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दौसा में लगाए थे किसान ने बेर के 800 पेड़, पहले हुआ फायदा, अब हो रहा है नुकसान, जानें वजह

Last Updated:March 16, 2025, 14:10 IST

Agriculture News: दौसा में मजदूरों की कमी के चलते किसान शिवचरण के लिए बेर का बगीचा चिंता का सबब बन गया है. उनके यहां करीब बेर के 800 पेड़ हैं, और रोजाना केवल 10 मजदूर ही आ रहे हैं, जिससे वे बताते हैं, कि करीब 1…और पढ़ेंX
गीजगढ़
गीजगढ़ में बेर का बगीचा 

हाइलाइट्स

दौसा में मजदूरों की कमी से किसान परेशानमजदूरों की कमी से बेर खराब हो रहे हैंशिवचरण के बगीचे में 800 पेड़ हैं

दौसा:- मजदूरों की कमी के चलते, पेड़ों से बेर की तुड़ाई न हो पाने से किसानों को काफी घाटा हो रहा है. मेहनत और उम्मीद से लगाया गया बेर का बगीचा, अब किसान शिवचरण के लिए भी मजदूरों की कमी के चलते चिंता का सबब बन गया है. दरअसल एक समय था जब कृषि विभाग की पहल पर उनके खेत में बेर के पेड़ लगाए गए थे, जो अब फल देने लगे हैं. इससे शुरुआत के साल में किसान की आमदनी में बढ़ोतरी हुई, लेकिन अब मजदूरों की कमी के कारण, वह बेर समय पर नहीं तोड़े जा पा रहे हैं, जिससे बड़ी मात्रा में फल खराब हो रहे हैं. उन्होंने 1993 में 200 पेड़ लगाए थे, फिर जमीन ठीक कराकर 800 पेड़ लगा दिए. उनके अनुसार अब एक पेड़ के नीचे ही करीब 40 किलो से ज्यादा खराब बेर पड़े हैं.

प्रशिक्षण से बदली थी जिंदगीकिसान शिवचरण बताते हैं कि कृषि विभाग की ओर से उन्हें एक प्रशिक्षण टूर पर ले जाया गया था, जहां बेर की बिक्री से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिली. हरियाणा में बेर की कीमत 30 रुपए प्रति किलो थी, जबकि स्थानीय बाजार में यह सिर्फ 1-2 रुपए किलो बिक रहे थे. इसके बाद उन्होंने दिल्ली जाकर 28 रुपए प्रति किलो की दर से बेर बेचा, जिससे उन्हें बगीचे को और विस्तार देने की प्रेरणा मिली.

बेर के अच्छे दाम मिलने से बढ़ाया उत्पादनआपको बता दें, कि 1993 में शिवचरण ने 200 पेड़ लगाए, फिर खेत की जमीन ठीक कर कुल 800 पेड़ लगा दिए. उन्होंने अनुभव किया कि जितनी दूर बेर की सप्लाई होती है, उतना ही अधिक लाभ मिलता है. ठंडे प्रदेशों में इसकी अच्छी कीमत मिलती है, जबकि स्थानीय बाजार में अधिक आपूर्ति के कारण दाम गिर जाते हैं.

मजदूरों की भारी किल्लतवहीं अब शिवचरण के मुताबिक, हर दिन 10 मजदूर बेर तोड़ने के लिए आते हैं, लेकिन यह संख्या जरूरत से काफी कम है. मजदूर समय पर नहीं मिलते, जिससे फलों की तोड़ाई प्रभावित होती है. हालात ऐसे हैं कि एक पेड़ के नीचे करीब 40 किलो से अधिक बेर खराब पड़े हैं. वे बताते हैं, कि बिहार से मजदूर बुलाने की कोशिश भी नाकाम रही, क्योंकि ठेकेदार मजदूरों की व्यवस्था नहीं कर पाए.

बेर के बगीचे का भविष्य संकट मेंमजदूरों की कमी की वजह से अब शिवचरण का बेर का बगीचा घाटे में जाता दिख रहा है. अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला तो आने वाले सालों में यह मेहनत बेकार हो सकती है. सरकार या स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे बेर उत्पादन करने वाले किसानों की समस्या पर ध्यान दें और मजदूरों की उपलब्धता सुनिश्चित करें, ताकि यह मेहनत बर्बाद न हो.


Location :

Dausa,Rajasthan

First Published :

March 16, 2025, 14:10 IST

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दौसा में लगाए थे किसान ने बेर के 800 पेड़, पहले हुआ फायदा, अब हो रहा है नुकसान

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