Tax Jaipur Greater News In Traders – व्यापारी बोले…पहले ही लाखों रुपए टैक्स देते हैं, अब देने की स्थिति में नहीं

—विरोध कर रहे व्यापारियों को मिला पूर्व सीएम वसुधंरा राजे का मिला साथ, बताया ब्लैक टैक्स
—प्रदेश भर के बड़े व्यापारिक संगठनों ने लिया बैठक में हिस्सा, ट्रेड लाइसेंस लागू करने का विरोध में 11 को जयपुर बंद

जयपुर.कोरोनाकाल के बाद व्यापार ठप है। लोग खरीदारी भी कम ही कर रहे हैं। पहले से हर व्यापार पर टैक्स लग रहा है। इसमें एक व्यापारी लाखों रुपए देते हैं। अब देने की स्थिति में नहीं हैं। यह बात ग्रेटर नगर निगम की ओर से लागू किए गए नए पांच ट्रेड लाइसेंस के विरोध में शुक्रवार को बैठक में व्यापारियों ने यह बात कही। बैठक में 11 सितम्बर को जयपुर बंद करने का भी निर्णय हुआ। इसके लिए संघर्ष समिति का गठन भी किया गया। आगे की रणनीति के लिए छह सितंबर को सुबह 11:00 चेंबर भवन पर बैठक होगी।
राजस्थान चेंबर ऑफ कॉमर्स के मानद सचिव केएल जैन ने कहा कि इस तरह के ट्रेड लाइसेंस को लागू नहीं होने देंगे। नगरीय विकास कर, फूड लाइसेंस से लेकर अन्य तरह के टैक्स व्यापारी देता है। वहीं, जयपुर व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुभाष गोयल ने कहा कि इस टैक्स का अब तक औचित्य समझ में नहीं आया है। सिर्फ खजाना भरने के लिए निगम ने यह टैक्स लगाया है। बैठक में राज्य के बड़े व्यापारिक संगठनों के भाग लिया और आंदोलन को गति देने की बात कही।
व्यापारियों के लिए ब्लैक टैक्स से कम नहीं—राजे
पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुन्धरा राजे ने कहा है कि ट्रेड लाइसेंस व्यापारियों पर राज्य सरकार द्वारा थोपा जाने वाला वह ब्लैक टैक्स है,जिसकी वसूली छोटे व्यापारियों और रोज़ कमाकर खाने वाले दुकानदारों के लिए किसी सज़ा से कम नहीं है। उन्होंने माँग की है कि जयपुर के क़रीब डेढ़ लाख व्यापारियों पर क़हर बनने वाले इस क़ानून को रोका जाना चाहिए।
राजे ने जारी एक बयान में कहा कि व्यापारी पहले ही कोरोना के कारण आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे थे और अब जब उनकी मेहनत से उनका व्यापार कुछ हद तक पटरी पर आने लगा तो ट्रेड लाइसेंस वसूली का यह निर्णय ले लिया गया,जो व्यापारियों के लिए सरासर अन्याय है। उन्होंने कहा कि नगर निगम का कार्यकाल पूरा होने के बाद जब राज्य सरकार ने निगम में प्रशासक नियुक्त किया था। तब राज्य सरकार ने प्रशासक से प्रस्ताव लेकर यह क़ानून बनाया था,जो आज व्यापारियों के लिए मुसीबत बन गया है।
खास—खास
—नगरीय विकास कर, होर्डिंग टैक्स और फूड लाइसेंस निगम से अनिवार्य रूप से व्यापारियों को लेना होता है। यह लाखों रुपए सालाना होता है।
—छोटा व्यापारी अभी किसी भी तरह के टैक्स के दायरे में नहीं आता। ट्रेड लाइसेंस के दायरे में ये सभी व्यापारी आ जाएंगे। इनमें रोज कमाकर खाने वाले व्यापारी बड़ी संख्या में आते हैं।