Know who is Sant Dada pammaram ji,why held Annual fair in Shri vijaynagar – News18 हिंदी

रिपोर्ट – विपुल अग्रवाल
श्री गंगानगर. श्रीगंगानगर में इन दिन संत डाडा पम्माराम महाराज का मेला भरा हुआ है. इसकी रौनक और भक्ति इन दिनों शबाब पर है. इस साल फरवरी 29 दिन की है इसलिए ये मेला 14 फरवरी तक चलेगा. संत पम्माराम एक ऐसे संत हैं जिनकी समाधि हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों जगह है. हिंदुस्तान में भी दो जगह समाधि है. हर जगह फरवरी में सालाना मेला लगता है.
संत डाडा पम्माराम महाराज का जन्म बीकानेर के लूणकरणसर कस्बे के कुमाणा गांव में हुआ था. उनके दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते थे. उनमें उस समय पाकिस्तान के लोग भी शामिल थे. पम्माराम ने जब अपने प्राण त्यागे तब कुमाणा गांव में ही उनकी समाधि बना दी गई थी. मान्यता है सरहद बंट जाने के बाद पाकिस्तान में रह गए श्रद्धालुओं को यहां आने में दिक्कत होने लगी, तब पम्माराम ने समाधि में से ही हुक्म दिया था कि उनकी समाधि पाकिस्तान के फोर्टाबाद में भी बना दी जाए. तब उनकी समाधि से भभूत ले जाकर पाकिस्तान के फोर्टाबाद में भी एक समाधि बना दी गयी. बस तब से भारत और पाकिस्तान दोनों जगह हर साल फरवरी में मेला भरने लगा.
संत पम्मारामजी के बारे में और भी किंवदंतियां हैं. भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय अरोड़ा बिरादरी के संतजी के कुछ अनुयायी भारत पाकिस्तान से भारत आ गए. अब इन्हें कुमाणा भी दूर लगने लगा. इसलिए वो भी कुमाणा गांव से संतजी की समाधि से लोटे में भभूत लेकर आ गए और श्रीगंगानगर जिले के श्री विजयनगर में स्थापित कर उनकी समाधि बना दी. 76 साल पहले बनी इस समाधि पर सालाना 6 फरवरी से 12 फरवरी तक 7 दिन का मेला यहां भरता है. इसमें लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस बार फरवरी क्योंकि 29 दिन की है इसलिए मेला 14 फरवरी तक लगा रहेगा.
संत पम्माराम और गुरु गोविंद सिंह की महिमा
संत डाडा पम्माराम के मेले से ही श्री विजयनगर की पहचान है. कहा जाता है संत दादा सिखों के श्री गुरु गोविंद सिंह जी को बहुत मानते थे. इसलिए इस सात दिवसीय मेले में गुरु गोविंद सिंहजी की याद में सात दिन का पाठ रखा जाता है. 12 को मेला खत्म होने के बाद 13 तारीख को भोग पड़ता है. इश वजह से मेले में पंजाब और हरियाणा से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. आजादी से पहले ये मेला सिर्फ पाकिस्तान में लगता था. आजादी के बाद से भारत में भी लगने लगा.
लोग जुड़ते गए कारवां बनता गया
विजयनगर में यह मंदिर लगभग एक हेक्टेयर भूमि में बना है. जैसे-जैसे इस मेले की मान्यता बढ़ती गई इसका स्वरूप भी बढ़ता गया. श्री विजयनगर और अनूपगढ़ के बस स्टैंड के पास विभिन्न प्रकार के झूले भी लगने लगे. इसमें मौत का कुआं झूला आकर्षण का केंद्र रहता है. यहां पर ग्रामीण और शहरी इलाके के लोगों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के लोग शामिल होते हैं. इस साल अनूपगढ़ के केंद्रीय बस स्टैंड के पास हो इस मेले में श्रीमद् वाल्मीकि श्री राम कथा भी हो रही है. कथावाचक का डॉक्टर लवी मैत्रेयी कथा सुना रही हैं.
भारत में तीन जगह, पाकिस्तान में एक जगह मेला
स्थानीय लोग संतजी के प्रति अगाध श्रद्धा रखतेहैं. श्री विजयनगर निवासी कमल मिड्ढा ने बताया कि महाराज का यह सालाना मेला प्रतिवर्ष 6 फरवरी से 12 फरवरी तक लगता है. जिस साल फरवरी 29 दिन की होती है तब यह 7 से 14 फरवरी तक लगता है. मान्यता है सच्चे मन से मांगी मन्नत हमेशा पूरी होती है. यह मेला श्री विजयनगर के अलावा अनूपगढ़, लूणकरणसर के कुमाणा गाँव और पाकिस्तान में होता है. मेला समिति इन सात दिनों में निशुल्क लंगर करती है.
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FIRST PUBLISHED : February 12, 2024, 12:39 IST