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जयपुर: सर्दियों के सीजन में बाजारों में सबसे ज्यादा गर्म कपड़ों की डिमांड रहती हैं. इसलिए हर राज्य से यहां बुनकर, दस्तकार और हस्तकला से तैयार खास कपड़ों को लेकर व्यापारी यहां पहुंचते हैं, ऐसे ही जयपुर में सर्दियों के सीजन में खासतौर पर जम्मू-कश्मीर की पश्मीना शॉल की जयपुर में सबसे ज्यादा डिमांड रहती हैं इसलिए सर्दियां शुरू होते ही गर्म कपड़ों के व्यापारी जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग जिलों से अपनी पश्मीना शॉल को लेकर जयपुर अलग-अलग विंटर मेलों पहुंचते हैं.
ऐसे ही शिल्प कला महोत्सव में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग से आए मोहम्मद अफवान से लोकल-18 ने लाखों रूपए कीमत पश्मीना शॉल को लेकर बात की तो वह बताते हैं कि वह पिछले 14 सालों से हर साल सर्दियों के सीजन में कश्मीर की फेमस पश्मीना शॉल लेकर पहुंचते हैं जिसे जयपुर की महिलाएं खूब खरीदती हैं, मोहम्मद अफवान इतनी गर्म होती हैं ठंड के मौसम में माइनस डिग्री के तापमान में भी गर्माहट देती हैं साथ ही इसकी सुंदरता भी बेहद लाजवाब होती हैं इसलिए दुनियाभर में पश्मीना शॉल की डिमांड रहती हैं, पश्मीना शॉल ख़ासतौर पर हम हैंडलूम पर तैयार करते हैं जो खासतौर पश्मीना नस्ल की खास भेड़ के बालों से बुनाई-कढाई की अलग-अलग प्रक्रियाओं से गुजरते हुए तैयार होती हैं.
जो अमूमन हिमालय के ऊंचे पहाड़ी जंगलों में पाया जाती हैं. पश्मीना ऊन बेहद खास होता हैं जिसमें कोमलता, गर्माहट का गुण होता हैं साथ ही इसकी सुंदरता भी इसमें चार चांद लगा देती हैं. पश्मीना शॉल एक ऐसा प्रोडक्ट्स हैं जो फटा पुराना होने पर भी रिसेल हो जाता हैं इसलिए यह शॉल सर्दियों के सीजन के लिए पूरे सालभर तैयार होती हैं.
5 लाख रुपए तक रहती हैं पश्मीना शॉल की क़ीमत लोकल-18 से बात करते हुए मोहम्मद अफवान बताते हैं कि पश्मीना शॉल की अगर कीमत की बात करें तो इसके मैंकिग वर्क और क्वालिटी के हिसाब से इसकी कीमत अलग-अलग होती हैं जैसे एम्बराइड, निडल वर्क में अलग-अलग कीमत होती हैं लेकिन सामान्य रूप से बेहतरीन पश्मीना शॉल कीमत 5 हजार रुपए से शुरू होते हुए 10 लाख रुपए तक होती हैं. लाखों रूपए कीमत पश्मीना शॉल को तैयार करने में महिनों का समय लगता हैं इसलिए उनकी कीमत लाखों में होती हैं जिसे सबसे ज्यादा VIP लोग खरीदते हैं, पश्मीना शॉल में भी मंहगी से महंगी शॉल तैयार होती हैं जो सिर्फ स्पेशल ऑर्डर मिलता हैं तब ही उसे तैयार करते हैं, लेकिन सामान्य रूप से प्रदर्शनियों में हम 5 हजार से लेकर 2.5 लाख रुपए कीमत शॉल लेकर पहुंचते हैं.
जो सामान्य लोगों से लेकर VIP लोगों के बजट में होती हैं. जयपुर में हर साल हम पश्मीना शॉल की ब्रिकी से लाखों रुपए का कारोबार करते हैं इसलिए हर साल हम यहां पश्मीना शॉल लेकर पहुंचते हैं.
कैसे तैयार होती हैं पश्मीना शॉल लोकल-18 ने मोहम्मद अफवान से पश्मीना शॉल के तैयार होने की प्रक्रिया को बात की तो वह बताते हैं कि कश्मीर में पीढ़ी दर पीढ़ी लोग पश्मीना शॉल के काम को आगे बढ़ाते आ रहे हैं ऐसे ही हमारा परिवार भी वर्षों से इस काम को करते आ रहा हैं और यहीं पश्मीना शॉल हमारी खास पहचान हैं. मोहम्मद अफवान बताते हैं कि पश्मीना शॉल के तैयार होने की प्रक्रिया पश्मीना भेड़ की उच्चतम उन से शुरू होती हैं उन की कटाई के बाद पश्मीना के रेशों ऊन से अलग कर उसे बुना जाता हैं जिससे उन से मुलायम, कोमल रेशों को अलग किया जा सके जो सबसे जरूरी हैं. इसके बाद छांटे गए रेशों को हल्के डिटर्जेंट और ठंडे पानी से अच्छी तरह साफ़ किया जाता है. फिर इसमें रंगाई की प्रक्रिया शुरू होती हैं जिसमें प्राचीन तकनीकों का उपयोग होता हैं.
इसके बाद में शॉल की बुनाई का काम होता हैं जिसमें पैस्ले, पुष्प और ज्यामितीय रूपांकनों जैसे जटिल डिज़ाइन पारंपरिक करघों का उपयोग करके कपड़े की बुनाई की जाती हैं. कटाई, छंटाई, सफाई, कताई, रंगाई और बुनाई के बाद आखरी चरण में मशीन और हाथों से इसमें बारिक कढ़ाई की जाती हैं और फिर शॉल बनकर तैयार होती हैं जो सर्दियों के लिए सबसे बेहतरीन प्रोडक्ट्स के डिमांड के रूप में बिकती हैं.



