Rajasthan

किसानों के लिए लाखों की कमाई का जरिया बना यी खट्‌टा फल, डिमांड भी जबरदस्त और रोजगार का भी बना जरिया

Last Updated:November 15, 2025, 10:53 IST

Nagaur Amla Cultivation: नागौर जिले में आंवला खेती तेजी से बढ़ रही है और किसानों के लिए आय का प्रमुख स्रोत बनती जा रही है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है और मिश्रित कृषि प्रणाली को बढ़ावा मिला है.आंवले से जुड़े प्रसंस्करण कार्यों ने ग्रामीण महिलाओं को भी रोजगार प्रदान किया है. नागौर का जैविक आंवला और उसका पाउडर बड़े पैमाने पर कंपनियों व औषधालयों में भेजा जा रहा है, जिससे व्यापार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है.
आंवला

राजस्थान के नागौर जिले में आंवले की खेती बढ़ती जा रही है. किसान के लिए यह खेती फायदेमंद साबित हो रही है. पहले जहां किसान परंपरागत फसलों जैसे बाजरा, चना और गेहूं पर निर्भर थे, वहीं अब वे अपने खेतों के आंवले की खेती कर रहे हैं. इससे किसान कम मेहनत में लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह ने बताया कि आवले की खेती से किसानों की आमदनी नियमित बनी रहती है और खेती पर होने वाला खर्च भी काफी कम हो गया है, जिससे जीवन स्तर में सुधार दिख रहा है.

आंवला

एग्रीकल्चर एक्सपर्ट के अनुसार, आंवला खेती के विस्तार ने नागौर के किसानों के लिए मिश्रित कृषि प्रणाली को मजबूत किया है. किसान बताते हैं कि फलदार पौधे कम पानी में भी अच्छी पैदावार देते हैं, जिससे सूखे इलाकों में यह एक सुरक्षित विकल्प बन गया है. इसके अलावा वे खेतों में वे परंपरागत फसलें उगाकर अनाज की जरूरतें पूरी करते हैं और पशुओं के लिए चारा भी तैयार करते हैं. यह मॉडल जोखिम घटाने और आय बढ़ाने दोनों में सहायक साबित हुआ है.

आंवला

नागौर जिले में आंवला खेती ने ग्रामीण महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है. यहां महिलाएं आंवला उबालने, सुखाने, चूर्ण बनाने, आचार और मुरब्बा तैयार करने जैसे कार्यों में लगी हुई हैं. इनसे उन्हें नियमित आय मिलती है, जिससे घर की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है. परिवार शिक्षा, स्वास्थ्य और घरेलू जरूरतों पर बेहतर खर्च कर पा रहे हैं, जिस कारण ग्रामीण जीवन में सकारात्मक बदलाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है.

आंवला

स्थानीय व्यापारी ओमप्रकाश शर्मा बताते हैं कि नागौर का आंवला और उसका पाउडर विभिन्न कंपनियों, निजी औषधालयों और अन्य संस्थानों को बड़े पैमाने पर भेजा जाता है. इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, क्योंकि यहां का उत्पाद जैविक पद्धति से तैयार होता है और गुणवत्ता में श्रेष्ठ माना जाता है. बढ़ती मांग ने व्यापारियों और किसानों दोनों की आय में वृद्धि की है, जिससे क्षेत्र में कृषि आधारित रोजगार भी बढ़ा है. उन्होंने बताया कि आंवला अपने औषधीय गुणों के कारण देशभर में लोकप्रिय है. इसमें विटामिन-C भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है.

आंवला

इसके अलावा च्यवनप्राश, आयुर्वेदिक दवाएं, सौंदर्य प्रसाधन, आचार-मुरब्बा और पाउडर जैसे उत्पादों में इसका विशेष उपयोग होता है. यही कारण है कि नागौर में उत्पादित आंवले को बड़े शहरों से लेकर औषधालयों तक निरंतर मांग मिलती रहती है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट के अनुसार, सर्दी में आंवला पौधों की देखभाल अत्यंत आवश्यक है. वे सलाह देते हैं कि पौधों के आस-पास सूखी पत्तियां रखकर हल्का धुआं किया जाए, जिससे पाला नहीं पड़े. साथ ही सूखी और कमजोर टहनियों की नियमित छंटाई, जैविक खाद का प्रयोग तथा नीम के तेल का छिड़काव पौधों को रोगों से सुरक्षित रखता है और उनकी वृद्धि भी प्रभावित नहीं होती.

आंवला

नागौर जिले में आंवला खेती का बढ़ता दायरा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रहा है. खेती में आए इस बदलाव से किसानों को न केवल आर्थिक मजबूती मिली है, बल्कि युवाओं को भी गांव में ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है. खेती-किसानी के इस नए मॉडल ने जिले को फल उत्पादन के क्षेत्र में पहचान दिलाई है और आने वाले समय में इसके और विस्तृत होने की उम्मीद जताई जा रही है.

First Published :

November 15, 2025, 10:53 IST

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किसानों के लिए लाखों की कमाई का जरिया बना यी खट्‌टा फल, रोजगार का भी बना जरिया

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