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Diwali Common Health Issues: पटाखे जलाएं मगर संभलकर… दिवाली पर इन 5 बीमारियों का खतरा अधिक? जानिए चपेट में आएं तो कैसे करें बचाव

Diwali Smoke impacting Asthmatics: मिठाइयों और खुशियों का प्रतीक दिवाली का त्योहार 20 अक्तूबर दिन सोमवार को है. पूरे देश में जश्न का माहौल है. यह पर्व जितना खुशियों भरा है उतना ही जोखिम भरा भी. क्योंकि, इस दौरान चलने वाले पटाखों से पर्यावरण में जहां प्रदूषण की धुंध होती है तो वहीं चोट या जलने का भी खतरा होता है. इससे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए दीपावली के दौरान सभी लोग सावधानी बरतें, ताकि उनकी खुशियां बरकरार रहें. इसके लिए वे गर्म कपड़े पहनें, धूल और धुएं से बचें, सावधानी से पटाखे चलाएं और डॉक्टर द्वारा दिए गए दवाओं का नियमित सेवन करें. अब सवाल है कि आखिर दिवाली के दौरान किन बीमारियों को सबसे अधिक जोखिम बढ़ता है? अगर चपेट में आ जाएं तो कैसे करें बचाव? इस बारे में को बता रहे राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिलीप सिंह-

दिवाली के दौरान किन बीमारियों का खतरा

दिवाली पर पटाखों, धूपबत्ती और जलते दीयों से निकलने वाला धुआं पॉल्यूशन बनकर वातावरण में छा जाता है. फिर यह हवा में हानिकारक कणों और गैसों को फैलाता है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं ( (जैसे अस्थमा, खांसी और गले में जलन) हो सकती हैं. वहीं, ज़्यादा खाने से होने वाली पाचन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. इसके अलावा, तेज शोर से सुनने की क्षमता में कमी और आंखों में जलन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.

दिवाली के दौरान किन बीमारियों का बढ़ता है खतरा

अस्थमा-ब्रोंकाइटिस: पटाखों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण बढ़ाता है, जिससे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के लक्षण बिगड़ सकते हैं. बता दें कि, पटाखों से निकलने वाला धुआं हवा में PM2.5, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें छोड़ता है. फिर ये सभी तत्व हवा के साथ सांस की नलियों में पहुंचकर अस्थमा को बढ़ा सकते हैं.

आंख-गले में जलन: दीपावली पर पटाखों, धूपबत्ती और जलते दीयों से निकलने वाला धुआं पॉल्यूशन बनकर वातावरण में छा जाता है. इस प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, खुजली और गले में खराश जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

सांस लेने में परेशानी: दीपावली के दौरान वातावरण में फैले प्रदूषण और धुएं से खांसी, घरघराहट, सांस फूलना और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं देखी जा सकती हैं. इससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, खासकर बुजुर्गों और बच्चों को.

चोट और जलना: दिवाली में बड़ी मात्रा में पटाखे, दीये और मोमबत्ती जलाए जाते हैं. इस दौरान छोटी से भी लापरवाही आपके शरीर के किसी हिस्से को जला सकती है. इसलिए पटाखे जलाने में विशेष सावधानी बरतें. इसके लिए सुरक्षित स्थान का चयन करें.

आग लगने से दुर्घटनाएं: दीपावली पर पटाखे, मोमबत्ती और दीये से आग लगने का भी जोखिम बढ़ सकता है. इसलिए विशेष सावधानी के साथ पटाखे या कैंडिल जलाएं.

पाचन संबंधी समस्याएं: दीवाली पर कई स्वादिष्ट पकवान बनाए जाने की परंपरा है. इस दौरान लोग स्वाद-स्वाद में ज़्यादा खा जाते हैं, जिससे एसिडिटी, गैस, पेट दर्द और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

मोटापा और कोलेस्ट्रॉल: दिवाली में बनने वाले भोजन में मसालों का अधिक यूज होता है, जो सेहत के लिए ठीक नहीं हैं. बता दें कि, ज़्यादा तेल और मसालों वाले भोजन के सेवन से वजन और कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने का जोखिम होता है.

सुनने में कमी: पटाखों के तेज़ शोर के कारण अस्थायी या स्थायी रूप से सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. इसके अलावा, कुछ लोगों को तेज़ आवाज़ के बाद कानों में घंटी बजने जैसी आवाज़ (टिनिटस) का अनुभव हो सकता है.

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