The first solar based drinking water project was built in this sandy village in the 80s people still remember it

मनमोहन सेजू/ बाड़मेर:- इन दिनों देशभर में अक्षय ऊर्जा के सबसे सशक्त स्त्रोत सौर ऊर्जा को लगाने की बात को प्रमुखता से किया जा रहा है. लेकिन भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बसे बाड़मेर में एक गांव में अस्सी के दशक में पहली सोलर आधारित पेयजल परियोजना बनी थी. बेहद कम लोग जानते हैं कि इस सौर ऊर्जा के प्लांट को जब लगाया गया था, तब दूर-दूर से कौतूहल वश इसे देखने हजारों लोग आए थे.
बाड़मेर जिले के पवारियों का तला में इस परियोजना के लिए गांव में एक साथ दस टंकियो का निर्माण करवाया गया था. आज भी इस परियोजना को लेकर लोग बात करते हैं, क्योंकि जिस समय सड़कों और संसाधनों का अभाव था, तब इस प्लांट की स्थापना की गई थी. तब लोग इसे कांच वाला प्लांट बोलते थे. गांव में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा खोदे गए ओपन वेल को सोलर प्लेटों से जोड़ा गया था. ओपन वेल से सौर ऊर्जा पानी खिंचकर इन टंकियो को पानी से भरती थी. 5 हजार लीटर की दस टंकियो में 5 लाख लीटर पानी इकट्ठा होता था, जिसपर आसपास के दर्जनों गांवों के हजारों लोग निर्भर हुआ करते थे.
ऐसे गांव तक पहुंचता था पानीलोग ऊंट, बैलगाड़ी से पानी लेकर अपने गांव ढाणी जाया करते थे. जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने यहां अपने कार्मिक तैनात करके इस पूरी परियोजना की देख-रेख की थी. हालांकि वक्त के साथ यह टंकिया जर्जर हो गई और सोलर प्लेट खराब हो गई और नब्बे का दशक आते-आते बिजली के कनेक्शन के बाद इस प्लांट को बंद कर दिया गया. लेकिन अस्सी के दशक की इस विरासत को देखकर लोगों को उस समय की इंजीनियरिंग पर फक्र होता है.
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दर्जनों गांवों से पानी भरने आते थे लोग70 वर्षीय बाबूभारती Local18 को बताते हैं कि जिले में सबसे पहले पंवारिया तला गांव में सौर ऊर्जा आधारित पेयजल आपूर्ति की जाती थी. नेतराड़, बिसारनिया, बामणोर, पदमानियों की ढाणी सहित अन्य दर्जनभर गांवों के हजारों लोगों की प्यास बुझती थी. वहीं रामाराम लोकल18 को बताते हैं कि सौर ऊर्जा से संचालित पेयजल आपूर्ति की जाती थी, तो लोग दूर-दूर से देखने आते थे. यहां से दर्जनों गांवों से लोग पानी भरने आते थे. हालांकि समय के साथ परिवर्तन जरूर आया है. लेकिन आज भी यह पानी की टंकिया उस दौर की याद ताजा कर देती हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 13:09 IST