मलयालम सिनेमा की पहली फीमेल स्टार, 34 फिल्मों में किया काम, 37 की उम्र में हुआ निधन, मिस्ट्री बनकर रह गई मौत

Last Updated:November 08, 2025, 12:18 IST
Malayalam First Female Star: हीरोइन ने अपने पूरे करियर में 34 फिल्मों में काम किया. वह मलयालम सिनेमा की पहली फीमेस स्टार बनी. करियर के पीक पर शादी करके घर बसा लिया और सिनेमा की दुनिया को अलविदा कह दिया. महज 37 साल की उम्र में एक्ट्रेस का निधन हो गया. हैरानी की बात है कि आज भी हीरोइन की मौत की वजह का पता नहीं चला.
<strong>नई दिल्ली.</strong> मलयालम सिनेमा की एक्ट्रेस ने अपने दौर की टॉप हीरोइनों में से एक थी. साल 1932 में भरनंगनम, कोट्टायम में जन्म में हुआ और एक पारंपरिक सीरियन कैथोलिक परिवार में पली-बढ़ी. हीरोइन बनने से वह एक स्कूल में टीचर के रूप में काम करती थी. वब बहुत ही कम उम्र में इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गई.

हीरोइन को पहला ब्रेक साल 1949 की फिल्म वेलिनक्षत्रम में मिला. एक गाने में छोटा रोल किया, लेकिन उदय स्टूडियो के प्रोड्यूसर कुंचाको ने एक्ट्रेस के स्क्रीन प्रेजेंस पर ध्यान दिया और हुनर को तुरंत पहचान लिया. इसके बाद एक्ट्रेस की पूरी जिंदगी बदल गई.

कुंचाको ने उनका नाम बदलकर मिस कुमारी रखा और उन्हें फिल्म नल्ला थंका में लीड रोल दिया. यह फिल्म तुरंत हिट हो गई और दर्शकों ने उन्हें बेहद पसंद किया. हम बात कर रहे हैं मिस कुमारी यानी थ्रेशियम्मा कोल्लमपरम्पिल की. जब मलयालम सिनेमा ने केरल के सामाजिक ताने-बाने पर आधारित सशक्त कहानियां गढ़कर अपनी अलग पहचान बनाई, तब 1950 के दशक में मिस कुमारी इस इंडस्ट्री का चेहरा बन गईं

उन्होंने कई फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई, जिनमें चेची (1950), आत्मसखी (1952), शेरियो थेट्टो? (1953), बाल्य सखी (1954) और कंचना (1952) शामिल हैं. इन फिल्मों के जरिए उन्होंने खुद को एक मजबूत कलाकार और मलयालम फिल्मों की एक भरोसेमंद स्टार के रूप में स्थापित किया.

साल 1954 की फिल्म नीलकुईल में एक दलित महिला नीली के किरदार में उनका प्रभावशाली अभिनय न सिर्फ मिस कुमारी के करियर में, बल्कि पूरे मलयालम सिनेमा के इतिहास में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ. नीलकुईल पहली मलयालम फिल्म बनी, जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. इसे मलयालम में बेस्ट फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रपति का रजत पदक भी प्रदान किया गया.

सीआईडी (1955) और अनियाथी (1955) से लेकर पादाथा पैंकीली (1957), रंडिडंगाझी (1958) और मुडियानाया पुत्रन (1961) तक, उनकी फिल्मों ने बार-बार मलयालम में बेस्ट फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रपति का रजत पदक जीता. अपने करियर के शिखर पर ही मिस कुमारी ने 1961 में शादी कर ली और फिल्मों से दूरी बनाने का फैसला किया.

उनकी आखिरी फिल्में थीं स्नापक योहनन (1963) और एन. शंकरण नायर की अरक्किल्लम (1967). अपनी आखिरी फिल्म के सिर्फ दो साल बाद ही मिस कुमारी का निधन 10 जून 1969 को सिर्फ 37 साल की उम्र में हो गया.

उनकी मौत ने फिल्म जगत और उनके फैंस को गहरे सदमे में डाल दिया था. द हिंदू के अनुसार, बताया जाता है कि मिस कुमार पेट की बीमारी से पीड़ित थीं, लेकिन उनकी मौत का सही कारण आज दशकों बाद भी स्पष्ट नहीं है.
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November 08, 2025, 12:18 IST
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