सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है उदयपुर का गणगौर उत्सव, 3 दिनों तक रहती है धूम, 450 साल पुरानी है परंपरा

Last Updated:April 01, 2025, 16:39 IST
Udaipur Mewar Festival: मेवाड़ फेस्टिवल उदयपुर की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को जीवंत करने का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है. यह करीब 450 साल पुरानी है और मेवाड़ राजघराने की विरासत को संजोए हुए है. इस दौरान गण…और पढ़ेंX
गणगौर फेस्टिवल
हाइलाइट्स
उदयपुर में गणगौर पर्व पर मेवाड़ फेस्टिवल का आयोजन होता है.यह उत्सव 450 साल पुरानी परंपरा को संजोए हुए है.शाही नाव यात्रा और लोक नृत्य मुख्य आकर्षण हैं.
उदयपुर. राजस्थान में गणगौर का पर्व विशेष महत्व रखता है, लेकिन उदयपुर में इसकी भव्यता और भी बढ़ जाती है. इस उत्सव के दौरान झीलों की नगरी रंग-बिरंगे परिधानों, पारंपरिक संगीत और भव्य शोभायात्राओं से सराबोर हो जाती है. यहां हर साल गणगौर पर्व पर तीन दिवसीय मेवाड़ फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है, जो न केवल स्थानीय लोगों बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होता है. मेवाड़ फेस्टिवल उदयपुर की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को जीवंत करने का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है.
तीन दिवसीय मेवाड़ फेस्टिवल की धूम
इस दौरान शहर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, जिनमें लोक नृत्य, पारंपरिक गायन, मटकी फोड़ और मेहंदी प्रतियोगिता शामिल है. गणगौर पर्व के मुख्य दिन उदयपुर की महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर अपने सुहाग की मंगलकामना के लिए गणगौर माता (देवी पार्वती) की पूजा करती हैं. शहर के गणगौर घाट पर यह नजारा देखते ही बनता है, जब अलग-अलग समाजों की महिलाएं अपने-अपने गणगौर प्रतिमाओं को लेकर वहां पहुंचती हैं. गणगौर की यह परंपरा उदयपुर में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक उमड़ते हैं.
मुख्य आकर्षण होता है शाही नाव यात्रा
मेवाड़ फेस्टिवल का सबसे बड़ा आकर्षण शाही बोट की सवारी होती है. यह परंपरा करीब 450 साल पुरानी है और मेवाड़ राजघराने की विरासत को संजोए हुए है. इस दौरान गणगौर माता की शाही सवारी को विशेष रूप से सजाई गई नावों के माध्यम से पिछोला झील में भ्रमण कराया जाता है. सजीव लोक नृत्य और ढोल-नगाड़ों की धुन के साथ जब यह सवारी निकलती है, तो झील का नजारा अद्भुत हो जाता है.
पर्यटकों को मिलता है शानदार अनुभव
इस पर्व के दौरान पर्यटकों को उदयपुर की शाही और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करने का मौका मिलता है. झीलों के किनारे पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां पर्यटक स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति का आनंद ले सकते हैं. साथ ही, इस मौके पर शहर के बाजार भी पारंपरिक हस्तशिल्प और राजस्थानी वस्त्रों से सज जाते हैं, जिससे खरीदारी का मजा भी दोगुना हो जाता है.
सांस्कृतिक धरोहर की दिखती है झलक
गणगौर और मेवाड़ फेस्टिवल का यह भव्य आयोजन उदयपुर को एक अलग पहचान देता है. यह न केवल धार्मिक आस्था और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाता है. यदि आप इस ऐतिहासिक त्योहार का अनुभव करना चाहते हैं, तो गणगौर के अवसर पर उदयपुर आकर इसकी भव्यता का हिस्सा बन सकते हैं.
Location :
Udaipur,Rajasthan
First Published :
April 01, 2025, 16:39 IST
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सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है मेवाड़ फेस्टिवल, 450 साल पुरानी है परंपरा