Rajasthan

गेंदे की खेती से गुरला गांव के किसानों की आमदनी बढ़ी

भीलवाड़ा. जिले का गुरला गांव आज न केवल राजस्थान में, बल्कि आसपास के जिलों में भी फूलों के गांव के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. इस गांव के किसान पारंपरिक फसलों के साथ अब बड़े पैमाने पर गेंदे के फूलों की खेती कर रहे हैं. यहां की मिट्टी और मौसम गेंदे की खेती के लिए बेहद अनुकूल माने जाते हैं, जिससे फूलों की गुणवत्ता भी उत्कृष्ट रहती है. गांव की गलियों में हर ओर खिलते गेंदे के फूलों की खुशबू फैली रहती है, जिससे पूरा इलाका रंग और सुगंध से भर जाता है, गुरला के पास से गुजरने वाले लोगों को खूबसूरत पीली चादर दिखाई देती है.

गेंदे की खेती ने गुरला गांव की तस्वीर ही बदल दी है, पहले जहां किसान केवल खाद्यान्न फसलों पर निर्भर थे, वहीं अब फूलों की खेती से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है. मंदिरों, शादी समारोह और सजावट के काम में गेंदे की लगातार बढ़ती मांग के कारण यहां के किसानों को बाजार की चिंता नहीं रहती. धीरे-धीरे गुरला गांव भीलवाड़ा जिले में फूलों की खेती का प्रमुख केंद्र बन गया है. यहां के फूलों की मांग न केवल भीलवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद, नाथद्वारा, चित्तौड़गढ़ में बल्कि अन्य राज्यों में भी रहती है.

किसान कन्हैया लाल माली ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि हमारा गांव भीलवाड़ा जिले के नेशनल हाईवे 758 पर स्थित है. हमारे गांव में बड़े स्तर पर गेंदे के फूलों की खेती की जाती है. यह काफी अच्छी फसल है, इस पर कीमत भी अच्छी मिलती है और लागत भी कम होती है. हमारे गांव के किसान बेंगलुरु और रतलाम से बीज लेकर आते हैं और इसकी खेती करते हैं. इसका उत्पादन अच्छा होता है, जिससे यहां के किसानों को फायदा मिलता है. यहां पर काफी व्यापारी फूलों की खरीदारी करने के लिए आते हैं, जिनमें नाथद्वारा, राजसमंद, उदयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ के व्यापारी शामिल हैं. इसके अलावा, राजस्थान के बाहर भी यह फूल भेजे जाते हैं. गुरला गांव में बड़े पैमाने पर गेंदे के फूल की खेती की जाती है. यहां लगभग हर घर के किसान इन्हीं फूलों की खेती करते हैं, और करीब-करीब सभी परिवार इसमें शामिल हैं.

किसानों की आमदनी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बना रहा सशक्तगेंदे के फूलों की मांग पूरे साल बनी रहती है, क्योंकि यह फूल धार्मिक और सामाजिक दोनों ही आयोजनों में उपयोग किया जाता है. मंदिरों में पूजा-पाठ, आरती और धार्मिक कार्यक्रमों में गेंदे के फूलों की माला और सजावट का विशेष महत्व होता है. देवी-देवताओं की मूर्तियों और मंदिर परिसर को सजाने के लिए इन फूलों की बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है. इसके अलावा, शादी-ब्याह और अन्य पारिवारिक समारोहों में भी गेंदे के फूलों का प्रयोग मंच, घर और गाड़ियों की सजावट के लिए किया जाता है. भारत में हर मौसम में किसी न किसी प्रकार का त्योहार या आयोजन होता है, जिससे इसकी मांग कभी कम नहीं होती.

गेंदे के फूलों की मांग केवल स्थानीय बाजारों में ही नहीं, बल्कि शहरों और अन्य राज्यों में भी रहती है. त्योहारों के समय जैसे दीपावली, नवरात्रि, गणेश चतुर्थी और विवाह सीजन में इसकी मांग कई गुना बढ़ जाती है. फूलों की यह बढ़ती मांग किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है, क्योंकि उन्हें उचित मूल्य और लगातार बाजार मिल रहा है. गेंदे का फूल अब किसानों की आमदनी बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने का एक महत्वपूर्ण जरिया बन गया है.

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