हिंदी सिनेमा की वो कालजयी फिल्म, टाइटल में था विरोधाभास, दुनिया में रोशन किया बॉलीवुड का नाम – raj kapoor shree 420 classic bollywood movie highest grossing film of all time turn blockbuster critically acclaimed in whole world entrancing story

Last Updated:November 20, 2025, 16:53 IST
Bollywood Classic Movie : हिंदी सिनेमा में कुछ ही फिल्में ऐसी बनी जिन्होंने पूरी दुनिया में बॉलीवुड का नाम रोशन किया. हिंदी सिनेमा को दुनिया के दूसरे देशों में नई पहचान दिलाई. ऐसे फिल्में अब कालजयी मूवी का स्टेटस पा चुकी हैं. 70 साल पहले सिनेमाघरों में एक ऐसी फिल्म रिलीज हुई थी जिसे रूस-रोमानिया में बहुत पसंद किया गया इस फिल्म में कैरेक्टर के नाम का भी एक खास मतलब था. फिल्म का म्यूजिक आज भी उतना ही फ्रेश है. इस फिल्म की गिनती के बिना हिंदी सिनेमा का इतिहास अधूरा है. फिल्म के गाने रोमांस का पर्याय बन गए. 
1953 में राज कपूर ने एक फिल्म ‘आह’ प्रोड्यूस की थी जिसका डायरेक्शन राजा नवाथे ने किया था. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी. राज कपूर ने आगे चलकर ‘दो बीघा जमीन’ से इंस्पायर्ड होकर 1954 में आई बिल्कुल ही अलग तरह की फिल्म ‘बूट पॉलिश’ बनाई जिसे दर्शकों ने खूब सराहा. इस फिल्म से ही मिलती-जुलती एक फिल्म राज कपूर बनाना चाहते थे. उन्होंने श्री 420 फिल्म बनाकर सपने को पूरा किया जिसका टाइटल विरोधाभासी था. मजेदार बात यह है कि फिल्म के क्रेडिट्स में नगरिस और नादिर का नाम पहले दिखाया गया था. राज कपूर का नाम बाद में आता है.

जाने-माने पत्रकार ख्वाजा अहमद अब्बास और बीपी साठे की जोड़ी का जलवा 1950 के दशक में सलीम-जावेद के जैसा था. दोनों ने 1951 में ‘आवारा’ फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी थी. यह फिल्म भी हिंदी सिनेमा के इतिहास की महान फिल्मों में से एक है. 4 साल बाद दोनों एक बार फिर से राज कपूर से जुड़े. तीनों ने मिलकर फिल्म बनाई जिसका नाम था : श्री 420 जिसे 6 सितंबर 1955 में रिलीज किया गया था.

श्री 420 का डायरेक्शन-प्रोडक्शन राज कपूर ने किया था. हीरोइन के तौर पर उन्होंने नरगिस को लिया था. इस फिल्म में कैरेक्टर के नाम भी बहुत सोच-समझकर रखे गए थे. उनका एक खास मतलब था. मसलन राज कपूर के किरदार का नाम ‘राज’ था तो नरगिस के कैरेक्टर का नाम ‘विद्या’ था. विद्या का मतलब है ज्ञान-शिक्षा. अपने नाम के अनुरूप विद्या फिल्म में राज को समय-समय पर जिंदगी का सही रास्ता दिखाने की कोशिश करती रहती है. फिल्म में नादिरा ने माया’ का रोल निभाया था. यह एक निगेटिव रोल था. माया का मतलब है भ्रम. माया राज को बार-बार चमकती-दमकती दुनिया में आने के लिए प्रेरित करती है.
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फिल्म में मेन विलेन का रोल मिर्जा मोहम्म्द बेग ने निभाया था. फिल्म में ललिता पवार ने एक छोटा सा लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार गंगा माई का अदा किया था. केले वाली लेडी के सीन में वह छा गईं. दिलचस्प बात यह है कि श्री 420 फिल्म में गीतकार शैलेंद्र और संगीतकार जय-किशन ने भी एक्टिंग की थी.

श्री 420 में राज कपूर का कैरेक्टर चार्ली चैंपलिन के द ट्रैम्प से इंस्पायर्ड था. इससे पहले आवारा में भी राज कपूर इसी लुक में नजर आए थे. श्री 420 फिल्म का कहानी इस तरह से तैयार की गई थी कि आधी मूवी हंसी-मजाक में गुजरती है. हंसी-मजाक के बीच डायलॉग में गहरी बातें चुटीले अंदाज में कही गई हैं. फिर कहानी में अचानक एक ट्विस्ट आता है.

श्री 420 में नादिरा बब्बर का रोल बहुत अहम था. उनकी अदाकारी ने दिल लूट लिया था. नादिरा का नाम आते ही एक फोटो जेहन में उभरती है जिसमें वह बहुत ही अनोखे अंदाज में सिगरेट केस पकड़े हुए हैं. फिल्म में उन पर एक बहुत ही सदाबहार गीत ‘मुड़-मुड़ के ना देख’ फिल्माया गया है. असल जिंदगी में नादिरा राज कपूर को अपना भाई मानती थीं. उन्होंने राज बब्बर से 1975 में शादी रचाई थी. ‘मुड़-मुड़ के ना देख’ गाने में पहली बार एक्ट्रेस साधना बैकग्राउंड डांसर के तौर पर नजर आई थीं.

श्री 420 में शंकर-जयकिशन का म्यूजिक था. फिल्म में कुल 8 गाने थे. 5 गाने शैलेंद्र ने जबकि 3 गाने हसरत जयपुरी ने लिखे थे. फिल्म का म्यूजिक आज भी सुना जाता है. फिल्म के पॉप्युलर गानों में ‘दिल का हाल सुने दिलवाला’, ‘मेरा जूता है जापानी’, ‘मुड़-मुड़ के ना देख’, ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’, ‘रमैया वस्तावैया’, ‘ईचक दाना बीचक दाना’, ‘ओ जाने वाले मुड़के जरा देखते जाना ‘ और ‘शाम गई रात गई’ शुमार हैं. फिल्म का सभी गाने आज भी उतने की लोकप्रिय हैं.

‘इचक दाना बीचक दाना’ इजरायल में बहुत पॉप्युलर हुआ था. ‘रमैया वस्तावैया’ का तेलुगू में मतलब है कि ‘राम, आप जल्दी आएंगे.’ ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ सॉन्ग को लता मंगेशकर-मन्नाडे ने गाया था. यह गाना अपनी धुन, अपने बोल, फिल्मांकन के चलते खास है. साथ ही इस गाने में राजकपूर के तीनों बच्चे रणधीर, बेटी रितु और ऋषि कपूर नजर आए थे. ऋषि कपूर ने 2017 में अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि इस गाने को अच्छे से पूरा करने के लिए नरगिस ने उन्हें चॉकलेट देने का वादा किया था.

‘मुड़-मुड़ के ना देख’ गाने का जवाब भी फिल्म में दिखाया गया था. वो गाना हसरत जयपुरी ने लिखा था. गाना था : ओ जाने वाले मुड़के जरा देखते जाना. दिल तोड़के तो चल दिए मुझको ना भुलाना, मुझको ना भुलाना. फिल्म में इस गाने की मौजूदगी बहुत खास है. जब राज कपूर जेब में पैसे भरकर विद्या के पास पहुंचता है तो वह उसके विचारों को खारिज कर देती है. राजकपूर जब वहां से चले जाते हैं तो विद्या मन ही मन उन्हें रोकना चाहती है. तभी यह गाना सुनाई देता है.

श्री 420 ने 4.94 करोड़ का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया था. अकेले भारत में 2 करोड़ रुपये कमाए थे. यह एक ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई थी. विदेशों में यह फिल्म 1956 में रिलीज की गई थी. आगे चलकर 1957 में आई फिल्म मदर इंडिया ने इसका रिकॉर्ड तोड़ा था. संयोग से मदर इंडिया में भी नरगिस मुख्य भूमिका में थीं.

श्री 420 फिल्म इस लिहाज से भी खास है कि इसके जरिये को-ऑपरेटिव सोसायटी के कॉन्सेप्ट को देश के कोने-कोने में पहुंचाया गया. फिल्म में दिखाया जाता है कि 100 रुपये में कोई एक शख्स घर नहीं बना पाएगा लेकिन अगर हजारों लोग आपस में पैसे जोड़ लें और सरकार से जमीन ले लें तो सैकड़ों घर बन सकते हैं.
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November 20, 2025, 16:53 IST
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