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340 की रफ्तार पर भी ब्रेक मारेगा तेजस, स्वदेशी पैराशूट से लैंडिंग होगी सुपर-सेफ! आसमान के योद्धा को मिला देसी कवच

Last Updated:December 24, 2025, 05:01 IST

Tejas New Parachute Brake: भारतीय वायुसेना के LCA तेजस को अब स्वदेशी हाइब्रिड ब्रेक पैराशूट से लैस किया गया है. ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड द्वारा विकसित यह 10 किलो का सिस्टम 340 किमी/घंटा की आपातकालीन गति पर भी सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करता है. इसका ‘यूनि-क्रॉस’ डिजाइन विमान की लैंडिंग दूरी घटाकर छोटे एयरफील्ड पर संचालन आसान बनाता है. यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम है, जिससे आयात पर निर्भरता घटेगी.340 की रफ्तार पर भी ब्रेक मारेगा तेजस, स्वदेशी पैराशूट से लैंडिंग हुई सुपर-सेफतेजस को नया कवच मिल गया है. नई दिल्‍ली. भारतीय आसमान के रक्षक ‘LCA तेजस’ ने सुरक्षा के मामले में एक लंबी छलांग लगाई है. अब तेज रफ्तार से लैंडिंग करते समय या किसी आपातकालीन स्थिति में तेजस को सुरक्षित रोकने के लिए भारत को विदेशी तकनीक की जरूरत नहीं पड़ेगी. ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड ने एक ऐसा अत्याधुनिक हाइब्रिड ब्रेक पैराशूट तैयार किया है जो न केवल हल्का है बल्कि बेहद शक्तिशाली भी है. यह सिस्टम युद्ध के मैदान में पायलटों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और छोटे एयरफील्ड पर भी विमान की सफल लैंडिंग सुनिश्चित करेगा. रक्षा मंत्रालय के अनुसार यह कदम भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.

हाइब्रिड पैराशूट की तकनीकी खूबियांयह नया हाइब्रिड ब्रेक पैराशूट ‘यूनि-क्रॉस’ मेन कैनोपी डिजाइन पर आधारित है. इसका विस्तार 5.75 मीटर है और यह कुल 17 वर्ग मीटर के क्षेत्र को कवर करता है. इस खास बनावट की वजह से यह हवा के दबाव को कुशलता से झेलता है और विमान को स्थिर रखते हुए उसकी गति को तेजी से कम (Deceleration) करता है. इसकी सबसे बड़ी खूबी इसका वजन है; महज 10 किलोग्राम का यह पैराशूट फाइटर जेट की भारी-भरकम गति को संभालने में सक्षम है.

340 की रफ्तार पर भी ब्रेकसामान्य परिस्थितियों में इस पैराशूट को 285 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर तैनात किया जा सकता है. लेकिन असली ताकत तब दिखती है जब स्थिति आपातकालीन हो; यह सिस्टम 340 किलोमीटर प्रति घंटे की प्रचंड गति पर भी सुरक्षित रूप से खुल सकता है. इसमें मल्टी-स्टेज डिप्लॉयमेंट मैकेनिज्म का उपयोग किया गया है, जिसमें पायलट और सहायक शूट शामिल हैं. यह सुनिश्चित करता है कि सबसे कठिन परिस्थितियों में भी पैराशूट पूरी विश्वसनीयता के साथ काम करे.

ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी और आत्मनिर्भरतारक्षा अधिकारियों का मानना है कि इस सिस्टम के आने से तेजस की ‘मिशन रेडीनेस’ बढ़ गई है. यह हल्का होने के कारण ग्राउंड क्रू के लिए इसे इंस्टॉल करना और संभालना आसान है, जिससे विमान का टर्नअराउंड टाइम कम हो जाता है. इसका मतलब है कि विमान लैंडिंग के बाद बहुत कम समय में दोबारा उड़ान भरने के लिए तैयार हो सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस तकनीक ने भारत की विदेशी कलपुर्जों पर निर्भरता को कम कर दिया है, जिससे देश के रक्षा बजट की भी बचत होगी.

About the AuthorSandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें

First Published :

December 24, 2025, 05:01 IST

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