गुलाबी नगरी में बजेगा तीज का ढोल, 298 साल पुरानी परंपरा फिर होगी जीवंत, जानिए कैसे बनें डिजिटल मेहमान

Last Updated:July 25, 2025, 11:47 IST
Teej Festival 2025: Teej Festival 2025 के तहत जयपुर में 298 साल पुरानी परंपरा के अनुसार तीज माता की शाही सवारी निकाली जाएगी. यह ऐतिहासिक आयोजन दो दिन तक चलेगा, जिसमें मेले की धूम रहेगी. आधुनिक तकनीक की मदद से लोग घर बैठे भी इस भव्य उत्सव का आनंद ले सकेंगे.
जयपुर. गुलाबी नगरी जयपुर में 298 साल पुरानी तीज माता की सवारी निकाली जाती है. देश विदेश इस इस सवारी को देखने के लिए आते हैं. इस बार दो दिन यानी, 27 और 28 जुलाई को तीज का उत्सव मनाया जाएगा. यह त्यौहार अपनी पारंपरिक भव्यता और भक्तिमय उत्साह के लिए प्रसिद्ध है.
जयपुर स्थापना के समय से 298 वर्षों से निकल रही तीज माता की शाही सवारी इस बार पूरा राज्य देखेगा. खासबात यह है कि जो लोग व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सकेंगे, उनके लिए पूरे कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीओआईटी) की ओर से राज्यभर में किया जाएगा. साथ ही 200 से अधिक एलईडी स्क्रीन पर इसका प्रसारण किया जाएगा.
इससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्सव शहर के हर कोने तक पहुंचे. शाही सवारी रविवार शाम 5:35 बजे सिटी पैलेस के जनाना ड्योढ़ी से शुरू होगी. त्रिपोलिया बाजार और छोटी चौपड़ से होते हुए पौंड्रिक पार्क पहुंचेगी. जुलूस में सजी हुई बैलगाड़ियां, पालकी, पारंपरिक संगीतकार और लोक नर्तक शामिल होंगे. कलाकार 150 से बढ़ाकर 250 कर दिए.
तीज माता की इस आकर्षक सवारी में हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों शामिल होंगे. इस दौरान राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से एक महिला-केंद्रित शिल्प और सांस्कृतिक मेला लगाया जाएगा. जिसमें तीज की सवारी में शामिल होने वाले श्रद्धालु और पर्यटक इसमें खरीदारी कर सकेंगे.
पौड्रिक पार्क में तीज माता के इस मेले का आयोजन होगा. इस मेले में महिलाओं द्वारा तैयार सामान का क्राफ्ट मार्केट लगाया जाएगा. इसके अलावा फूड स्टॉल्स के साथ महिलाओं के लिए झूले, मेहंदी मांडणे की व्यवस्था की जाएगी. वहीं, छोटी चौपड़ पर तीज माता की पूजा की जाएगी और क्षेत्रीय कलाकार रोचक प्रस्तुतियां भी देंगे. इस मेले का आयोजन दो दिन मेला दोपहर 12 से रात 10 बजे तक चलेगा.
पर्यटन विभाग के अनुसार जयपुर स्थापना के समय से 298 वर्षों से निकल रही तीज माता की शाही सवारी इस बार और भी खास होगी. यह सिर्फ एक आयोजन नहीं है, हर महिला के सफर, उसकी ताकत और उसकी रचनात्मकता का उत्सव है. मेले में आने वाली हर महिला को महसूस हो कि उसकी कद्र की जा रही है.
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