अमृत से भी कम नहीं है इस पौधे का रस, डेंगू के लिए है संजीवनी बूटी, मलेरिया और स्वाइन फ्लू में भी है कारगर – Rajasthan News

Last Updated:July 25, 2025, 13:55 IST
Giloy Health Benefits: गिलोय एक बहुपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे ‘अमृता’ कहा जाता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, बुखार, खांसी-जुकाम, डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों में लाभकारी है. इसकी बेल नीम…और पढ़ें
हाइलाइट्स
औषधीय गुणों से भरपूर है गिलोयबुखार, डेंगू या जुकाम में असरदार है गिलोयगिलोय डेंगू, मलेरिया और स्वाइन फ्लू में में भी कारगर हैसीकर. गिलोय का पौधा कोई आम पौधा नहीं है, यह घर में आसानी से उगाए जाने वाली देसी औषधि है. इसका उपयोग प्राचीन काल से लेकर अब तक कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है. मुख्य रूप से इसका उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है. कोरोना के समय गिलोय का उपयोग सबसे अधिक बढ़ा था, यह एक बेल नुमा पौधा है. इसकी खास विशेषता यह है कि यह जिस पेड़ पर चढ़ती है उसी पेड़ के गुणों को अपने अंदर समाहित कर लेती है.
गिलोय की बेल नीम के पेड़ पर चढ़ने पर इसे ‘नीम गिलोय’ भी कहां जाता है. गिलोय एक लिवर टॉनिक का भी काम करती है, इसका स्वाद कड़वा होता है. आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. महेश शर्मा ने बताया कि बच्चों को खांसी जुकाम बचाने के लिए इस औषधि का उपयोग किया जाता है.
गिलोय के आयुर्वेदिक फायदे
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर महेश शर्मा के अनुसार, गिलोय को आयुर्वेद का अमृत कहा जाता है. यह त्रिदोष शामक मानी जाती है, विशेषकर पित्त और कफ दोष को संतुलित करने में प्रभावी है. यह औषधि जीवाणुरोधी और विषाणुरोधी गुण संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है,जिससे सर्दी-खांसी, बुखार और अन्य आम बीमारियों की आवृत्ति और तीव्रता कम होती है. इसके अलावा गिलोय डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू, टाइफाइड के बुखार से निजात दिलाने में मदद करती है. इसकी शीतलन प्रकृति और पित्त शामक गुण शरीर के तापमान को कम करने, विषैले पदार्थों (आमा) को दूर करने और बुखार से जुड़ी कमजोरी को दूर करने में मदद करते हैं. अक्सर इसे बुखार में तुलसी के साथ प्रयोग किया जाता है.
आयुर्वेदिक चिकित्सक के अनुसार, गिलोय लिवर के कार्य को भी बेहतर बनाती है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करती है. गिलोय एंटी-डायबिटिक गुणों से भरपूर है. यह डायबिटीज के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है. इसके अलावा गठिया एवं जोड़ों के दर्द में राहत भी यह राहत दिलाती है. आयुर्वेद में इसे वात दोष को शांत करने वाला माना जाता है, जो अक्सर जोड़ों के दर्द से जुड़ा होता है. इसके अलावा त्वचा रोगों में भी यह कारगर औषधि है. यह तनाव हार्मोन को नियंत्रित करने के साथ मस्तिष्क के कार्य को बेहतर बनाता है. साथ ही थकान को कम कर चिंता के लक्षणों को दूर करता है और मानसिक स्पष्टता एवं धैर्य बढ़ाने में सहायक साबित होता है.
Location :
Sikar,Rajasthan
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अमृत से भी कम नहीं है इस पौधे का रस, मलेरिया और स्वाइन फ्लू में है असरदार
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