क्रिकेटर जो भारत के लिए खेला एक टेस्ट-एक वनडे, न विकेट का खाता खुला और न रनों का, गलत कारणों से चर्चा बटोरी

नई दिल्ली. बाएं हाथ के तेज गेंदबाज किसी भी टीम की गेंदबाजी को विविधता प्रदान करते हैं. भारत में बात करें तो सफलता के पैमाने पर खरे उतरने वाले लेफ्टी तेज गेंदबाजों की संख्या कम ही रही है. बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों में करसन घावरी,आशीष नेहरा, जहीर खान, इरफान पठान, आरपी सिंह और मौजूदा प्लेयर्स में अर्शदीप सिंह का नाम ही उल्लेखनीय है. जहीर को तो निर्विवाद रूप से देश का सर्वश्रेष्ठ बाएं हाथ का तेज गेंदबाज माना जा सकता है.’जैक’ और ‘जेड’ के नाम से पॉपुलर जहीर ने 92 टेस्ट में 311, 200 वनडे में 282 और 17 टी20I विकेट हासिल किए और लंबे समय तक टीम इंडिया की तेज गेंदबाजी के आधारस्तंभ रहे.
उनके अलावा आशीष नेहरा गति व गेंद को विकेट के दोनों ओर मूव कराने की क्षमता और इरफान पठान अपनी स्विंग के कारण टीम के लिए ‘असेट’ रहे लेकिन दुर्भाग्यवश टेस्ट क्रिकेट में लंबी पारी नहीं खेल सके. नेहरा का करियर चोटों से प्रभावित रहा. उन्होंने 17 टेस्ट में 44, 120 वनडे में 157 और 27 टी20I में 34 विकेट लिए. इसी तरह ऑलराउंडर पठान ने 29 टेस्ट में 100, 120 वनडे में 173 और टी20I में 28 विकेट हासिल किए. इनसे पहले 1980 के दशक में करसन घावरी ने 39 टेस्ट में 33.54 के औसत से 109 विकेट लिए. वे कपिल देव के बेहतरीन सहयोगी रहे और उनके साथ बॉलिंग की शुरुआत की.
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घावरी के भारतीय क्रिकेट परिदृश्य से ओझल होने और जहीर-नेहरा एंड कंपनी के आने के पहले टीम इंडिया मैनेजमेंट ने बाएं हाथ के कुछ तेज बॉलर्स को आजमाया. इनमें से एक बॉलर थे गुजरात के राशिद पटेल (Rashid Patel), जिन्होंने 1988 में भारत के लिए एक टेस्ट और एक वनडे खेला लेकिन फ्लॉप साबित हुए. ऐसा लगा कि बाएं हाथ का यह तेज गेंदबाज, इंटरनेशनल क्रिकेट के लिहाज से बिल्कुल भी तैयार नहीं है. अपने छोटे से इंटरनेशनल करियर के दौरान राशिद टेस्ट और वनडे, दोनों में न तो कोई विकेट ले पाए और न रन बना पाए. भारतीय टीम (Team India) से बाहर होने के बाद गलत कारणों से वे चर्चा में आए. मैदान पर खराब व्यवहार के कारण उन्हें 13 माह के प्रतिबंध का सामना करना पड़ा.
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विकेट को तरसे, दोनों पारियों में 0 पर आउट
1 जून 1964 में सांबरकाठा में जन्मे राशिद गुलाम मोहम्मद पटेल को घरेलू क्रिकेट में सामान्य प्रदर्शन के बावजूद 1988 में भारत की ओर से खेलने का मौका देने का फैसला हैरानीभरा रहा. संभवत: बाएं हाथ का तेज गेंदबाज होने के कारण उन्हें आजमाया गया. नवंबर 1988 में न्यूजीलैंड के खिलाफ बंबई (अब मुंबई) में टेस्ट खेलकर राशिद ने इंटरनेशनल करियर शुरू किया. पहली पारी में उन्होंने चार ओवर में 14 रन दिए जबकि दूसरी पारी में 10 ओवर में 37 रन. दोनों ही पारियों में वे विपक्षी बैटरों पर कोई असर नहीं छोड़ पाए और उनका विकेट का कॉलम खाली रहा. यही नहीं, टेस्ट की दोनों ही पारियों में वे 0 पर आउट हुए. कुल मिलाकर राशिद के लिए टेस्ट डेब्यू ऐसा रहा कि वे इसे भूलना ही पसंद करेंगे. डोमिस्टिक क्रिकेट में भी उनका प्रदर्शन साधारण रहा. राशिद ने 42 फर्स्ट क्लास मैचों में 34.80 के औसत से 113 (सर्वश्रेष्ठ 6/93) और 18 लिस्ट ए मैचों में 42.68 के औसत से 16 विकेट लिए.
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वनडे में भी कोई विकेट नहीं मिलाटेस्ट डेब्यू के करीब एक माह बाद, 17 दिसंबर 1988 को राशिद को वनडे डेब्यू का मौका मिला. होमग्राउंड वडोदरा में उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ ही वनडे करियर का आगाज किया लेकिन फिर नाकाम रहे. मैच में उन्होंने 10 ओवर में 58 रन दिए लेकिन कोई विकेट नहीं ले सके. मैच भारतीय टीम ने 2 विकेट से जीता और इसमें राशिद को बैटिंग का भी मौका नहीं मिला. एक टेस्ट और एक वनडे में बिना कोई विकेट और रन के उनका इंटरनेशनल करियर खत्म हुआ.
रमन लांबा को विकेट लेकर मारने दौड़े थे1990-91 में जमशेदपुर में नॉर्थ जोन और वेस्ट जोन के बीच दिलीप ट्रॉफी (Duleep Trophy) का फाइनल मैच, भारतीय घरेलू क्रिकेट के काले अध्याय के रूप में याद किया जाता है. राशिद पटेल और रमन लांबा के झगड़े के कारण इस मैच को तय समय से पहले ही खत्म घोषित करना पड़ा था. राशिद ने स्टंप से लांबा पर हमले की कोशिश की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब दूसरी पारी में नॉर्थ जोन की बैटिंग शुरू हुई. बॉलिंग करते हुए राशिद लगातार ‘डेंजर एरिया’ में जा रहे थे, इस कारण बैटर रमन लांबा से उनकी तीखी बहस हुई. इस पर आपा खोकर राशिद स्टंप लेकर लांबा को मारने दौड़े थे. बताया जाता है कि बीचबचाव में नॉर्थ जोन के अजय जडेजा को भी स्टंप से चोट लगी थी. प्लेयर्स को लड़ता देखकर दर्शक भी क्रोधित हो गए और पथराव करने लगे. इससे बाउंड्री पर फील्डिंग कर रहे विनोद कांबली को चोट लगी थी.
इस मामले की जांच के लिए माधवराव सिंधिया, मंसूर अली खान पटौदी और राजसिंह डूंगरपुर की तीन सदस्यीय अनुशासन समिति का गठन किया गया जिसने राशिद पर 13 और लांबा पर 10 माह का बैन का ऐलान किया था. हालांकि बैन गुजारने के बाद राशिद ने मैदान में वापसी की लेकिन अपने प्रदर्शन के कारण शायद ही कभी चर्चा में रहे. 1996 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास लिया.
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बेटा ज़ाफिर भी क्रिकेटर, दिल्ली कैपिटल्स ने खरीदा थाराशिद पटेल का बेटा ज़ाफिर पटेल (Zafir Patel) ने भी तीन फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं.दाएं हाथ के मध्यम गति के बॉलर और बैटर जाफिर ने इन मैचो में 20 रन बनाने के अलावा 5 विकेट भी हासिल किए. पिता की तरह जाफिर भी क्रिकेट में ज्यादा सफल नहीं हुए. 2012 के आईपीएल सीजन के लिए दिल्ली डेयरडेविल्स (नया नाम दिल्ली कैपिटल्स) ने जाफिर को अपने साथ जोड़ा था लेकिन उन्हें खेलने का मौका नहीं मिल सका.
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FIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 16:02 IST