवाएं पशुओं के स्वास्थ्य व दूध उत्पादन पर सीधा असर डालती है. ऐसे समय में यदि पशुपालक और किसान थोड़ी भी लापरवाही करें, तो पशुओं को बीमारियां घेर सकती हैं और उत्पादन में गिरावट आ सकती है. इसलिए मौसम बदलने पर पशुओं को संतुलित आहार, साफ-सुथरा घर और उचित देखभाल देना बहुत जरूरी होता है, ताकि वे स्वस्थ रहें और उनसे उत्पादन भी अच्छा मिलता रहे. आज की इस खबर में हम आपको सर्दी के समय में पशुओं से देखभाल के सही तरीकों के बारे में बताएंगे.

पशु चिकित्सक मनीष कुमावत ने बताया कि सर्दी के समय पशुओं की सही देखभाल के लिए पशुशाला को हमेशा सूखा, ऊंचा और हवादार रखें. इसके अलावा दीवारों व खूंटों पर चूने की पुताई करें, जिससे जीवाणु न पनपें. वहीं, पशुओं को रोजाना कुछ समय धूप में रखें, इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. पशुशाला में हवा और धूप देने से संक्रमण और दुर्गंध को कम होती है. इसके लिए पशु को गुनगुना पानी पिलाएं तथा बर्तनों की नियमित सफाई करें. दुधारू पशु को प्रतिदिन 60 से 80 लीटर पानी की आवश्यकता होती है.

पशुओं के संतुलित आहार के लिए हरा चारा जैसे बरसीम, ओट, मटर या सरसों का चारा सबसे सही रहता है. इसके अलावा पशुओं को चारा खिलाने से पहले धूप में हल्का सुखाना चाहिए, ताकि उसमें मौजूद नमी के कारण गैस या आफरा जैसी समस्या न हो. सूखे चारे जैसे गेहूं की भूसी में खनिज मिश्रण मिलाकर देना फायदेमंद होता है. वहीं, दूध देने वाले पशुओं को हर लीटर दूध के हिसाब से 400 ग्राम दाना देना चाहिए. दाने में मक्का, चोकर, सरसों खली और मूंगफली खिलाना सबसे सही रहता है.

पशु चिकित्सक के अनुसार, सर्द हवाओं से बचाव के लिए पशुशाला की खिड़कियों और दरवाजों पर प्लास्टिक शीट या टाट का पर्दा लगाना चाहिए. पशु पर बोरी, कंबल या टाट डालें ताकि ठंड का असर न पड़े. नवजात बछड़ों को सूखे, गर्म स्थान पर रखें और उनके नीचे भूसे या घास की बिछावन लगाएं. पशुशाला के दरवाजे पर पर्दा लगाने से ठंडी हवा का सीधा प्रवाह रुकता ह. इस प्रकार की देखभाल से पशु आरामदायक और तनावमुक्त रहते हैं.

इसके अलावा, सर्दियों में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए समय पर टीकाकरण कराना जरूरी है. इस मौसम में पशुपालक और किसान गलघोटू, एफएमडी, लम्पी स्किन डिजीज और ब्लैक कार्टर जैसे टीके निर्धारित समय पर लगवाएं. हर तीन से चार महीने में कीड़े मारने की दवा भी देनी चाहिए. पशुशाला में मच्छर, मक्खी और जूं से बचाव के लिए नीम तेल या हर्बल स्प्रे का छिड़काव करें. इसके अलावा गोबर खुले में न छोड़ें और आसपास पानी जमा न होने दें. नीम की पत्तियां जलाकर धुआं करने से भी संक्रमण कम होता है.

पशु के दाने में थोड़ा गुड़ या तेल मिलाना उनके पाचन और ताकत के लिए उपयोगी रहता है. पशुपालक और किसान अपने पशु को रोजाना 50 से 60 ग्राम मिनरल मिक्सचर दें और नमक लिक ब्लॉक पशुशाला में रखें ताकि पशु अपनी आवश्यकता अनुसार चाट सकें. वहीं, गाभिन पशु को ठंडी हवा, नमी वाले स्थान से दूर रखें और उन्हें खनिज व प्रोटीन से भरपूर आहार दें. यदि दूध की मात्रा घटे, भूख कम हो या आंख-नाक से स्राव, खांसी या बुखार के लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.

पशु चिकित्सक मनीष कुमावत ने बताया कि पशुओं के आहार में अचानक बदलाव नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पाचन तंत्र बिगड़ सकता है. दूध दुहने का समय निश्चित रखें और रोज एक ही समय पर दूध निकालें. हरे चारे की कटाई के बाद उसे 2 से 3 घंटे धूप में सुखाकर खिलाएं. पशु के थन, कान और पूंछ की नियमित सफाई करें. साफ-सफाई, नियमित आहार और टीकाकरण से पशु स्वस्थ रहेंगे और दूध उत्पादन में निरंतरता बनी रहेगी.
First Published :
November 07, 2025, 12:26 IST
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सर्द हवाओं से पशु परेशान! दूध घटा, रोग बढ़े – डॉक्टर ने बताए नुस्खे



