1971 युद्ध की पेंटिंग पर छिड़ी जंग संसद तक पहुंची, जानें क्या है पूरा माजरा, कहां गई वह तस्वीर
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1971 Vijay Diwas : सोशल मीडिया पर 1971 की जंग की पेंटिंग वायरल क्या हुई बवाल मच ही गया. पहले सोशल मीडिया पर पूर्व सानिकों ने सवाल उठाए तो मामला संसद तक पहुंच गया. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में बांगलादेश के मुद्दे पर बोलते हुए यह पेंटिंग हटाए जाने का मसला उठाया और फिर पूरे कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाते हुए वॉक आउट कर दिया. सदन के बाहर आने के बाद पूरी कांग्रेस पार्टी ने बांग्लादेशों में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर प्रदर्शन भी दिया. अब ये जरूर सोच रहे होंगे कि आखिर ये मुद्दा है तो क्या है?
दरअसल साउथ ब्लॉक में सेना प्रमुख के लॉन्ज से 1971 की जंग में पाकिस्तानी सेना के सरेंडर की एतिहासिक तस्वीर हटा दी गई और उसकी जगह दूसरी पेंटिंग लगाई गई है. यह तस्वीर तब खींची गई थी, जब पाकिस्तान के जनरल नियाजी 1971 की जंग में हार मानते हुए सरेंडर डॉक्यूमेंट पर दस्तखत कर रहे थे. इस तस्वीर की एक पेंटिंग साउथ ब्लाक में सेना प्रमुख के लॉन्ज में लगी थी, जहां सेना प्रमुख विदेशी मेहमानों से मुलाकात करते हैं, फोटो खींची जाती है.
तस्वीर पहुंची मानेकशॉ सेंटर1971 की जंग के हीरो रहे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नाम पर दिल्ली में सेना का एक भवन है. अमूमन सेना से जुड़े सारे कार्यक्रम वहीं आयोजित होते हैं. अब वो पेंटिंग मानेकशॉ सेंटर में लगा दी गई है. खुद थलसेना प्रमुख इस मौके पर वहां मौजूद थे. सेना के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल X पर इसकी फोटो साझा की गई है और लिखा गया कि विजयदिवस के अवसर पर जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और सुनीता द्विवेदी के साथ 1971 के आत्मसमर्पण की प्रतिष्ठित पेंटिंग को उसके सबसे उपयुक्त स्थान मानेकशॉ सेंटर में स्थापित किया गया.
इसमें कहा गया कि यह पेंटिंग भारतीय सशस्त्र बलों की सबसे बड़ी सैन्य जीतों में से एक और सभी के लिए न्याय और मानवता के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है. मानेकशॉ सेंटर में इसके प्लेसमेंट से इस स्थान पर भारत और विदेशों से विविध दर्शकों और गणमान्य व्यक्तियों की पर्याप्त उपस्थिति के कारण बड़े पैमाने पर दर्शकों को लाभ होगा.
नई पेंटिंग में है चाणक्या नीति, गीता के सार और ड्रैगन की हार1971 की वो पेटिंग जो भारत के शौर्य और पाकिस्तान की फजीहत से जुड़ी थी. उसकी जगह जो पेंटिंग लगाई गई है वो नए भारत की ताकत को दिखाती है. नई पेंटिंग में लद्दाख का पैंगांग लेक दिखाया गया है. इसमें आधुनिक बोट भी हैं, तो चाण्क्य नीति का भी जिक्र है. आधुनिक टैंक और ऑल टेरेन व्हिकल है, तो कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध में अर्जुन का रथ हांकने वाले कृष्ण भी हैं. आसमान में अटैक हैलिकॉप्टर अपाचे भी है, तो गरुड़ भी नजर आ रहा है.
इस तस्वीर से मैसेज साफ है कि अब सेना का फोकस पाकिस्तान नहीं बल्कि ड्रैगन यानी चीन है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक यह पेंटिंग भारतीय सेना की धार्मिकता और शाश्वत प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जैसा कि महाभारत की शिक्षा में दिखाया गया है. इसमें सेना को धर्म के संरक्षक के रूप में दिखाया गया है, जो न केवल राष्ट्र की रक्षा कर रही है, बल्कि न्याय बनाए रखने और राष्ट्र के मूल्यों की सुरक्षा के लिए भी संघर्ष कर रही है.
यह चाणक्य के रणनीतिक और दार्शनिक ज्ञान से प्रेरित है, जो सेना के नेतृत्व, कूटनीति और युद्ध के दृष्टिकोण को मार्गदर्शन प्रदान करता है. बहरहाल चीन जिस शुन त्जू के आर्ट ऑफ वॉर में लिखी गई युद्ध नीतियों को फॉलो करता है, वो 2020 में पूर्वी लद्दाख में चाणक्य नीति और गीता के सार से हार गया. भारतीय सेना ने ऐसी रणनीति अपनाई कि चीन को बातचीत की मेज पर आना पड़ा.
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 16:50 IST