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सूर्यनगरी में गोवर्धन पूजा की धूम,परिक्रमा करने के साथ उत्साह से की परिवारों ने की गोवर्धन पूजा

जोधपुर. दीपावली के बाद सूर्यनगरी जोधपुर में गोवर्धन पूजा की धूम देखने को मिल रही है. श्रद्धा, भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम शहर के विभिन्न इलाकों में देखने को मिला, जहां घर-घर में गोवर्धन पूजा पूरे विधि-विधान और उत्साह के साथ की गई. जोधपुर के गुड़ा रोड स्थित गांधीनगर कॉलोनी में शिक्षाविद अशोक कुमार गुप्ता की देखरेख में सामूहिक गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया. श्रद्धालुओं ने गोबर से पारंपरिक गोवर्धन बनाए और भक्ति गीतों के साथ पूजा-अर्चना की, इसके बाद सामूहिक परिक्रमा भी की गई. इस आयोजन में गांधी नगर निवासी ललिता गुप्ता, हिमांशु गुप्ता, प्रीति गुप्ता, गुप्ता परिवार के अन्य सदस्य, कमलेश कुमार शर्मा, नीलकमल शर्मा और शुभम कुमार ने भाग लिया. साथ ही श्रद्धालु शीतल कंवर, यशोदा जोशी, गार्गी जोशी, मिठू सिंह, चेतन कुमार, प्रीतम, दक्ष कुमार और भूमि कुमारी भी पूजा में शामिल हुए.

दीपोत्सव की इस श्रृंखला में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है. महिलाओं ने सुबह-सुबह उठकर पूरे पारंपरिक रीति-रिवाज़ों के साथ पूजा संपन्न की. इस बार दो अमावस्या पड़ने के कारण कुछ परिवारों ने कल शाम को ही गोवर्धन पूजा कर ली थी, जबकि अधिकांश घरों में आज सुबह पूजा की गई. सूर्यनगरी जोधपुर में गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, सामूहिकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन चुकी है. गीत, भजन और गोबर से बने प्रतीकात्मक गोवर्धन की पूजा ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि परंपराएं आज भी लोगों के जीवन में गहराई से जुड़ी हुई हैं.

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है. इस त्योहार में भगवान कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है. इसी दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग बनाकर अर्पित किए जाते हैं. दीपावली के अगले दिन राजा बली पर भगवान विष्णु की विजय का उत्सव भी मनाया जाता है. ऋग्वेद में उल्लेख है कि भगवान विष्णु ने वामन रूप धरकर तीन पदों में सारी सृष्टि को नाप लिया था. श्रीकृष्ण ने इसी दिन देवेंद्र के मानमर्दन के लिए गोवर्धन को धारण किया था.

शहर में स्थान-स्थान पर नवधान्य से बने पर्वत शिखरों का भोग अन्नकूट प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन देवता की प्रतिमा बनाई जाती है. उन्हें पुष्पों से सजाया जाता है. पूजन के दौरान देवता को दीपक, फूल, फल, दीप और प्रसाद अर्पित करें. गोवर्धन देवता को शयन मुद्रा में बनाया जाता है. उनकी नाभि के स्थान पर मिट्टी का दीपक रखा जाता है, पूजा के बाद सात बार परिक्रमा की जाती है. परिक्रमा के समय लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा करना चाहिए.

इस पूजा का होता है विशेष महत्वडॉ. अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी. श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी. यही कारण है कि गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है.

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