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मिट्टी में दबी थी प्राचीन दुनिया! राजस्थान में अब तक की सबसे रोमांचक खोज, मिले चौंकाने वाले अवशेष

Last Updated:November 27, 2025, 20:25 IST

Jhunjhunu News : झुंझुनूं के बांसियाल गांव में 4500 साल पुरानी सभ्यता के चौंकाने वाले प्रमाण मिले हैं. खुदाई में तांबे के गहने, हड्डी के औजार और मिट्टी के बर्तन ने प्राचीन जीवन शैली की झलक सामने रखी है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज गणेश्वर–जोधपुरा सभ्यता का विस्तार हो सकती है. दिसंबर तक चलने वाला यह उत्खनन राजस्थान के इतिहास की समझ में नया अध्याय जोड़ने वाला है.

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मिट्टी में दबी थी प्राचीन दुनिया... राजस्थान में अब तक की सबसे रोमांचक खोज!

झुंझुनूं. राजस्थान के झुंझुनूं जिले के बांसियाल गांव में इतिहास की परतों को हिलाकर रख देने वाली खोज सामने आई है. केरल, बिहार और पश्चिम बंगाल से आए युवा शोधार्थियों की एक टीम ने यहां करीब 4500 साल पुराने मानव जीवन के निशान ढूंढ निकाले हैं. खुदाई के दौरान मिले तांबे से बने गहने, हड्डियों से बने औजार और मिट्टी बर्तनों के अवशेष इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह इलाका कभी संगठित जीवन शैली और उन्नत तकनीक वाली प्राचीन सभ्यता का केंद्र रहा होगा. गांव के लोग भी इस खोज को उत्साह के साथ देख रहे हैं, क्योंकि इससे क्षेत्र का प्राचीन इतिहास एक बार फिर दुनिया के सामने आने वाला है.

यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे की विशेषज्ञ टीम के साथ देशभर के स्टूडेंट्स इस उत्खनन में भाग ले रहे हैं. युवाओं ने अपने कौशल के दम पर जमीन की सतह के करीब 6 फीट नीचे ऐसे अवशेषों तक पहुंच बनाई है, जो अब तक सिर्फ पुस्तकों में पढ़े जाते थे. ये खोजें प्रसिद्ध गणेश्वर–जोधपुरा सभ्यता से मेल खाती नजर आ रही हैं, जो राजस्थान में तांबा युग की सबसे महत्वपूर्ण सभ्यताओं में गिनी जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यहां मिली सामग्री स्पष्ट संकेत देती है कि यह स्थान उस सभ्यता का विस्तार हो सकता है. खुदाई में मिले गहने और औजार बताते हैं कि यहां धातु कला और मानव कौशल अपने समय में बेहद विकसित था. स्थानीय ग्रामीण भी खुदाई स्थल पर बड़ी संख्या में पहुंचकर उत्सुकता दिखा रहे हैं और इस खोज को क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं.

प्राचीन सभ्यता की नई कड़ी उजागर हुई
विशेषज्ञों की टीम का मानना है कि बांसियाल में मिला यह पुरातात्विक खजाना राजस्थान की प्राचीन सभ्यताओं की समझ को और मजबूत करेगा. गणेश्वर–जोधपुरा सभ्यता तांबे के औजारों और उन्नत धातुकर्म तकनीक के लिए जानी जाती है. यहां मिले तांबे के गहनों को देखकर विशेषज्ञों ने कहा कि यह 4500 साल पुरानी धातु शिल्पकला का दुर्लभ उदाहरण है. इसके अलावा हड्डियों से बने टूल्स यह दर्शाते हैं कि उस समय यहां शिकार, खेती और हस्तशिल्प जैसे काम विकसित रूप में मौजूद थे. टीम का अनुमान है कि आगे की खुदाई में आवासीय ढांचे, मिट्टी के बड़े बर्तन, पूजा सामग्री या किसी सामूहिक आवास की संरचना भी मिल सकती है ताकि उस युग की जीवन शैली को और स्पष्ट रूप से समझा जा सके. युवाओं ने बताया कि दिसंबर के पहले सप्ताह तक उत्खनन चलेगा और इस दौरान और भी कई महत्वपूर्ण चीजें सामने आने की उम्मीद है.

दिसंबर तक चलेगा उत्खनन, मिलेगी और जानकारीयुवाओं द्वारा की जा रही यह खुदाई फिलहाल शुरुआती चरण में है लेकिन इसके संकेत बेहद उत्साहजनक हैं. पुरातत्व विशेषज्ञों की निगरानी में काम करने वाले शोधार्थियों ने कहा कि जितना नीचे खुदाई बढ़ेगी, उतने ही अधिक प्रमाण मिलने की संभावना है. टीम दिसंबर के पहले सप्ताह तक उत्खनन जारी रखेगी और हर परत से मिलने वाले नमूनों को माइक्रो–स्टडी के लिए सुरक्षित किया जाएगा. इस खोज के बाद बांसियाल गांव पुरातत्व मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान लेकर उभरा है और यहां के ग्रामीण भी इस बदलाव को गर्व से देख रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह खोज राजस्थान की प्राचीन सभ्यताओं की समझ में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने वाली है और आने वाले दिनों में यह स्थल इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए अध्ययन का बड़ा केंद्र बन सकता है.

Anand Pandey

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल… और पढ़ें

Location :

Jhunjhunu,Rajasthan

First Published :

November 27, 2025, 20:25 IST

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