secret of this 400 year old temple Darshan takes place only twice a year

Last Updated:May 01, 2025, 14:47 IST
जोधपुर के गूंदी मोहल्ला स्थित 400 साल पुराने बद्रीनारायण मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया और दीपावली के अगले दिन ही खुलते हैं. यह परंपरा शर्मा परिवार की 7 पीढ़ियों से चली आ रही है.X
जोधपुर का बद्रीनारायण मंदिर
हाइलाइट्स
बद्रीनारायण मंदिर साल में दो बार ही खुलता है.मंदिर की परंपरा 400 साल पुरानी है.मंदिर की स्थापना संत से मिली प्रतिमा से हुई.
जोधपुर:- सूर्यनगरी जोधपुर के भीतरी शहर गूंदी मोहल्ला स्थित बद्रीनारायण गली में एक प्राचीन मंदिर है, जो सालभर में केवल दो बार भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है. अक्षय तृतीया (आखातीज) के अवसर पर एक बार फिर इस मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोले गए. यह मंदिर उत्तराखंड स्थित प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम से सीधे रूप से जुड़ा हुआ माना जाता है.
400 साल पुराना मंदिरकरीब 400 साल पुरानी परंपरा के अनुसार, यह मंदिर केवल दो खास अवसरों, अक्षय तृतीया और दीपावली के अगले दिन रामा-श्यामा के दिन ही खुलता है. बद्रीनाथ धाम की तर्ज पर यहां भी मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया पर खुलते हैं और उस दिन भगवान बद्रीनारायण के विशेष दर्शन कराए जाते हैं.
चार धामों में शामिल बद्रीनाथ धाम में जहां श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन के लिए 6 माह का इंतजार करना पड़ता है, वहीं जोधपुर के श्रद्धालुओं को भी इस मंदिर के दर्शन के लिए इतना ही इंतजार करना पड़ता है. अक्षय तृतीया और दीपावली के अगले दिन के अलावा वर्षभर यह मंदिर बंद रहता है.
अद्भुत कथा: संत से मिली थी प्रतिमाइस मंदिर की स्थापना के पीछे एक अद्भुत और रहस्यमयी कथा जुड़ी है. मंदिर के सेवक राघव शर्मा ने बताया कि उनके पूर्वज करीब 400 साल पहले बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर गए थे. रास्ते में उन्होंने एक संत से अपनी व्यथा साझा की. संत ने उन्हें भगवान बद्रीनारायण की एक प्रतिमा सौंपी और कहा कि इसे अपने घर में स्थापित कर उसी विधि से पूजा करें, जैसी बद्रीनाथ में होती है. प्रतिमा देने के बाद वह संत अदृश्य हो गए. इसके बाद उनके पूर्वज जोधपुर लौटे और प्रतिमा को स्थापित कर विधिवत पूजा-अर्चना शुरू की.
7 पीढ़ियों से चल रही है परंपराशर्मा परिवार के अनुसार, यह परंपरा पिछले सात पीढ़ियों से चली आ रही है. परिवार के सदस्य आज भी उसी श्रद्धा और निष्ठा से भगवान बद्रीनारायण की पूजा करते हैं, जैसे उनके पूर्वज करते थे. यह मंदिर ना केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि आस्था, परंपरा और विरासत का जीता-जागता प्रतीक भी है.
Location :
Jodhpur,Rajasthan
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क्या आप जानते हैं इस 400 साल पुराने इस मंदिर का रहस्य? अनोखी है कहानी
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