नदी के अंदर चल रही थी खुदाई, ‘पाताल’ से निकली ऐसी चीज, सीधे शिव मंदिर भागे लोग…

Last Updated:February 11, 2025, 11:36 IST
स्थानीय लोगों ने बाद में इसे पास के शिव मंदिर में रख दिया और उसकी पूजा करने लगे. अब पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की टीम पुलिस के साथ मौके पर जाकर इसे अपने अधिकार में लेना चाहती है. आइये जानते हैं डिटेल में..
ऐसी संभावना है कि यहां कभी कोई दफन मंदिर था.
भीलवाड़ा : राजस्थान के भीलवाड़ा में एक नदी में चल रहे रेत खनन के काम के दौरान कुछ ऐसा हुआ, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ आई. यहां नदी के खनन के दौरान 9वीं-13वीं सदी का ऐसा ऐतिहासिक खजाना निकला, जिसे देख हर कोई चकित है. खास तौर पर सरकारी अफसर. वे इसे बेहद ऐतिहासिक बता रहे हैं. खुद पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के सुपरिटेंडेंट कहते हैं कि ये स्वर्ग से पवित्र जल के उतरने की प्रतीकात्मक कथाएं थीं. लोग भी इस खजाने को लेकर शिव मंदिर पहुंचे और वहां रखकर इसकी पूजा करने लगे. आइये जानते हैं डिटेल में.
जानकारी के अनुसार, भीलवाड़ा में बनास नदी के जल क्षेत्र में रेत खनन के दौरान स्थानीय लोगों ने एक ही पत्थर पर 9वीं-13वीं सदी की दो प्राचीन एक फुट ऊंची मूर्तियां खोजीं. इससे पता चलता है कि यहां कभी प्राचीन मंदिर हुआ करता था.
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग (डीएएम) ने बताया कि ये मूर्तियां प्रतिहार या चौहान वंश की हैं. जयपुर सर्किल के अधीक्षक नीरज त्रिपाठी ने बताया कि ये मूर्तियां नदी की देवी यमुना को दर्शाती हैं, जो इस काल के मंदिरों के दरवाजों पर अक्सर उकेरी जाती हैं.
उन्होंने कहा कि “एक मूर्ति में यमुना को ‘त्रिभंगा’ मुद्रा में दिखाया गया है, जिसमें वे एक घड़ा पकड़े हुए हैं. हालांकि घड़े के टुकड़े टूटे हुए हैं, लेकिन उनके पैरों के पास बचे हुए हैं, जो नदी के निरंतर प्रवाह का प्रतीक हैं. इस काल के मंदिरों में मूर्तिकला की यह शैली आम थी.” कछुए का प्रतीक, जो आमतौर पर जल देवताओं से जुड़ा होता है, मूर्ति पर भी पाया गया.
TOI की खबर में त्रिपाठी के हवाले से कहा गया है कि “यह प्रतीक आमतौर पर जल देवताओं के संबंध में देखा जाता है, जो इसकी उत्पत्ति के टाइम पीरियड को दिखााता है. डीएएम अब इस क्षेत्र में पिछली खोजों की जांच करेगा, क्योंकि ऐसी संभावना है कि यहां कभी कोई दफन मंदिर था. अगर पिछली खोजें इस खोज से मेल खाती हैं, तो यह बड़े पैमाने पर खुदाई के मामले को मजबूत कर सकता है.”
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हालांकि मूर्ति खंडित हालात में मिली और पता चलता है कि उन्हें नुकसान पहुंचा गया था. उनका केवल चेहरा दिखाई देता है, जबकि पीछे का हिस्सा टूटा हुआ है. त्रिपाठी ने कहा कि उस अवधि के दौरान आक्रमणकारियों ने ऐसी मूर्तियों को अक्सर खराब कर दिया था. विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि मंदिर के द्वार केवल प्रवेश द्वार नहीं थे, बल्कि स्वर्ग से पवित्र जल के उतरने की प्रतीकात्मक कथाएं थीं.
स्थानीय लोगों ने बाद में मूर्तियों को पास के शिव मंदिर में रख दिया और उसकी पूजा करने लगे. हालांकि, त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि इन मूर्तियों की पूजा नहीं की जाती थी. ये साफ तौर पर उन मूर्तियों से मेल नहीं खातीं जो पूजा के लिए हैं.
त्रिपाठी ने कहा, “हालांकि, यह आसपास के क्षेत्र में एक संरचना की मौजूदगी के बारे में बताता है.” हालांकि अब विभाग पुलिस की सुरक्षा में मंदिर में मौजूद मूर्ति को हासिल करने की कोशिश शुरू करेगा.
Location :
Bhilwara,Bhilwara,Rajasthan
First Published :
February 11, 2025, 11:36 IST
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