राजस्थान की नई इको टूरिज्म पॉलिसी को मंजूरी, बढ़ेगा पर्यटन और रोजगार

हाड़ौती अंचल में रीवर एडवेंचर, बोटिंग, टाइगर रिजर्व, ओवर नाइट कैंपिंग, खास आकर्षण होंगे. वहीं रेगिस्तानी जिलों में डेजर्ट ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा. राजस्थान की पॉलिसी में नेशनल और इंटरनेशनल स्टैंडर्ड शामिल होंगे. प्रदेश के शहरों में जयपुर की झालाना की तर्ज पर पैंथर सफारी विकसित होंगी. झील, जलाशय, तालाब को संरक्षित कर बर्ड वाचिंग को बढ़ावा दिया जाएगा. पॉलिसी में गाइड लाइंस को इको टूरिज्म से जुड़े लोगों के लिए ज्यादा आसान और जवाबदेह बनाया जाएगा. प्रदेश के बायो-डायविर्सटी हॉट स्पॉट्स को इसमें प्रमोट किया जाएगा.
दस साल के लिए लागू होगी नई नीति
राजस्थान में अगले दस साल के लिए नई ईको टूरिज्म पॉलिसी लागू हो रही है. 2021 से लेकर 2030 तक ये पॉलिसी प्रदेश में ईको टॅरिज्म को बढ़ावा देने के अलावा जंगलों की संरक्षण पर फोकस रहेगा. नई नीति में राजस्थान के करीब-करीब हर हिस्से को वहां की खासियत के मुताबिक विकसित किया जाएगा. वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़कर आर्थिक रूप से मजबूत किया जाएगा.
नीति पर्यटन के साथ रोजगार देने में सहायक
प्रदेश में अब वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से नई इको टूरिज्म पॉलिसी-2021 प्रभावी की जा रही है. इस पर वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताते हुए कहा है कि नई पॉलिसी प्रदेश के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने में सहायक होगी. बिश्नोई ने बताया कि राजस्थान की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक और पारिस्थितिकीय विविधताओं के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का बड़ा महत्व है. इसी तरह प्रदेश की प्राकृतिक धरोहर भी अब ईको टूरिज्म पॉलिसी से संरक्षित होंगी.
सामान्य टूरिज्म के साथ इको टूरिज्म को बढ़ावा
हेड ऑफ फारेस्ट फार्सेज़ राजस्थान की श्रुति शर्मा के मुताबिक सामान्य पर्यटन के साथ-साथ इको टूरिज्म को बढ़ावा देने से न सिर्फ पर्यटन उद्योग को बढ़ाया जा सकता है, बल्कि प्रदेशवासियों के लिए रोजगार के नये अवसर भी मिलेंगे. प्रदेश की जैव विविधता, वन और वन्य जीव संरक्षण में भी प्रदेशवासियों की सहभागिता को सुनिश्चित किया जा सकता है. नई नीति में ट्रैकिंग, बर्ड वाचिंग, हाइकिंग, बोटिंग ओवर नाइट कैंपिंग, सफारी, साइकिलिंग समेत पर्यावरण एवं ईकॉलॉजी कंजरवेशन समेत के सभी प्रकार की गतिविधियों को शामिल किया गया है.